गरीब मजदूर वर्ग की महिलाओं का आर्थिक सहारा बनी है ‘मातृ वंदना’

। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार की कई योजनाएं इतनी प्रभावी रहीं हैं कि इन्हें अन्य राज्यों ने भी अपनाया है। यही नहीं कुछ ऐसी भी योजनाएं हैं जिनके बेहतर क्रियान्वयन से राज्य की प्रशंसा हुई है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन में भी प्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। दरअसल गरीब मजदूर वर्ग की महिलाओं का आर्थिक सहारा बनी है मातृ वंदना योजना। इस योजना में प्रदेश में 152 प्रतिशत उपलब्धि हुई है। खास बात है कि अब इस योजना के लोक सेवा गारंटी अधिनियम के दायरे में शामिल होने के बाद इसका क्रियान्वयन और भी प्रभावी तरीके से हो सकेगा। इस योजना के तहत अब गरीब घर की महिलाओं जो कि मजदूरी कर जीवन यापन करती हैं उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। बल्कि इस योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा देना और उनके उचित आराम और भरण-पोषण को सुनिश्चित किया गया है। साथ ही गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार और नगदी प्रोत्साहन के माध्यम से अधीन पोषण के प्रभाव को कम किया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में गरीब घर की महिलाएं मजदूरी करके अपना जीवन यापन करती हैं, जिनको इस योजना का लाभ मिलने लगा है। बता दें कि इस योजना को केंद्र सरकार ने शुरू किया था। वहीं राज्य सरकार ने इस को जिम्मेदारी के साथ प्रभावी तरीके से लागू क्या है।
अब अफसर नहीं कर सकेंगे हीलाहवाली
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को मप्र लोक सेवा गारंटी अधिनियम के दायरे में शामिल कर लिया गया है। इस योजना के तहत अब मजदूरी करने वाली महिलाओं को तय राशि समय पर मिलेगी। यानी उन्हें अब अधिकारी यह राशि देने में हीलाहवाली नहीं कर सकेंगे। खास बात यह है कि यदि तय समय पर उन्हें सेवा की गारंटी नहीं मिली तो फिर ऐसे अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ मप्र लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी। बता दें कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत अब यह जरूरी होगा कि परियोजना अधिकारी आवेदन करने के 60 दिन के अंदर योजना के तहत हितग्राही को हितलाभ प्रदान करेंगे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो फिर आवेदक के पास अधिकार होगा कि वह जिला कार्यक्रम अधिकारी के पास मामले की शिकायत कर सकेगा। वहीं जिला कार्यक्रम अधिकारी के लिए भी यह बाध्यकारी होगा कि वह 15 दिन के अंदर शिकायत का निराकरण करें। जिला कार्यक्रम अधिकारी को प्रथम अपीलीय अधिकारी बनाया गया है। यदि नियत अवधि में हितग्राही को उसका लाभ नहीं दिया गया तो फिर इसकी शिकायत कलेक्टर को की जा सकेगी। कलेक्टर को द्वितीय अपीलीय अधिकारी बनाया गया है। लोक सेवा प्रबंधन विभाग ने इस पर संबंध में 2 सितंबर 2020 को जारी अधिसूचना को संशोधित कर दिया है। इसी के साथ ही नई व्यवस्था प्रदेश में लागू हो चुकी है।
योजना में मिलती है पांच हजार की आर्थिक सहायता
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले जीवित बच्चे के जन्म के दौरान फायदा मिलता है। योजना का लाभ राशि डीपीटी के माध्यम से लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे भेज दी जाती है। हालांकि सरकार द्वारा यह राशि तीन किस्तों में भुगतान की जाती है। एक हजार रुपए की पहली किस्त गर्भावस्था के पंजीकरण के समय दी जाती है। दूसरी किस्त दो हजार रुपए यदि लाभार्थी 6 महीने की गर्भावस्था के बाद कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच कर लेते हैं तब दी जाती है। इसी क्रम में तीसरी किस्त भी दो हजार रुपए की दी जाती है। लेकिन यह राशि तब दी जाती है जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और बच्चे को बीसीजी, डीपीटी, ओपीवी और हेपेटाइटिस बी सहित पहले टीके का चक्र शुरू होता है। इस तरह इस योजना के तहत कुल पांच हजार रुपए दिए जाते हैं। इससे मजदूर वर्ग की महिलाओं को बड़ा आर्थिक सहारा मिलता है।

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