- प्रणव बजाज

क्यों क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी से अलग हुए पूर्व मंत्री गोविंद सिंह
प्रदेश के पूर्व मंत्री और भिंड की लहार सीट से विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने भिंड कलेक्टर सतीश कुमार को पत्र लिखकर क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप से अलग होने की घोषणा की है। डॉक्टर सिंह का कहना है कि इस समिति में कई आपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं साथ ही समिति के सदस्यों का चुनाव बीजेपी नेताओं के दबाव में किया गया है। इसलिए उन्होंने खुद को और अन्य कांग्रेसियों के इस समिति से अलग होने की घोषणा की है। डॉक्टर गोविंद सिंह ने कलेक्टर को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि वे लहार एवं रोन ब्लॉक कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए बनी क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी से खुद को अलग कर रहे हैं।
पिथोड़े की सख्त निगरानी में मिल रहा गरीबों को मुफ्त राशन
कोरोना काल में गरीबों को तीन माह का मुफ्त राशन देने की घोषणा सरकार ने की है। यह राशन दुकानों में पहुंच चुका है। लेकिन पूर्व में मिली शिकायतों से सबक लेते हुए खाद्य संचालक तरुण पिथोड़े खुद दुकानों पर जाकर राशन वितरण की निगरानी देख रहे हैं। यही नहीं पिथोड़े दुकानों पर राशन लेने पहुंचे उपभोक्ताओं से बात भी करते हैं और पूछते हैं कि दुकान समय पर खुल रही कि नहीं, राशन पूरा मिल रहा कि नहीं। दरअसल पूर्व में कई दुकानदारों ने मुफ्त राशन वितरित में मनमानी की थी। वहीं शिकायत मिलने पर इन दुकानों पर कार्रवाई भी की गई थी। अब इस बार विभाग द्वारा दुकानों पर हो रहे मुफ्त राशन वितरण की सख्त निगरानी की जा रही है। खाद्य संचालक पिथोड़े ने निरीक्षण के दौरान दुकानदारों पर कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए उपभोक्ताओं के बीच एक से डेढ़ मीटर का सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने को कहा है।
कोरोना नियंत्रण करने में खंडवा मॉडल की प्रशंसा
खंडवा कलेक्टर अनय द्विवेदी ने कोरोना नियंत्रण के लिए जो मॉडल अपनाया है उससे जिले में संक्रमण में कमी आई है। कलेक्टर की सूझबूझ और सक्रियता से यहां कोरोना संक्रमण की दर 4.3 से घटकर 2.2 रह गई है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस खंडवा मॉडल की प्रशंसा की है। साथ ही उन्होंने राज्य के अन्य जिलों को भी इस मॉडल के अनुसरण करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल कलेक्टर अनय द्विवेदी द्वारा लोगों के मास्क उपयोग व शारीरिक दूरी का पालन करवाने में शहर से लेकर गांव तक विशेष ध्यान दिया है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लोगों से बांड भरवाने के साथ ही प्रतिदिन समीक्षा कर नियंत्रण के प्रयास किए गए। शासन की गाइडलाइन और जनप्रतिनिधियों के सुझाव पर अमल से इंदौर अंचल के खंडवा जिले में संक्रमण की दर लगातार घट रही है।
पीएससी में अब तक अटकी हुई है डॉक्टरों की भर्ती
प्रदेश में कोरोना संकट काल के दौरान जहां चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी महसूस की जा रही है। वहीं मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सवा सात से अधिक डॉक्टरों की भर्ती सिर्फ इंटरव्यू की देरी के कारण अटकी हुई है। पीएससी ने फरवरी महीने में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए 727 मेडिकल ऑफिसरों की भर्ती की घोषणा की थी। इसके लिए एमबीबीएस डिग्रीधारी चिकित्सकों से आवेदन मंगाए गए थे बरसों बाद मेडिकल आॅफिसर के इतने पदों पर एक साथ नियुक्ति की घोषणा हुई थी। इनका इंटरव्यू के आधार पर चयन किया जाना था। इंटरव्यू प्रक्रिया अटकी हुई है। कोरोना के बढ़ते खतरे और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बीच यदि इन डॉक्टरों की भर्ती हो जाए तो प्रदेश को बड़ी राहत मिल सकती है। सूत्रों की मानें तो अप्रैल महीने में ही इसके इंटरव्यू किए जाकर नियुक्तियां हो जानी थी लेकिन पीएसी द्वारा अब तक चयन की प्रक्रिया और इंटरव्यू भी शुरू नहीं किए गए हैं।