
- मोहन ‘राज’ की नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन
भारत का हृदय प्रदेश मप्र आज कई क्षेत्रों में मिसाल बन रहा है। इसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव न केवल नीतियां बनवा रहे हैं, बल्कि उनका प्रभावी क्रियान्वयन भी करवा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि आज मप्र पर्यटन का हब बनता जा रहा है। पर्यटन के कारण आज मप्र संपन्न हो रहा है।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र के साफ-सुथरे शहर, सुरक्षा, हेरिटेज, टाइगर रिजर्व और स्पिरिचुअल डेस्टिनेश के परफेक्ट कॉम्बिनेशन ने देसी-विदेशी पर्यटकों को दिल जीत लिया है। संस्कृति, वन्यजीव, धर्म और प्रकृति, चारों का बेजोड़ संगम देखने को मिल रहा है। यह ग्रोथ मप्र की सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और सुरक्षित पर्यटन नीति का नतीजा है। पर्यटन की दृष्टि से मप्र एक समृद्ध और विविधतापूर्ण राज्य है। इसकी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक धरोहरें, प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीव संपदा का आकर्षण अतुलनीय मप्र के रूप में पर्यटकों की पहली पसंद बन रहा है। प्रदेश ने वर्ष 2024 में पर्यटन के क्षेत्र में कीर्तिमान रचा है। मप्र में रिकॉर्ड 13 करोड़ 41 लाख पर्यटकों का आगमन हुआ। यह उपलब्धि वर्ष 2023 की तुलना में 19.6 प्रतिशत, 2019 से लगभग 50.6 प्रतिशत और 2020 की तुलना में 526 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाती है। राज्य सरकार मप्र को पर्यटन में नंबर 1 बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कई कवायदें की जा रहीं हैं। गतदिनों ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में ग्रामीण रंग पर्यटन संग राज्यस्तरीय उत्सव आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में विकसित हो रहे होम-स्टे भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के अतिथि देवो भव: के भाव को चरितार्थ कर रहे हैं। होम-स्टे के संचालक और राज्य सरकार का यह प्रयास है कि यहां आने वाले सभी अतिथि प्रदेश के बारे में सकारात्मक छवि और अच्छी स्मृतियां साथ लेकर जाएं। इस मौके पर प्रदेश के गांवों में निर्मित 241 आलीशान होम-स्टे का वर्चुअल लोकार्पण किया। खास बात यह है कि राज्य सरकार ने प्रदेश में 1 हजार होम स्टे बनाने की बात कही है। सीएम मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पर्यटकों के लिए वेलनेस सुविधाएं बढ़ाने के लिए समिट की है। वे यहां आएंगे तो उन्हें वन्य जीव पर्यटन, धार्मिक पर्यटन के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलेंगी। इससे प्रदेश का मेडिकल टूरिज्म बढ़ेगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
पर्यटन की दृष्टि से मप्र एक समृद्ध और विविधतापूर्ण राज्य है। इसकी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक धरोहरें, प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीव संपदा का आकर्षण अतुलनीय मप्र के रूप में पर्यटकों की पहली पसंद बन रहा है। वर्ष 2024 में 1.67 लाख विदेशी पर्यटकों ने भी मप्र की सैर की। खजुराहो में 33 हजार 131, ग्वालियर में 10 हजार 823 और ओरछा में 13 हजार 960 विदेशी पर्यटक पहुंचे। शहरी पर्यटन में भी विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई, जिसमें इंदौर में 9,964 और भोपाल में 1,522 विदेशी पर्यटक शामिल हैं। बांधवगढ़ में 29 हजार 192, कान्हा में 19 हजार 148, पन्ना में 12 हजार 762 और पेंच में 11 हजार 272 विदेशी पर्यटक आए, जो मप्र की वैश्विक अपील को दर्शाता है। मप्र की समृद्ध विरासत ने 2024 में 80 लाख से अधिक पर्यटकों को आकर्षित किया, जो 2023 के 64 लाख की तुलना में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। ग्वालियर में पर्यटकों की संख्या में 3 गुना वृद्धि देखी गई, जहां 9 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे, जो 2023 की तुलना में 3.69 लाख की उल्लेखनीय वृद्धि है। खजुराहो (4.89 लाख), भोजपुर (35.91 लाख) और महेश्वर (13.53 लाख) में भी पर्यटकों ने इन समृद्ध विरासतों का आनंद लिया। यूनेस्को ने हाल ही में भोजपुर को अपनी टेंटेटिव सूची में शामिल किया है और ग्वालियर को क्रिएटिव सिटी ऑफ म्यूजिक के रूप में मान्यता दी है। मप्र में अब 3 स्थायी और 15 टेंटेटिव सूची में कुल 18 यूनेस्को धरोहरें हैं। स्थायी सूची में खजुराहो के मंदिर समूह, भीमबेटका की गुफाएं और सांची स्तूप शामिल हैं। सम्राट अशोक के शिलालेख, चौसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर, बुंदेला शासकों के महल और किले, ग्वालियर किला, बुराहनपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कला स्थल, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला स्थित राम नगर के गोंड स्मारक, धमनार का ऐतिहासिक समूह, मांडू के स्मारकों का समूह, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी टेंटेटिव लिस्ट में हैं।
देश की आस्था का नया केंद्र
प्रदेश के धार्मिक स्थलों ने वर्ष 2024 में 10.7 करोड़ पर्यटकों को आकर्षित किया, जो वर्ष 2023 की तुलना में 21.9 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश के शीर्ष 10 पर्यटन स्थलों में से 6 धार्मिक स्थल शामिल हैं। उज्जैन 7.32 करोड़ पर्यटकों के साथ इस सूची में सबसे आगे रहा, जो वर्ष 2023 के 5.28 करोड़ की तुलना में 39 प्रतिशत अधिक है। चित्रकूट में भी 1 करोड़ से अधिक पर्यटक आए, जो वर्ष 2023 के 90 लाख की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है। मैहर में 1.33 करोड़, अमरकंटक में 40 लाख, सलकनपुर में 26 लाख और ओंकारेश्वर में 24 लाख पर्यटक पहुंचे। महाकाल लोक, ओंकारेश्वर महालोक, श्रीराम वनगमन पथ, देवी लोक, राजा राम लोक, हनुमान जैसी परियोजनाओं ने धार्मिक पर्यटन को आध्यात्मिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है। मप्र, जिसे भारत का हृदय कहा जाता है, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत का एक समृद्ध ताना-बाना है, जिसमें कई ऐसे स्थल हैं जो तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व में, राज्य सरकार इन स्थलों को बढ़ाने और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, जो राज्य की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्तमान सरकार की पहली वर्षगांठ, 13 दिसंबर के अवसर पर, सरकार मौजूदा धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार और मप्र को धार्मिक पर्यटन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए नए आध्यात्मिक स्थलों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
मप्र के विविध धार्मिक परिदृश्य में हिंदू, जैन, बौद्ध और इस्लाम सभी शामिल हैं, जो आध्यात्मिक साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। हाल के वर्षों में मप्र में पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, विशेष रूप से उज्जैन में महाकाल महालोक के सफल शुभारंभ के बाद। महाकाल महालोक में आगंतुकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जो आर्थिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के उत्प्रेरक के रूप में धार्मिक पर्यटन की क्षमता को रेखांकित करता है। डॉ. यादव के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने पूरे राज्य में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार और संवर्धन को प्राथमिकता दी है। इस पहल का उद्देश्य न केवल सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है, बल्कि आगंतुकों के अनुभव को बेहतर बनाना भी है। महाकाल महालोक इन प्रयासों का केंद्र बिंदु है, जिसे महाकालेश्वर मंदिर के आसपास एक जीवंत आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। यह पुनर्विकास प्रबंधन को बेहतर बनाता है और इस ऐतिहासिक स्थल के आध्यात्मिक वातावरण को समृद्ध करता है। प्रदेश के अनेक धार्मिक स्थलों का उनकी परम्पराओं के अनुरूप विकास किया जा रहा हहै। सलकनपुर में देवी लोक को शक्ति मंदिर स्थल के रूप में विकसित किया गया है, ताकि सुगमता से देवी दर्शन के साथ ही तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर पहुंच और सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएं। छिंदवाड़ा में श्रीहनुमान लोक भगवान हनुमान का उत्सव मनाएगा, जिसमें भक्तों और पर्यटकों के लिए एक आकर्षक वातावरण बनाया जाएगा। ओरछा में रामराजा लोक भगवान राम का सम्मान करेगा और अध्यात्म और इतिहास दोनों में रुचि रखने वाले आगंतुकों को आकर्षित करेगा। सागर में संत रविदास लोक के पुनरुद्धार का उद्देश्य संत रविदास की विरासत का सम्मान करना है, ताकि उनके अनुयायियों और उनकी शिक्षाओं में रुचि रखने वाले पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। जबलपुर में रानी दुर्गावती स्मारक और रानी अवंतीबाई स्मारक जैसे ऐतिहासिक स्थलों को भी उनके सांस्कृतिक महत्व को उजागर करते हुए बढ़ाया जा रहा है, साथ ही इतिहास और अध्यात्म दोनों में रुचि रखने वाले आगंतुकों का भी ध्यान रखा जा रहा है। इसके अलावा, अमरकंटक में माँ नर्मदा महालोक में आगंतुकों की सुविधाओं को बढ़ाने और इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ावा देने के लिए सुधार किए जा रहे हैं। सरकार खरगोन में देवी अहिल्याबाई लोक, बड़वानी जिले में नागलवाड़ी लोक जैसे नए आध्यात्मिक स्थलों को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसमें शांत वातावरण बनाने पर जोर दिया जा रहा है। ग्वालियर में जाम सावंली हनुमान लोक में भगवान हनुमान की शक्ति और भक्ति का पर्व मनाया जाएगा, वहीं जानापाव जिसे भगवान परशुराम की जन्म स्थली के रूप में जाना जाता है, वहां परशुराम लोक विकसित किया जाएगा, जिसमें भगवान परशुराम को समर्पित एक नया मंदिर बनाया जाएगा, जहां आगंतुकों के लिए विभिन्न सुविधाएँ भी होंगी। इस परियोजना में नर्मदा जल को लाना और आसान पहुँच के लिए रोपवे का निर्माण करना भी शामिल है। दतिया में मां पीतांबरा लोक, देवी पीतांबरा को समर्पित एक और महत्वपूर्ण स्थल है। रतनगढ़ में माता मंदिर लोक देवी दुर्गा को समर्पित एक प्रतिष्ठित मंदिर के साथ एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल भी बन जाएगा।
वन्यजीव और प्राकृतिक पर्यटन
ग्रीन, क्लीन और सेफ मप्र टाइगर स्टेट, लेपर्ड स्टेट, घडिय़ाल स्टेट, चीता स्टेट और वल्चर स्टेट के रूप में जाना जाता है, जिसमें देश का सबसे अधिक वन क्षेत्र है। राज्य में 12 राष्ट्रीय उद्यान, 25 वन्यजीव अभयारण्य और 9 टाइगर रिजर्व हैं। कान्हा (2.48 लाख), पेंच (1.92 लाख), बांधवगढ़ (1.94 लाख), पन्ना (3.85 लाख) और मढ़ई (4.34 लाख) जैसे प्रमुख वन्यजीव स्थलों पर पर्यटकों का आगमन हुआ। कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीतों की पुनस्र्थापना परियोजना ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। मप्र का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों के लिए एक अनमोल खजाना है। पचमढ़ी, अमरकंटक, भेड़ाघाट, हनुवंतिया, गांधीसागर, तामिया, सैलानी आइलैंड और सरसी आइलैंड जैसे स्थल प्राकृतिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं। वर्ष 2024 में पचमढ़ी में 2.87 लाख पर्यटक और भेड़ाघाट में 2.34 लाख पर्यटक पहुंचे। यहां रिसॉट्र्स, एडवेंचर, स्पोट्र्स, ट्रेकिंग ट्रेल्स और कैंपिंग सुविधाओं ने पर्यटकों को नया अनुभव दिया। गांधीसागर डैम, सैलानी आइलैंड, तामिया की पातालकोट घाटी और सरसी आइलैंड में प्राकृतिक सौंदर्य ने पर्यटकों को प्रकृति के और करीब लाया। बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना और पेंच जैसे नेशनल पार्कों में टाइगर देखने वालों की संख्या बढ़ी। विदेशी पर्यटक भी वाइल्डलाइफ टूरिज्म के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे। 1.67 लाख विदेशी पर्यटक प्रदेश में आए। पचमढ़ी, भेड़ाघाट, अमरकंटक, हनुवंतिया और सरसी आइलैंड जैसे प्राकृतिक स्थल पर्यटकों की पसंद बने। वाटर एडवेंचर, कैंपिंग और ट्रेकिंग जैसे अनुभवों ने युवाओं को खूब लुभाया। ग्वालियर में तीन गुना पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल भोजपुर भी शामिल हो गया है। ग्वालियर को ‘क्रिएटिव सिटी ऑफ म्यूजिक’ का दर्जा मिला है। जिससे मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को नया मंच मिला है।
धार्मिक नगरों के बाद अब वन्य क्षेत्रों तक सीधे हवाई सफर करना आसान होने जा रहा है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व सहित दूसरे वन्य क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंच पाएंगे। मध्य प्रदेश में पर्यटन को सुविधाजनक बनाने राज्य सरकार प्रदेश के प्रमुख टाइगर रिजर्व को हेलीकॉप्टर सेवा से जोडऩे जा रही है। इसके लिए पर्यटन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। मध्य प्रदेश के पर्यटन मंत्री के मुताबिक प्रदेश के प्रमुख स्थलों को हेलीकॉप्टर से जोड़े जाने के बाद पर्यटकों की राह और आसान होगी। देश के सबसे ज्यादा वन क्षेत्र वाले मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल टूरिस्टों को खूब पसंद आ रहे हैं। मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व में भी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही 29 हजार 192 पर्यटकों ने जंगल सफारी का आनंद उठाया। इसके अलावा कान्हा टाइगर रिजर्व में 19 हजार 148, पन्ना टाइगर रिजर्व में 12 हजार 762 और पेंच टाइगर रिजर्व में 11 हजार 272 पर्यटकों ने जंगल सफारी का आनंद उठाया। देशी पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटकों की संख्या भी मध्य प्रदेश में बढ़ी है। मध्य प्रदेश के ओरछा, ग्वालियर, खजुराहो में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक पहुंचे। पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार अब पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए हवाई रास्ता भी खोलने जा रही है। राज्य सरकार इसके तहत अब देश के जाने-माने टाइगर रिजर्व बांधवगढ़, कान्हा को हेलीकॉप्टर सुविधा से जोडऩे जा रही है। इसके लिए पर्यटन विभाग ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें प्रदेश के जबलपुर, बांधवगढ़, कान्हा, पेंच को हेलीकॉप्टर सेवा से जोड़ा जाएगा। इसके लिए 3 अलग-अलग सेक्टर में हेलीकॉप्टर सेवा को बांटा जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुताबिक उत्तराखंड की तर्ज पर मध्य प्रदेश के धार्मिक पर्यटन के अलावा वन्य क्षेत्रों को हेलीकॉप्टर सेवा से जोड़ा जा रहा है। इससे पर्यटकों को बड़ी सुविधा मिलेगी। पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला के मुताबिक प्रदेश के धार्मिक स्थलों के अलावा टाइगर रिजर्व को भी हेलीकॉप्टर सेवा से जोड़ा जा रहा है ताकि पर्यटक इन स्थानों तक आसानी से पहुंच सकें। प्रदेश में विदेश पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है। हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने के बाद विदेशी पर्यटक दूसरे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भी पहुंचेंगे। प्रदेश के टाइगर रिजर्व में देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ रही है। 5 वर्षों में टाइगर रिजर्व की लगभग 61 करोड़ 22 लाख की आय प्राप्त हुई। उमरिया जिले का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पर्यटकों की पहली पसंद बना है। इस टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है। वर्ष 2020-21 में यहां भारतीय पर्यटकों की संख्या एक लाख 20 हजार 800 थी। वर्ष 2021-22 में एक लाख 69 हजार 738, वर्ष 2022-23 में एक लाख 64 हजार 559, वर्ष 2023-24 में एक लाख 23 हजार 32 और वर्ष 2024-25 में माह मई तक एक लाख 60 हजार 500 रही। साथ ही विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। बांधवगढ़ में 5 वर्ष में भारतीय पर्यटकों की संख्या 7 लाख 38 हजार 637 और विदेशी पर्यटकों की संख्या 85 हजार 742 रही।
ग्रामीण पर्यटन
मप्र में ग्रामीण पर्यटन ने स्थानीय संस्कृति और आतिथ्य को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 63 पर्यटन ग्राम विकसित किए गए हैं। प्रदेश में 470 से अधिक होमस्टे का निर्माण किया गया है, जिनसे अब तक 24 हजार से अधिक अतिथि स्थानीय संस्कृति और खानपान का अनुभव ले चुके हैं। पचमढ़ी, कान्हा और अमरकंटक जैसे क्षेत्रों के आसपास के गांवों में होम स्टे सुविधाएं पर्यटकों के लिए अनूठा अनुभव बन गई है। चंदेरी में भारत के पहले हैंडलूम गांव प्राणपुर ने स्थानीय शिल्पकारों को वैश्विक पहचान दिलाई है। आदिवासी समुदायों की कला जैसे गोंड, भील पेंटिंग और मांडना आर्ट पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। अगर आप प्रकृति के बीच अपनी छुट्टी मनाना चाहते हैं या जंगल और पहाड़ों से घिरे किसी गांव में नाइट स्टे का प्लान है, तो तामिया (छिंदवाड़ा) की वादियों में अब आपके लिए गांव में ही तैयार हैं होम स्टे। कच्चे घर, चूल्हे पर गरमा-गरम रोटियां और चने की सब्जी। साथ में बैलगाड़ी की सवारी और डैम में बोटिंग भी। सिर्फ तामिया ही नहीं, बल्कि प्रदेश में ऐसे 241 होम स्टे हैं, जहां पर आप रातें गुजार सकते हैं। इस दौरान चारों ओर प्रकृति को भी करीब से निहार सकेंगे। यहां 2000 रुपए से पैकेज शुरू हो जाता है। पन्ना, छतरपुर, मंडला, डिंडौरी, देवास, सीहोर, खंडवा, बालाघाट समेत कई जिलों के 121 पर्यटक गांव हैं, जहां 241 होम स्टे बने हैं। अगले एक-दो साल में इन्हें चार गुना यानी 1 हजार तक करने का टारगेट है। इन होम स्टे से शहरी पर्यटकों का भी गांवों की ओर रुझान बढ़ा है। वे गांव के कल्चर को करीब से जान रहे हैं। यही वजह है कि बड़ी होटलों को छोड़ पर्यटक अब गांवों में बने कच्चे घरों में ही होम स्टे कर रहे हैं।
पर्यटक गांवों में होम स्टे आमदनी का एक जरिया बन चुके हैं। एक परिवार महीने में औसत 20 से 25 हजार रुपए कमा रहा है। बीते 2 साल में 24 हजार से ज्यादा पर्यटक स्थानीय रहन-सहन और खानपान का अनुभव ले चुके हैं। यह पहल न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति दे रही है बल्कि महिलाओं, युवाओं और आदिवासी समुदाय को रोजगार और पहचान भी दे रही है। छिंदवाड़ा के तामिया के सनोद नागवंशी ने 2 कमरों में होम स्टे शुरू किया है। खेती-बाड़ी के साथ यह उनकी आय का यह बड़ा जरिया बन चुका है। वे बताते हैं, ढाई हजार रुपए का मिनिमम पैकेज है। एक छोटा परिवार रूम में अच्छे से रुक सकता है। होम स्टे इतना बढिय़ा है कि कर्नाटक, राजस्थान-गुजरात तक के पर्यटकों भी भा गया है। सनोद को भोपाल में सीएम डॉ. यादव ने सम्मानित भी किया। पन्ना के जनवार में भी कई परिवार होम स्टे संचालित कर रहे हैं। यहां के बृजेंद्र यादव ने बताया कि गांव में 10 होम स्टे हैं। यहां स्केट पार्क है, जो पूरे देश में फेमस है। वहीं पन्ना टाइगर रिजर्व भी है। इसलिए पर्यटक बड़ी-बड़ी होटलों को छोड़ यहां रुकने आते हैं। घर के सदस्य ही मेहमानवाजी करते हैं। उन्हें चूल्हे की रोटियां ही खिलाते हैं। रायसेन के गाड़ाखेड़ी निवासी झलकन सिंह अहिरवार बताते हैं कि वे जैविक खेती करते हैं और जैविक फल-सब्जी ही मेहमानों को खिलाते हैं। एक परिवार के लिए होम स्टे की सुविधा शुरू की है। कान्हा नेशनल पार्क के पास होम स्टे संचालित करने वाले लोकेश डोंगरे ने बताया कि पूरा ईको होम स्टे है। पर्यटकों के लिए एक ऐसा परिवेश तैयार किया गया है, जो उन्हें गांव के कल्चर से रूबरू कराता है। होम स्टे में एयर कंडिशनर नहीं है। इसके बाद भी अंदर का टेम्प्रेचर बाहर की तुलना में 5 से 6 डिग्री तक कम रहता है। एक महीने में 50 से ज्यादा परिवार, विदेशी पर्यटक आते हैं। अलग-अलग पैकेज हैं। एक अन्य होम स्टे संचालक ने बताया कि छतरपुर का धमना पर्यटक गांव है। यहां 9 होम स्टे हैं। 15 किमी दूर खजुराहो है। दो-तीन वाटरफॉल और पन्ना टाइगर रिजर्व है। गांव में साल 2018 से ही होम स्टे सुविधा शुरू हो गई थी। अब भी नए होम स्टे बन रहे हैं। बैलगाड़ी, कैमरा, जिप्सी वालों को भी रोजगार मिला है। रूरल टूरिज्म ने महिलाओं को रोजगार का नया माध्यम दिया है। अब कई महिलाएं खुद का होम स्टे चला रही हैं, जहां वे खुद खाना बनाती हैं, मेहमानों को गाइड करती हैं और सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल कराती हैं। उदाहरण के लिए बालाघाट जिले के गोंड आदिवासी बहुल गांवों में, महिला समूहों ने मिलकर होम स्टे चलाना शुरू किया, जिससे उन्हें महीने में 15 हजार रुपए तक की आय हो रही है। यह प्रोजेक्ट उन जिलों में खास फोकस कर रहा है, जहां अभी कम गतिविधियां हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी देवगढ़ की कविता से बात की। वे होम स्टे का संचालन कैसी करती हैं, ये भी जाना।
आधुनिकता और संस्कृति का मेल
भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे शहर अपनी आधुनिकता, स्वच्छता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाने जाते हैं। वर्ष 2024 में इंदौर में 1.02 करोड़, भोपाल में 22 लाख और जबलपुर में 23 लाख पर्यटक पहुंचे। इंदौर ने 7वीं बार स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में पहला स्थान हासिल किया है, जो इसे एक स्वच्छ और स्मार्ट पर्यटन गंतव्य बनाता है। मप्र ने वर्ष 2024 में पर्यटन के हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए देश और दुनिया के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाई है। धार्मिक आस्था से लेकर ऐतिहासिक विरासत, वन्यजीव रोमांच से लेकर प्राकृतिक सौंदर्य, ग्रामीण आत्मीयता से लेकर शहरी आधुनिकता और सिनेमाई आकर्षण तक अतुलनीय मप्र ने हर पर्यटक को एक नया अनुभव दिया है। प्रदेश में 13.41 करोड़ पर्यटकों का आगमन इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश में पर्यटन न केवल तेजी से बढ़ रहा है, बल्कि सतत विकास और समावेशिता के नए प्रतिमान भी स्थापित कर रहा है। राज्य सरकार की प्रतिबद्धता, नीतिगत नवाचार और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से मप्र आगामी वर्षों में भी पर्यटन का नया अध्याय रचेगा।
मप्र फिल्म पर्यटन के क्षेत्र में भी एक अलग पहचान बना रहा है। चंदेरी और महेश्वर जैसे स्थल फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद बन गए हैं। स्त्री 2 की शूटिंग ने चंदेरी को पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाया, जहां 47 हजार 630 पर्यटक पहुंचे। महेश्वर में 13.53 लाख पर्यटक आए, जो कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों की शूटिंग का गवाह बना। हाल ही प्रदेश में निर्मित फिल्म होमबाउंड को फिल्म जगत के प्रतिष्ठित कान्स फिल्म फेस्टिवल में दुनिया भर के दिग्गजों की प्रशंसा मिली। नई फिल्म नीति-2025 और पर्यटन सुविधा सेल ने मप्र को फिल्म निर्माताओं के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाया है। प्रदेश में स्त्री, सुई धागा, दबंग 2, पैडमैन, पंचायत (वेब सीरीज) और महारानी जैसे प्रोजेक्ट्स ने प्रदेश की सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया। खजुराहो, ग्वालियर और मांडू जैसे स्थल भी फिल्म शूटिंग के लिए लोकप्रिय हुए।