
फिलहाल कोरोना संक्रमण की वजह से रुका हुआ फिल्म निर्माण का काम स्थितियां सामान्य होते ही जल्द होगा शुरू
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। अतीत पर कलम चलाने के मामले में बादशाहत रखने वाले विख्यात साहित्यकार असगर वजाहत द्वारा लिखे गए नाटक गोडसेएटगांधी.कॉम अब फिल्मी परदे पर भी नुमाया होगा। इस नाटक पर प्रसिद्व फिल्मकार राजकुमार संतोषी अब फिल्म बनाने जा रहे हैं। खास बात यह है कि इस फिल्म में भोपाल भी नजर आएगा। इसकी वजह है असगर वजाहत यहां पर इसी फिल्म को लेकर कुछ दिनों पहले भोपाल आए थे, तभी से वे यहीं पर डेरा डाले हुए हैं। वे जब आए तो सब कुछ सामान्य था , लेकिन उसके चंद दिनों बाद ही कोरोना संक्रमण का कहर शुरू होने से लॉकडाउन लगा तो फिर इस फिल्म की शूटिंग बंद करनी पड़ गई। इस बीच दिल्ली में कोरोना का प्रकोप अधिक हो जाने से उनके द्वारा भोपाल में ही रहना उचित माना गया। गौरतलब है कि जिस नाटक गोडसेएटगांधी.कॉम पर फिल्म बनने वाली है वह भी पत्रिकाओं और किताब की शक्ल में प्रकाशित हो चुका है।
वजाहत का कहना है कि इतिहास हमारे घर का पता है। यदि हम इतिहास भूल जाते हैं तो अपने घर नहीं जा सकते। हम गलत घर में चले जाएंगे। वजाहत ने अपने यात्रा संस्मरण अतीत का दरवाजा और फिर अपने आख्यान ‘बाकर गंज के सैयद’ में अतीत का वर्णन बड़ी शिद्दत के साथ किया है। अतीत के बारे में उनकी पसंद पर उनका कहना है कि यदि हमने अतीत को ठीक ढंग से नहीं समझा तो हम वर्तमान को नहीं समझ सकेंगे। असल में इतिहास हमारे घर का पता है यदि इतिहास भूल जाते हैं तो हम गलत घर में चले जाएंगे। उन्होंने ‘अतीत का दरवाजा’ नामक यात्रा संस्मरण में जॉर्डन, मारामारोश और मैक्सिको की यात्राओं का रोचक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वर्णन किया है। वहीं अपने आख्यान बाकर गंज के सैयद में उन्होंने 1857 से पहले के इतिहास और साहित्य के मिश्रण को किस्सागोई में पेश किया है। इन दिनों इतिहास को फिर से लिखने उसका विरूपण करने की साहित्यिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक कोशिशों की बात बुद्धिजीवी कह रहे हैं? इस बारे में असगर वजाहत का कहना है कि यदि हम इतिहास की सही व्याख्या नहीं करेंगे तो हमें अपने वर्तमान का पता नहीं चलेगा। इतिहास का गलत ढंग से पेश करने, उसे तोड़ने-मरोड़ने का असर हमारी भाषा, संस्कृति, समाज पर पड़ता है। ऐसे में हम अपने इतिहास और वर्तमान में अंतर नहीं कर पाते। नई पीढ़ी वर्तमान को सही ढंग से नहीं समझ पाती इसलिए अतीत को समझना जरूरी है।