बिहाइंड द कर्टन/क्या है आईएएस जांगिड़ की मप्र छोड़ने की दास्तां

  • प्रणव बजाज
लोकेश जांगिड़

क्या है आईएएस जांगिड़ की मप्र छोड़ने की दास्तां
मध्यप्रदेश में 2014 बैच के आईएएस अधिकारी लोकेश जांगिड़ ने व्यवस्था से परेशान होकर मप्र छोड़ने का मन बना लिया है। दरअसल जांगिड़ की  गिनती ईमानदार और तेजतर्रार आईएएस अधिकारी के रूप में की जाती है। वे जहां भी पोस्टेड रहे जनता के बीच उन्होंने कुशल और कठोर प्रशासनिक अधिकारी की छाप छोड़ी है। उनमें खास बात यह है कि वे पोस्टिंग के दौरान एसी चेंबर से निकलकर फील्ड पर ज्यादा रहते हैं। यही वजह है कि जनता उन्हें पसंद करती है। वहीं दूसरी ओर व्यवस्था में घुन की तरह बैठे नेता और अफसर उन्हें नापसंद करते हैं। शायद उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की वजह से ही उनका 4 साल में 8 बार तबादला हो चुका है। इसके पहले जब  वे बैतूल में अपर कलेक्टर थे तब वहां उन्होंने जिले में कोरोना पर तो नियंत्रण पा लिया था लेकिन साथ ही वे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को भी नियंत्रित करने की भूल कर बैठे और यह उनको भारी पड़ गया। नतीजा 40 रोज के अंदर ही उन्हें वापस भोपाल बुला लिया गया  बहरहाल इस बार वे इतने कम समय में हुए तबादले से दुखी हैं और उन्होंने मप्र छोड़ने का मन बना लिया है। आईएएस जांगिड़ ने अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के लिए तीन साल की प्रतिनियुक्ति मांगी है। जिस पर उन्हें केंद्र और महाराष्ट्र की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है।

रेत माफिया की चुनौतियों का सामना करती महिला सिंघम
मुरैना जिले में रेत माफिया का खौफ बरकरार है। यहां आए दिन सरकारी अफसरों-कर्मचारियों पर रेत माफिया द्वारा हमले की घटनाएं आम हैं। ऐसे में वन विभाग में पदस्थ एसडीओ श्रद्धा पांढरे रेत माफिया का सामना करने सिंघम की तरह अपने दायित्वों को निभा रहीं हैं। उन पर भी रेत माफियाओं द्वारा 8 बार हमले हो चुके हैं। फिर भी वे अवैध रेत के मामले में कार्यवाही और माफिया का सामना करने में पीछे नहीं हटती। वन विभाग की टीम ने जब 24 अप्रैल को अवैध रेत की ट्रैक्टर ट्राली को पकड़ा तो उसके तुरंत बाद तेज रफ्तार में एक खाली ट्रैक्टर ट्राली आई जिसने वन विभाग के डंपर में टक्कर मार दी। ट्रैक्टर पर सवार एक माफिया ने कट्टा निकाला और एसडीओ श्रद्धा की गाड़ी पर एक गोली दाग दी। इसी तरह का हमला 22 मई को रजिस्ट्रार आॅफिस के पास हुआ। यहां अवैध रेत से भरी दो ट्रैक्टर-ट्रालियों को घेराबंदी कर पकड़ लिया। इसके बाद एक ट्रैक्टर सवार माफिया ने एसडीओ श्रद्धा पर ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास किया। फिर इसी तरह का हमला वन विभाग के नाके पर हुआ। बहरहाल श्रद्धा माफिया के खौफ से बिना डरे चुनौतियों का सामना कर रहीं हैं।

सरकार ने 38 समूहों के शराब ठेकेदारों पर मेहरबानी क्यों की!
प्रदेश के अजब-गजब आबकारी विभाग का एक और कारनामा सामने आया है। अफसरों ने सरकार को राजस्व का चूना लगाकर शराब ठेकेदारों पर मेहरबानी दिखाई है। यहां दस जिलों में आबकारी अधिकारियों द्वारा आरक्षित मूल्य से कम पर शराब के ठेके दे दिए गए। हालांकि मामला सामने आने पर आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे द्वारा जिला आबकारी अधिकारियों को नोटिस देकर सात दिनों में जवाब मांगा गया है। नोटिस में पूछा गया है कि आपके प्रभार वाले जिले में वर्ष 21-22 के दस माह के लिए देसी तथा विदेशी मदिरा की फुटकर बिक्री की दुकानों के लिए आरक्षित मूल्य निर्धारित किया गया था लेकिन ई-टेंडर द्वारा मदिरा दुकानें तथा एकल समूहों के ठेका देने की कार्यवाही में आरक्षित मूल्य से कम रहा है। इससे विभाग को राजस्व कम प्राप्त हुआ है। जिन दस जिलों में आरक्षित मूल्य से कम पर शराब के ठेके दिए गए उनमें बैतूल, बुरहानपुर, बड़वानी, अनूपपुर, होशंगाबाद, छतरपुर, शहडोल, सिवनी, रतलाम और देवास शामिल है। बुरहानपुर जिले के शराब ठेके में तो 41.70 प्रतिशत राशि कम आई है।

पूर्व सांसद मुंजारे बोले समरीते को जेल भेजकर आवाज दबा दी गई
पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने रेत माफिया और नेताओं के बीच सांठगांठ को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने खुलकर पूर्व विधायक किशोर समरीते समर्थन किया और कहा कि पूर्व विधायक किशोर समरीते को राजनीतिक षड्यंत्र के तहत जेल भेजा गया है। पूर्व सांसद ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन ने शराब और रेत कारोबारी राजेश पाठक के साथ झूठे आरोप लगाकर समरीते के खिलाफ साजिश रच कर फंसाया है। उन्होंने कहा कि समरीते अवैध रेत खनन के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे थे, जिसे दबा दिया गया है। यही नहीं रेत माफिया नेताओं और अधिकारियों से सांठगांठ कर उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करवा रहे हैं।

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