प्रदेश में एमएसएमई की नई पॉलिसी लागू, अब ऑनलाइन मिलेंगे भूखंड

एमएसएमई

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार ने सूक्ष्म लघु और मध्यम (एमएसएमई) उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नई एमएसएमई पॉलिसी लागू की है। इसमें निवेशकों को पहले आओ पहले पाओ का नियम बंद कर दिया क्या है। अब भूखंडों की नीलामी सौ फीसदी ऑनलाइन की जाएगी। दरअसल एमएसएमई की पुरानी पॉलिसी में यह प्रावधान था कि ऑनलाइन आवेदन करने पर आवेदक इन्वेस्टर्स को पहले ‘आओ पहले पाओ’ के आधार पर प्लाट मिल जाते थे। ऐसे में यह नहीं देखा जाता था कि यदि कोई बड़ा इन्वेस्टर ज्यादा राशि दे रहा है तो उसे ही प्लाट दिया जाएगा। जबकि अब जो नई व्यवस्था लागू हुई है उसके अनुसार क्लस्टर में विकसित प्लाट की नीलामी सौ फीसदी आॅनलाइन होगी। इसमें खास बात है कि इसमें सरकार की ओर से रेट फिक्स किए जाएंगे और उससे अधिक की बोली नीलामी में शामिल होने वालों को लगानी होगी। इस प्रक्रिया के तहत जो सबसे अधिक बोली लगाएगा उसे ही प्लाट मिलेगा। इसके बाद अब यह माना जा रहा है कि छोटे इन्वेस्टर्स को इसमें नुकसान होगा और उन्हें आसानी से प्लॉट्स नहीं मिल सकेंगे। इसकी बड़ी वजह यह है कि बड़े उद्योगपति तो अफसरों से सांठगांठ कर जमीन हथिया लेंगे और छोटे इन्वेस्टर्स को आसानी से प्लाट मिलने में दिक्कत होगी।
मेंटेनेंस चार्ज में की गई बढ़ोत्तरी
यही नहीं एमएसएमई की नई पॉलिसी के तहत मेंटेनेंस चार्ज भी बढ़ोत्तरी कर दी गई है। वर्तमान में लगने वाले मेंटेनेंस चार्ज 100 रुपए वर्ग मीटर को बढ़ाकर ढाई सौ रुपए वर्ग मीटर कर दिया गया है। यह छोटे इन्वेस्टर्स के लिए महंगा साबित होगा। उल्लेखनीय है कि फिलहाल भोपाल, इंदौर, जबलपुर सहित अन्य बड़े शहरों में अच्छी लोकेशन के प्लाट हैं। इनमें एमएसएमई के सीनियर अफसरों की सांठगांठ होती रहती है। दरअसल यह अफसर या तो खुद किसी के नाम पर प्लॉट बुक कर लेते हैं अथवा अपने अन्य किसी करीबी को दिला देते हैं। अब नई पॉलिसी से ऐसे अफसरों को मनमानी करने का और मौका मिलेगा।  विभागीय अधिकारियों के मुताबिक एमएसएमई की नई पॉलिसी प्रदेश में उद्यमियों को नगरीय तथा गैर नगरीय भूमि पर स्व-निर्धारित डिजाइन के अनुसार क्लस्टर विकसित करने तथा संधारित करने का अवसर मिलेगा। इन क्लस्टर में भूमि विकास के लिए डेवलपर्स को कलेक्टर की असिंचित भूमि की गाइडलाइन के मात्र 25% पर भूमि आवंटित की जाएगी। यानी अब डेवलपर्स विकसित क्लस्टर्स में अपनी इच्छा से निवेश ला सकेगा और संधारण कार्य भी उनके द्वारा स्वयं ही किया जाएगा।
सरकार का दावा बढ़ेगा रोजगार
सरकार का दावा है कि एमएसएमई की इस नवीन नीति से प्रदेश में तेजी से खिलौना, फर्नीचर और फार्मा के क्लस्टर विकसित हो सकेंगे। साथ ही इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। खास बात यह है कि निवेशकों को आवंटित भूखंडों पर ही स्टाफ तथा श्रमिकों के निवास के लिए पहली बार नियमों में संशोधन किया गया है। इससे श्रमिक कारखाना परिसर में ही रह सकेंगे। श्रमिकों के कार्यस्थल पर निवास करने से जहां उनके आवागमन में लगने वाला समय बचेगा वहीं कारखानों में उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी।

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