2035 तक भारत के पास होगा अपना स्पेस स्टेशन: वी. नारायणन

वी. नारायणन

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख वी. नारायणन ने कहा है कि भारत 2027 तक अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने बताया कि गगनयान परियोजना के तहत 7,700 ग्राउंड टेस्ट पूरे हो चुके हैं और 2,300 और परीक्षण किए जाने बाकी हैं। इसके बाद ही अंतरिक्ष में मानव मिशन को अंजाम दिया जाएगा। नारायणन ने बताया कि गगनयान परियोजना के तहत तीन बिना चालक दल वाले मिशन होंगे। इनमें से पहला मिशन इसी साल दिसंबर में प्रस्तावित है। इसके बाद दो और मानव रहित मिशन पूरे किए जाएंगे। यह सभी उड़ानें भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन को सफल बनाने के लिए अहम कदम साबित होंगी।

इसरो को गगनयान परियोजना के तहत दो मानवयुक्त मिशनों की मंजूरी मिल चुकी है। इसका मतलब है कि भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होने जा रहा है, जिन्होंने अपने नागरिकों को अंतरिक्ष में भेजा है। इसरो प्रमुख ने कहा कि इन मिशनों से भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता दुनिया के सामने और मजबूत होकर उभरेगी। आगे उन्होंने ये भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को 2035 तक भारत का अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजने का लक्ष्य दिया है। इन लक्ष्यों ने भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को एक नई ऊंचाई दी है। मोदी ने कहा है कि भारत को आने वाले समय में अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी देशों की पंक्ति में खड़ा होना होगा।

इसरो प्रमुख ने बताया कि हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 400 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने चौबीसों घंटे काम किया। मिशन में पृथ्वी अवलोकन और संचार उपग्रहों का उपयोग किया गया। इस दौरान सभी उपग्रह पूरी तरह सक्रिय रहे और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जरूरतें पूरी की गईं। यह इस बात का सबूत है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अब रक्षा के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा रही है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बड़े पैमाने पर ड्रोन और लाइटरिंग म्यूनिशन का इस्तेमाल हुआ। इस मिशन में भारत के स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम आकाश तीर की क्षमताओं का भी परीक्षण किया गया। इससे यह साबित हुआ कि भविष्य के सशस्त्र संघर्षों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उपग्रह डेटा की भूमिका बेहद अहम होगी।

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