बिहाइंड द कर्टन/ऑक्सीजन प्लांट लगाकर आत्मनिर्भर बनेगा मप्र

  • प्रणव बजाज
ऑक्सीजन प्लांट

ऑक्सीजन प्लांट लगाकर आत्मनिर्भर बनेगा मप्र
प्रदेश की शिवराज सरकार ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की शुरूआत वैसे तो कोरोना की पहली लहर में ही कर दी थी लेकिन इसकी चाल सुस्त थी। वहीं कोरोना ने दूसरी लहर में इतना तगड़ा झटका दिया कि सरकार को कोरोना से जान बचाने के लिए सांसे दूसरे राज्यों से खरीदना पड़ रही है। फिलहाल जिस तरह से प्रदेश में हालात बिगड़े हैं सरकार को ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए ताबड़तोड़ तरीके से एक्शन मोड में आना पड़ा गया है। केंद्र और राज्य सरकार के फंड से जहां हर संभाग में एक-एक प्लांट स्थापित करने के फैसले किए गए हैं वहीं निवेशकों के लिए ऑक्सीजन पॉलिसी भी बनाई गई है। सूत्रों की मानें तो अगली कैबिनेट में चर्चा के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। पॉलिसी के मुताबिक प्राइवेट सेक्टर के लिए ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर सरकार निवेशक को पचास फीसदी प्रोत्साहन अनुदान देगी जिसकी अधिकतम सीमा 75 करोड़ रुपए होगी।

कोरोना से निपटने परिवहन विभाग को चाहिए बहुरंगी बत्ती
कोरोना की रोकथाम के लिए दिन-रात ड्यूटी कर रहे परिवहन विभाग के अधिकारियों ने अब अपने लिए बहुरंगी बत्ती वाले वाहनों की डिफाइंड सरकार से की है। इसके लिए परिवहन आयुक्त मुकेश जैन ने शासन को प्रस्ताव भेजा है। विभाग का मैदानी अमला ऑक्सीजन टैंकरों के आगे पायलेटिंग करने, दुर्घटनाग्रस्त वाहनों के यात्रियों की वैकल्पिक व्यवस्था करने सहित अन्य कार्य कर रहा है। इस स्थिति को देखते हुए वाहनों पर बहुरंगी बत्ती लगाने की अनुमति देने के साथ ही विभाग के लोगों को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग की गई है। विभाग के इस प्रस्ताव को गृह विभाग को भेजा जा रहा है।

विधायक पटवा ने भी सवाल खड़े किए लिखा स्वास्थ्य मंत्री को पत्र
स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता अनूप मिश्रा के बाद अब विधायक सुरेंद्र पटवा ने रायसेन जिले में सुविधाओं के अभाव में भटक रहे लोगों की व्यथा पर डॉ प्रभुराम को पत्र लिखा है। पटवा ने लिखा कि रायसेन जिले की अस्पतालों में सभी बेड फुल हैं। इन अस्पतालों में अब नए मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। जनसंख्या के हिसाब से बेड्स की संख्या यहां काफी कम है। मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। मरीज दर-दर भटकने को मजबूर हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी है। प्राइवेट अस्पताल मनमाने रेट वसूल रहे हैं। यही नहीं स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के हालात यह हैं कि मेरे द्वारा जो तीन वेंटीलेटर औबेदुल्लागंज और मंडीदीप के लिए दिए गए थे वे भी अब तक शुरू नहीं किए जा सके हैं।

विधायक नीलांशु कर रहे मंदाकिनी में प्रदूषण की चिंता
वैसे तो नदियों में प्रदूषण की समस्या किसी से छुपी नहीं हैं लेकिन प्रदेश के चित्रकूट में पवित्र मंदाकनी को यहां के दो दर्जन से ज्यादा होटल, रेस्टोरेंट्स, विश्राम गृह और जीव चिकित्सा संस्थान ही प्रदूषित कर रहे हैं। सरकारी प्रयासों की बात करें तो  करीब आठ साल पहले राष्ट्रीय नदी संरक्षण परियोजना के अंतर्गत सवा छह करोड़ की लागत से यहाँ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की अनुमति मिली थी जो अब तक प्रारम्भ नहीं हो सका है। विधायक नीलांशु चतुर्वेदी के अनुसार मंदाकिनी में बढ़ते प्रदूषण की वजह से नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। यहां त्योहारों पर लाखों भक्त और श्रद्धालु आते हैं। मैंने इसे प्रदूषण मुक्त बनाने का अभियान शुरू किया है।

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