मानवता के सेवक एवं संवेदनशील जननेता : राजीव गांधी

  • सुरेश पचौरी
 राजीव गांधी

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई के अवसर पर

भारत रत्न राजीव गांधी एक ऐसे कर्मयोगी रहे हैं, जिनकी जीवन यात्रा में मानवता, सहजता, सरलता, निश्छलता के कई मुकाम रहे हैं।
राष्ट्रहित उनके चिंतन के केन्द्र में था। सर्वधर्म सद्भाव उनके मानस में रचा-बसा था। राजीव गांधी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय था। नियति ने समय के कैनवास पर उन्हें बहुत कम समय बख्शा लेकिन इतने कम समय में भी उन्होंने इतिहास के कैनवास पर अपनी विशिष्ठ और अमिट छाप छोड़ी। विलक्षण प्रतिभा के धनी राजीव जी में सादगी और दृढ़ता का आदर्श समावेश था। बेहद शांत और गंभीर प्रवृत्ति के राजीव गांधी जी का संपूर्ण जीवन सत्यम, शिवम, सुंदरम् का मूर्तिमान रूप था।
राजीव गांधी राजनीति में सतत संवाद के पक्षधर थे। जापान यात्रा के दौरान श्रीमती पुष्पा भारती को दिये इंटरव्यू में उन्होंने कहा था ‘राजनीति जनता से संवाद की राजनीति हो।’ राजीव जी मानते थे कि बिना संवाद के विश्वास पैदा नहीं हो सकता और बिना विश्वास के राजनीति नहीं चल सकती। इसी पारस्परिक संवाद की राजनीति को अमलीजामा पहनाते हुए उन्होंने पंजाब, असम और मिजोरम समझौते किये, जिससे इन प्रदेशों में वर्षों से चल रही उथल-पुथल, अशांति एवं हिंसक गतिविधियों पर विराम लगा। राजीव गांधी ने विषम परिस्थितियों में देश के प्रधानमंत्री पद  का दायित्व संभाला। राजीव गांधी के साथ करोड़ों भारतीयों के मन में आधुनिक भारत की आशाएं, आकांक्षाएं और सपने जाग उठे। राजीव गांधी जी ने एक जननेता और प्रधानमंत्री के रूप में देश को पुनर्निर्माण एवं विकास के पथ पर अग्रेषित किया। उन्होंने भारत को आधुनिक, खुशहाल और एक मजबूत राष्ट्र बनाने में विशेष भूमिका निभाई।
सबकी सुनना और सबको साथ लेकर चलना राजीव जी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता थी। वे आमजन की समस्याओं को बड़े ध्यान से देखते थे और फिर सही दिशा-निर्देश देकर उसको सुलझाने का काम करते थे, यही उनकी कार्यशैली थी। संवेदनशील राजनेता होने के कारण पीड़ित मानवता की सेवा उनकी प्राथमिकता थी। भोपाल गैस त्रासदी की घटना के तुरंत बाद चुनाव प्रचार छोड़कर वे भोपाल पहुंचे। उन्होंने चुनाव प्रचार की बजाए मानवता की सेवा को प्राथमिकता दी। गैस पीड़ितों के दुख-दर्द पर मरहम लगाया। भोपाल गैस पीड़ितों को भी इस बात का अहसास हुआ कि उनका भी कोई हमदर्द है जिसे उनकी चिंता है।
राजीव जी ने अनाथ बच्चों, असहाय बुजुर्गों और रोती हुई महिलाओं को सांत्वना दी, उन्हें धीरज बंधाया। वे तुरंत भोपाल के हमीदिया अस्पताल में गैस पीड़ितों से मिलने पहुंचे और उन्होंने पीड़ितों के इलाज के बारे में जानकारी ली तथा मध्यप्रदेश सरकार को गैस पीड़ितों को शीघ्र सहायता देने हेतु आवश्यक निर्देश दिये। चुनाव उपरांत भोपाल गैस पीड़ितों के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में अलग ‘प्रकोष्ठ’ बनाया। भोपाल गैस पीड़ितों का उपचार ठीक से हो, उन्हें उपयुक्त मुआवजा मिले, इसके लिए उन्होंने गैस पीड़ितों के राहत एवं पुनर्वास के लिए कार्ययोजना बनाई और उस पर योजनाबद्ध तरीके से अमल शुरू करवाया। राजीवजी ने देश के ग्रामीण इलाकों का अनवरत दौरा किया। मध्यप्रदेश में एवं अन्य प्रदेशों के वे ऐसे इलाकों में गये, जहां विकास की रोशनी नहीं पहुंची थी। उन्होंने सुदूर अंचलों में रहने वाले गरीब, दलित, शोषित, पीड़ित और कमजोर लोगों के दरवाजों पर जाकर उनकी तकलीफों को समझा और उन्हें दूर करने की कोशिश की। ऐसे कई उदाहरण है जिसमें वे सुरक्षा तथा प्रोटोकाल की परवाह किये बिना पीड़ितों के दुख-दर्द में शामिल हुए। वे गरीब की झोपड़ी में एक ऐसा स्वर्णिम भारत देखना चाहते थे, जिसमें खुशहाली की सुनहरी इबारत लिखी हो और वहाँ ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया: सर्वे भद्राणि पष्यन्तु मा कश्चित दु:ख भाग् भवेत्’ की भावना का साक्षात् साकार स्वरूप दिखाई दे, अर्थात राजीव जी के प्रयास थे कि सभी सुखी हों, सभी रोग मुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुख का भागी न बनना पड़े।
देश के जिन इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं से तबाही मची जैसे उड़ीसा में महाचक्रवात, गुजरात में भूकंप, देश के कुछ इलाकों में सूखा व बाढ़ की स्थिति बनी, वहां आपदा की इस घड़ी में राजीव जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए प्रभावितों की पूरी संजीदगी से मदद की। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए उन्होंने व्यवस्थित और प्रभावी कदम उठाये। राहत और पुनर्वास के कामों को सुचारू रूप से चलाया। श्रीलंका में तमिलों और सिंघलियों में जातीय संघर्ष हुआ जिसके परिणाम स्वरूप लाखों की तादाद में तमिलजन शरणार्थी बनकर भारत आने लगे। श्रीलंका सरकार न तो सिंघलियों द्वारा तमिलों पर किये जा रहे अत्याचार रोक पा रही थी और न तमिलों को सुरक्षा दे पा रही थी। ऐसे समय में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री जयवर्धने के अनुरोध पर राजीव जी ने हिंसा का तांडव रोकने के लिए अपनी शांति सेना श्रीलंका भेज दी। भारतीय शांति सेना के प्रयासों से श्रीलंका में शांति स्थापित हुई एवं तमिलों को सुरक्षा मिली।
राजीव गांधी ने हरारे (जिम्बाबे) के गुटनिरपेक्ष देशों के शिखर सम्मेलन के अवसर पर दक्षिण अफ्रीका की रंगभेदी सरकार की दमनकारी नीतियों के शिकार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे देशों का मनोबल बढ़ाने के लिए ‘अफ्रीका कोष’ की स्थापना का प्रस्ताव रखा, उसे अनुमोदित कराया। दुनिया के 45 देशों ने इसमें योगदान दिया और अफ्रीका कोष में 25 अरब डॉलर की एक बड़ी धनराषि एकत्रित हुई। राजीव गांधी पर्यावरण, प्रदूषण की समस्या से बहुत चिंतित रहते थे। उन्होंने वन एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए मजबूत कदम उठाये। राजीव गांधी जी का मानना था कि पर्यावरण संरक्षण और विकास की अवधारणा में संतुलन आवश्यक रूप से होना चाहिए। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण एवं ओजोन परत के क्षरण के मामलों को अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से आगे बढ़ाये जाने की वकालत की। राजीव जी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में ‘पृथ्वी संरक्षण कोष’ की स्थापना हुई।
राजीव गांधी ने निराशा पर आशा और निर्भरता पर आत्मविश्वास की विजय पाने की राह दिखाई। राजीव गांधी का यह मानना था कि नई सदी, ज्ञान पर आधारित सदी होगी और इसलिए उन्होंने विज्ञान और टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर प्राचीन राष्ट्र को नये भारत में बदलने का अभिनव प्रयास किया। राजीव गांधी एक सच्चे लोकतंत्रवादी थे, एक ऐसे व्यक्ति थे जो सदा नये विचारों और रचनात्मक आलोचनाओं का स्वागत करते थे। राजीवजी ने अपने निष्कलंक सार्वजनिक और राजनैतिक जीवन में जिस भी भूमिका का निर्वहन किया, उसमें वे पूर्ण रूप से खरे उतरे। एक सांसद, प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष एवं नेताप्रतिपक्ष के रूप में उन्होंने जो भी भूमिका निभाई, सभी में राष्ट्रहित में समर्पण भाव से अपने दायित्व का निर्वहन किया। राजीव गांधी भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रथम सूत्रधार थे। आज जिस डिजिटल इंडिया की बात पूरे देश में हो रही है, उसकी आधारशिला श्री राजीव गांधी ने ही रखी थी। संचार क्रांति का शंखनाद कर राजीव जी देश में कंप्यूटर क्रांति के जनक बने। राजीवजी का विश्वास था कि भारत का भविष्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के द्वारा ही संवारा जा सकता था।
विकसित कहे जाने वाले राष्ट्रों तक ने हमारी टेक्नालॉजी को न केवल स्वीकार किया बल्कि उसकी उच्च गुणवत्ता को विश्व स्तर पर सराहा। राजीव जी ने जैव प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में नये कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया तथा पेयजल, खाद्यान्न, दूरसंचार, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों में भी प्रगति हेतु विभिन्न टेक्नोलॉजी मिशन गठित किए। राजीव जी का एजेंडा भारत का विकास ही था और विकसित आधुनिक भारत उनका सपना था। विधि का विधान रहा कि असमय इस दुनिया से चले जाने के कारण उनका यह संकल्प अधूरा ही रह गया। श्री राजीव गांधी ने अपने सतत् प्रयासों से देश के जनमानस में ऐसी उत्कृष्ट छाप छोड़ी कि उनके दुनिया में नहीं रहने के बाद भी सदियों तक आदर के साथ वे हमेशा याद किये जाते रहेंगे। ऐसे युग पुरूष का जीवन, उनकी शहादत और स्मृतियां हमेशा देश के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगी।
(लेखक भारत सरकार में रक्षा उत्पादन, कार्मिक एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे हैं)

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