विकसित भारत की उड़ान भरता मोहन ‘राज’

मोहन ‘राज’
  • पीएम मोदी का सपना साकार कर रहा है मप्र

मप्र की मोहन सरकार विकास के हर पैमाने पर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मेाहन यादव का लक्ष्य है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत को जो सपना देखा है उसमें मप्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। इसलिए आज मोहन ‘राज’ विकसित भारत की उड़ान भर रहा है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मप्र को विकास का मॉडल बनाने के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि मप्र को विकास के मामलों में मॉडल बनाया जाएगा। विकास कार्यों में जो कठिनाइयां आती हैं उन्हें दूर करते हुए विकास की गति तेज की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है कि मप्र का समुचित विकास तभी होगा, जब हर वर्ग विकास यात्रा का सहभागी बनेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का सपना साकार हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि गांव, गरीब सहित सभी वर्गों के लिए व्यवस्थित योजना से मप्र विकास और जनकल्याण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारतञ्च2047 के संकल्प को पूरा करने के लिए राज्य सरकार विकसित मप्र के लक्ष्य के साथ कार्य कर रही है। राज्य का बजट 2025-26 इसी संकल्प की प्राप्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि नई सरकार बनते ही अगले 5 साल में बजट को दोगुना करने का लक्ष्य तय कर लिया गया था। वर्ष 2025-26 का बजट इसी दिशा में अनुकरणीय प्रयास है। इस बजट में राज्य के गरीब, युवा, अन्नदाता किसान और नारी (ज्ञान) सहित सभी वर्गों की बेहतरी के संकल्प को पूरा किया गया है। सभी क्षेत्रों में विकास के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वर्ष- 1956 में मप्र का गठन हुआ, लेकिन वर्ष 2003-04 तक मात्र 20 हजार करोड़ रूपये का बजट था, अब हम इसे 21 गुना बढ़ाते हुए 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपए तक पहुंचे हैं। यह दर्शाता है कि मप्र को अग्रिम पंक्ति में खड़ा करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। मप्र, भारत के सभी राज्यों में सबसे तेज गति से बढऩे वाला प्रदेश है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ संकल्प को ही कार्यसिद्धि का मंत्र बनाया है। उन्होंने देश के सर्वाँगीण विकास के लिए समाज के सभी वर्गों के एक साथ और एक समान सशक्तिकरण को आवश्यक बताया है। इस संकल्प की सिद्धि के लिए मप्र सरकार लगातार मिशन मोड में कार्य कर रही है। मिशन मोड में विकास पथ पर तेजी से आगे बढऩे के लिये प्रदेश सरकार ने गरीब कल्याण मिशन, युवा शक्ति मिशन, किसान कल्याण मिशन और नारी सशक्तिकरण मिशन लागू किये हैं। सभी मिशनों को पूरा करने के लिए अलग-अलग रोड़ मैप तैयार कर प्रभावी क्रियान्वयन शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के देश के सर्वांगीण विकास के संकल्प ने प्रेरित किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि समाज के सभी वर्गों के मिशन मोड में सशक्तिकरण से मप्र विकास की नई ऊचाइयों को स्पर्श करेगा।

मिशन मोड में सरकार
मप्र सरकार मिशन मोड में विकास कार्य कर रही है।गरीब कल्याण मिशन का मुख्य उद्देश्य गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों को मजबूत करना है, ताकि वंचित वर्ग को कठिन समय में आवश्यक सहायता मिल सके। इसके अतिरिक्त, मिशन इस वर्ग को रोजगार से संबंधित चुनौतियों से निपटने में सक्षम योजनाओं का लाभ दिलाएगा। आर्थिक रूप से पिछड़े, जरूरतमंदों को मिशन में वित्तीय सहायता प्रदान कर आर्थिक सशक्तिकरण में मदद करेगा। बुनियादी सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास तक पहुंच में सुधार किया जाएगा, जिससे गरीब परिवारों के जीवन स्तर में सुधार हो सकें। गरीब कल्याण मिशन, मप्र सरकार द्वारा शुरू की जाने वाली एक अभिनव पहल है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को सशक्त बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाएं और आवश्यक सेवाएं उन तक सहजता से पहुंच सकें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को विश्वास है कि ‘स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन’ प्रदेश के युवाओं के सशक्तिकरण का सक्सेस मंत्र सिद्ध होगा। युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी 2025 को लाँच किया गया यह मिशन युवा पीढ़ी को आधुनिकतम तकनीकों, उद्यमिता और खेल क्षेत्र में उच्च कौशल से सशक्त बनाएगा। यह मिशन से प्रदेश के युवाओं को बदलते दौर में स्वयं को विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं के लिये सशक्त बनायेगा। इससे मिशन की परिणिति युवाओं के सफल एवं सक्षम नेतृत्व के गुणों से संपन्न बनने, ग्लोबल जॉब मार्केट का सशक्त प्रतिस्पर्धी बनने और नौकरी ढूंढऩे की कतारों में लगे युवा के स्थान पर नौकरी देने वाला उद्यमी बनने में होगी। ‘युवा शक्ति मिशन’ के सफल क्रियान्वयन में आधुनिक तकनीक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कौशल विकास के पाठ्यक्रम युवाओं को सहजता से उपलब्ध कराने और उसे सहजता से समझाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म लॉन्च किए गए हैं। इस फ्लेटफार्म की सुविधाएं ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के युवाओं को समान रूप से सुलभ होंगी। मिशन का लाभ प्रदेश के युवा बढ़-चढ़ कर ले सकें, इसके लिए सोशल-मीडिया के माध्यमों का भी प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। इससे युवाओं को मिशन से संबंधित जानकारी आसानी से उपलब्ध हो रही है और युवाओं में मिशन के प्रति जागरूकता और रुचि बढ़ रही है।
कृषि और कृषक देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण आधार हैं। इसलिए मप्र की मंत्रि-परिषद ने 15 अप्रैल को कृषक कल्याण मिशन को हरी झंडी दे दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में इस मिशन का उद्देश्य है कि अन्नदाता समृद्ध हों और कृषि क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता आए। इस मिशन का उद्देश्य फसल-विविधीकरण के साथ ही पशुपालन एवं मत्स्य पालन जैसे सहायक व्यवसायों को एकीकृत कर समावेशी कृषि को बढ़ावा देना है। मिशन में कृषि-आधारित उद्यमिता जैसे प्रगतिशील उपायों को वित्तीय सहायता और तकनीकी परामर्श देकर प्रोत्साहित किया जाएगा। मिशन के अंतर्गत जैविक खेती, पशुपालन, मत्स्य-पालन जैसे व्यवासायों का एकीकरण और उन्हें बाजारोन्मुखी बनाकर उपज की पहुंच बाजारों में सुनिश्चित करने के साथ ही कृषि-उद्यमिता को प्रोत्साहन पर जोर दिया जाएगा। मिशन किसानों को सीधे बाजारों से जोडऩे के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों और स्थानीय मेलों का भी आयोजन भी कर रहा है, जिससे उनकी उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित हो रहा है। किसानों का वित्तीय बोझ को कम करने के लिए मिशन के अंतर्गत बीज, उर्वरक और उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय सहायता और अनुदान दिया जा रहा है। इससे कृषि लागत कम होंगी और आय में वृद्धि होगी। पुण्य-श्लोका लोकमाता देवी अहिल्या बाई के 300वें जयंती वर्ष में उनकी प्रशासन-स्थली महेश्वर में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में देवी अहिल्या बाई नारी सशक्तिकरण मिशन का शुभारंभ किया गया। नारी सशक्तिकरण मिशन राज्य में मातृ-शक्ति की सामाजिक-आर्थिक स्थितियां सुधार कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मिशन का उद्देश्य महिलाओं को पुरुषों के ही समान अवसर उपलब्ध करा कर प्रदेश में जेंडर इक्वलिटी को बढ़ावा देना है। मिशन के अंतर्गत नारी शिक्षा और कौशल के विकास के लिए उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इससे रोजगार प्राप्त कर पाने के लिए नारी की सक्षमता और संभावनाएं बढ़ेंगी और उन्हें वित्तीय आत्मनिर्भरता प्राप्त होगी। मिशन महिला उद्यमिता को भी बढ़ावा देगा, उन्हें अपने व्यवसाय शुरू करने और उसके सुचारु संचालन के संसाधन, मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। इसमें महिलाओं के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीडऩ जैसी लैंगिक समस्याओं से निपटने के कार्यक्रम भी शामिल होंगे। इससे प्रदेश में समावेशी समाज की स्थापना हो सकेगी।

हर रास्ता होगा हाईटेक
मप्र में लोक निर्माण से लोक कल्याण के तहत सडक़ और अधोसंरचना विकास को नई दिशा दी जा रही है। 22,500 करोड़ की लागत से 10,000 किमी सडक़ों और 474 पुलों का निर्माण जारी है, जिससे प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की कनेक्टिविटी मजबूत हो रही है। मप्र में अधोसंरचना विकास अब केवल निर्माण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तन का वाहक बन गया है। लोक निर्माण विभाग ने ‘लोक निर्माण से लोक कल्याण’ का नारा देकर सडक़ विकास को प्रदेश की प्रगति का आधार बना दिया है। आधुनिक तकनीकों, पर्यावरण संरक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण और डिजिटल नवाचार जैसे लोकपथ ऐप के जरिए विभाग ने राज्य के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से नया रूप दे दिया है। प्रदेश के हर कोने को जोडऩे वाला पीडब्ल्यूडी का सडक़ नेटवर्क अब प्रदेश की धडक़न बन चुका है। इस विस्तारशील नेटवर्क के जरिए प्रदेश के गांव, कस्बे, कृषि क्षेत्र और औद्योगिक हब अब एक-दूसरे से बेहतर ढंग से जुड़े हैं, जिससे आवागमन सुगम और आर्थिक गतिविधियां तेज हुई हैं। इसके अंतर्गत मप्र को प्रगति के पथ पर बढ़ाने के लिए विभाग ने सडक़ निर्माण में आधुनिक तकनीक, पर्यावरण संरक्षण, लोकपथ ऐप और गुणवत्ता नियंत्रण से राज्य का बुनियादी ढांचा ही बदल दिया है। प्रदेश में अधोसंरचना विकास अब केवल निर्माण कार्यों तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह समग्र सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तन का माध्यम बन चुका है। लोक निर्माण विभाग का नेटवर्क प्रदेश के गांवों, शहरों, कृषि क्षेत्रों और औद्योगिक केंद्रों को एकसूत्र में पिरोने का काम कर रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने 10 हजार करोड़ मेें 474 पुल और फ्लाईओवर बनाने का काम शुरू कर दिया है। मप्र में मौजूदा दौर में लोक निर्माण विभाग के अधीन 80,775 किमी लंबा सडक़ का नेटवर्क क्रियाशील है। जिसमें 9,315 किलोमीटर नेशनल हाइवे, 11,389 किमी स्टेट हाईवे, 25,639 किमी मुख्य जिला सडक़ और 34,432 किलोमीटर दूसरे जिले की सडक़ें शामिल हैं। इन सडक़ों का यह नेटवर्क मप्र के गांवों, कस्बों और नगरों के साथ कृषि क्षेत्रों के साथ ही औद्योगिक केंद्रों को एकसूत्र में पिरोने का काम कर रहा है। पिछले 14 महीनों की बात करें तो इस अवधि के दौरान 6,400 करोड़ रुपये की लागत से करीब 5,500 किमी की लंबी सडक़ों का निर्माण और मजबूतीकरण किया गया। 345 करोड़ रुपये की लागत से 1,500 किमी का डामरीकरण और 2 हजार करोड़ रुपये से 110 पुलों और एलिवेटेड कॉरिडोर का प्रदेश में निर्माण किया गया है। मौजूदा दौर में 22,500 करोड़ रुपये लागत की 10 हजार किमी सडक़ों और 10 हजार 463 करोड़ रुपये से 474 पुलों और फ्लाईओवरों पर काम तेजी से प्रगति पर है। मप्र सरकार की ओर से भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे प्रमुख शहरों में एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण को प्राथमिकता दी गई है। साथ ही नर्मदा प्रगतिपथ के साथ ही विंध्य एक्सप्रेस-वे, मालवा और निमाड़ कॉरिडोर के साथ अटल प्रगतिपथ ही नहीं बुंदेलखंड और मध्य भारत विकास पथ जैसी आधा दर्जल प्रमुख परियोजनाओं को प्रारंभ किया गया है। यह सडक़ें मप्र के दूरस्थ अंचलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ेंगी। मप्र में करीब सभी राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन में बदला जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक चार हजार 740 किमी लंबी सडक़ों को फोर लेन में बदल दिया गया है। बाकी बची करीब 3,050 किलोमीटर नेशनल हाईवे को भी फोरलेन करने का काम तेजी से जारी है। प्रदेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को सरकर मजबूत करने में जुटी है। सडक़ों का उन्नयन और चौड़ीकरण हो रहा है। पुल और फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। नई कार्ययोजना में लोक निर्माण विभाग ने प्रदेश में 10 हजार करोड़ से अधिक की लागत से 474 पुल और फ्लाईओवर निर्माण का काम शुरू कर दिया है। ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल और इंदौर जैसे प्रमुख शहरों में एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है। इसके लिए भी लोक निर्माण विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में छह साल में 234 पुल और फ्लाईओवर बनकर तैयार हो चुके हैं। पिछले साल 42 पुल बने हैं। हालांकि लक्ष्य 75 पुल और फ्लाई ओवर बनाने का था। प्रदेश की सडक़ों के उन्नयन और चौड़ीकरण काम मप्र सडक़ विकास निगम द्वारा किया जा रहा है। निगम द्वारा निजी पूंजी निवेश, सामान्य कांट्रैक्ट योजना, एडीबी, एनडीबी के वित्त पोषण और हाईब्रिड एन्यूटी मॉडल के तहत सडक़ों का निर्माण किया जा रहा है। मप्र में राष्ट्रीय राजमार्गों के संधारण, नवीनीकरण मजबूतीकरण तथा चौड़ीकरण का काम लोक निमाण विभाग के राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र, प्रदेश सडक़ विकास निगम द्वारा किए जा रहे हैं। वर्तमान में मप्र में 9315 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। 9315 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग में से वर्तमान में 4539 किमी लंबाई के लोक निर्माण विभाग के अधीन हैं। 4777 किमी के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन हैं। प्रदेश में 475 सेतु के काम स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें 116 आरओबी, 8 फ्लाई ओवर ब्रिज और 351 बड़े पुल शामिल हैं। स्वीकृत कार्यों की लागत 10466 करोड है। इन कार्यों पर मार्च 2024 तक 1654 करोड खर्च हो चुके हैं। नाबार्ड योजना के तहत जिले और गांवों की 1711 सडक़ों का निर्माण किया जाना है। इसके लिए 4559.88 करोड एवं 425 पुल निर्माण के लिए 1157.97 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया गया है। योजनांतर्गत 18742.02 किलोमीटर सडक़ों का निर्माण किया जाना है। विभिन्न चरणों में स्वीकृत कार्यों में से 1628 सडक़ कार्य एवं 407 पुल के काम हो चुके हैं। इसके अलावा विभाग ने 6309.03 करोड़ के प्रतिपूर्ति दावे नाबार्ड को प्रस्तुत किए गए हैं, जिनके विरुद्ध 4976.85 करोड़ की राशि नाबार्ड द्वारा प्रतिपूर्ति भी कर दी गई है। जिला योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-2025 में 5794.65 करोड़ आवंटन के विरुद्ध 3429 करोड़ का व्यय किया जा चुका है। केंद्रीय सडक़ निधि से प्रदेश की सडक़ों का निर्माण हो रहा है। इसके तहत वर्ष 2000-2001 से वर्ष 2024-25 तक 8437 किमी लंबाई की सडक़ो का निर्माण और उन्नयन किया जा रहा है। इसके लिए 12056.15 करोड़ की स्वीकृति मिली है। स्वीकृत कार्यों में से 358 काम पूरे भी हो चुके है। इन सडक़ों के निर्माण में 7953.69 करोड़ का व्यय किया गया है। शेष 55 कार्यों में से 3 कार्य लंबाई 71.60 किमी लागत 171.72 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति निरस्त हो चुकी है। इससे ये निर्माण कार्य फिलहाल लंबित है।

आईटी हब बन रहा मप्र
प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी में अभी हाल ही में टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव-2025 का आयोजन किया गया। टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव-2025 का सफल आयोजन राज्य में आईटी, डेटा सेंटर, एआई और स्टार्ट-अप ईको सिस्टम के तेजी से हो रहे विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। इस आयोजन में कई नामी कंपनियों ने राज्य में अपने नए निवेश, विस्तार और योजनाओं की घोषणा की, जो रोजगार और नवाचार के नए अवसरों का सृजन करेगी। पंचशील रियल्टी ने इंदौर के सुपर कॉरिडोर में 1.2 मिलियन वर्ग फीट के आईटी और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट की घोषणा की है। यह कंपनी पहले से ही देशभर में 31.7 मिलियन वर्ग फीट प्रीमियम रियल एस्टेट बना चुकी है। इंदौर में यह प्रोजेक्ट आईटी और आईटीईएस कंपनियों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना राज्य में आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती मांग को पूरा करेगी। इससे आईटी, आईटीएस और ईएसडीएम क्षेत्रों की कंपनियों के लिये इंदौर महत्वपूर्ण स्थान बनेगा। पंचशील ब्लैकस्टोन समूह के साथ मिलकर नवी मुंबई में भारत का सबसे बड़ा डेटा सेंटर हब बना रही है, जो 65 प्रतिशत तक नवकरणीय ऊर्जा पर चलेगा। पंचशील रियल्टी के चेयरमैन अतुल चोराडिया का कहना है कि इंदौर में आईटी पार्क की शुरुआत हमारे लिए गर्व का विषय है। राज्य का प्रगतिशील दृष्टिकोण, निवेशक अनुकूल नीतियाँ और बुनियादी ढांचा इसे निवेश के लिए आदर्श राज्य बनाते हैं। यह परियोजना विश्वस्तरीय ईको सिस्टम विकसित करेगी। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (भेल) देश की एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है, जो वर्ष 1954 से स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा दे रही है। भेल ने सशस्त्र बलों को मिशन क्रिटिकल रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम दिये हैं। भेल ने प्रदेश में अपने रक्षा सॉफ्टवेयर विकास केंद्र (स्ष्ठष्ट) के विस्तार की घोषणा की है। यह केंद्र एआई, डेटा एनालिटिक्स, रडार, साइबर सुरक्षा और अन्य उन्नत तकनीकों पर काम करेगा, साथ ही स्मार्ट सिटीज, डिजिटल एग्रीकल्चर, हेल्थ मेनेजमेंट सिस्टम और ई-गवर्नेस जैसे क्षेत्रों में भी योगदान देगा। भेल के सीएमडी श्री मनोज जैन ने कहना है कि हमारे एआई केंद्र का विस्तार भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम है। मप्र का वातावरण इसके लिए आदर्श है। एशिया की सबसे बड़ी रेटेड 4 डेटा सेंटर कंपनी सीटीआरएलएस डेटा सेंटर्स लिमिटेड कंपनी भारत के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर रही है। यह कंपनी देशभर में 15 से ज्यादा डेटा सेंटर संचालित कर रही है। यह सौर ऊर्जा परियोजनाओं में भी निवेश कर रही है और कंपनी ने वर्ष 2030 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य तय किया है। कंपनी की मप्र में डेटा सेंटर स्थापित करने की योजना है। कंपनी भारत की एआई क्रांति को शक्ति प्रदान करने के लिये राज्य की प्रगतिशील नीतियों, विद्युत सरपल्स स्थिति और मजबूत कनेक्टिविटी का लाभ उठा रही है। संस्थापक अध्यक्ष और एमडी, सीटीआरएलएस श्री श्रीधर पिन्नापुरेड्डी का कहना है कि राज्य डेटा सेंटर उद्योगों को कई तरह के प्रोत्साहन और सब्सिडी प्रदान कर रहा है। हम सरकार के साथ मिलकर राज्य के डेटा सेंटर उद्योग को बढ़ावा देंगे और सशक्त करेंगे। वर्की, जो कभी एक स्टार्ट-अप था, अब भारत के शीर्ष ऑफिस स्पेस सॉल्यूशन प्रदाताओं में शामिल हो गया है। इंदौर और भोपाल में इसके संचालन से 10 हजार से से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं। आईटी कंपनी के लिए आवश्यक इन्?फ्रास्ट्रक्चर विकसित होने से 70 से अधिक कंपनियों की स्थापना राज्य में हुई है। कंपनी स्टार्ट-अप, आईटी उद्योगों के लिये आधुनिक, उच्च स्तरीय वर्क स्पेस और प्लग-एंड-प्ले कार्य स्थल की सुविधा प्रदान करताक है। वर्की के फाउंडर श्री सावन लड्ढा का कहना है कि मप्र हमारी मातृभूमि है और हम यहां अधिक व्यवसाय और नौकरियां लाने के लिये प्रतिबद्ध हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम, डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) क्षेत्र की अग्रणी कंपनी कास्टएनएक्स प्रॉयवेट लिमिटेड की राज्य में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और हाई-टेक हार्डवेयर सॉल्यूशंस क्षेत्र में निवेश की योजनाएँ हैं। कंपनी के एमडी और सीईओ श्री मनोज मोदी का कहना है कि राज्य की नई आईटी, आईटीएस और ईएसडीएम निवेश संवर्धन नीति-2023 से हमें वित्तीय एवं गैर वित्तीय सहयोग मिला है। राज्य की नवीन नीति ने हमें विकास और नवाचार के लिए प्रेरित किया है। आईआईटी इंदौर दृष्टि सीपीएस फाउंडेशन राज्य में इनोवेशन, रिसर्च और एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देगा। यह संस्था अपने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से राज्य के स्टार्ट-अप्स को गाइड करेगी और उन्हें फंडिंग दिलाने में भी मदद करेगी। दृष्टि सीपीएस फाउंडेशन के सीईओ, श्री आदित्य एसजी व्यास ने कहा कि मप्र तेजी से नवाचार और औद्योगिक विकास केन्द्र के रूप में उभर रहा है। केंद्र स्टार्ट-अप्स को मार्गदर्शन और फंडिंग के अवसरों की सुविधा प्रदान करेगा। इससे राज्य में उद्यमिता और नवाचार को बल मिलेगा। इंदौर में स्थापित रैकबैंक और उसकी सहयोगी कंपनी नीव क्लाउड भारत में एआई आधारित डेटा सेंटर और क्लाउड सेवाएं प्रदान कर रही हैं। ये कंपनियाँ उच्च घनत्व वाले ग्रीन डेटा सेंटर बना रही हैं और भारत के पहले एआई-क्लाउड प्लेटफॉर्म के रूप में काम कर रही हैं। प्रबंधन टीम का कहना है कि हम भारत के एआई-प्रथम भविष्य की नींव रख रहे हैं और स्टार्ट-अप्स को ताकत दे रहे हैं। राज्य में देश की अग्रणी आईटी कंपनियों द्वारा निवेश का प्रस्ताव देने से यह स्पष्ट है कि राज्य देश में निवेश, नवाचार और तकनीकी विकास का नया केंद्र बन रहा है।

जल संरक्षण के लिए अभियान
प्रदेश में 30 मार्च से शुरू किया गया जल गंगा संवर्धन अभियान नागरिकों की भागीदारी से सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। यह अभियान समाज के प्रत्येक तबके को महत्वपूर्ण उद्देश्य से जोडऩे में सफल रहा है। प्रत्येक जिले में जल स्रोतों की पहचान की गई है और उनके संरक्षण की दिशा में ठोस कार्य किया जा रहा है। अभियान में प्राचीन बावड़ी के इतिहास की जानकारी नागरिकों को देते हुए इसके सफाई अभियान से नागरिकों को जोड़ा गया है। यह अभियान 30 जून तक चलेगा। अभियान में जल संरचनाओं को राजस्व रिकार्ड में भी जागरूकता के साथ दर्ज किया जा रहा है। उमरिया जिले में अम़ृत सरोवर को राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया जा रहा है। जिले में एक मई तक 30 अमृत सरोवरों में से 20 अमृत सरोवरों को राजस्व़ रिकार्ड में दर्ज किया जा चुका है। राजस्व अभिलेख में अन्य जल संरचनाएं नहर, तालाब, चेक डेम, स्टॉप डेम इत्यादि को भी अभिलेख मे दर्ज किया गया है। इनकी संख्या 173 है। जिले में नदी, तालाबों, घाटों, कुओं के आस पास श्रमदान करके साफ-सफाई की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ जल स्रोतों के आस-पास हुए अतिक्रमण को हटाने की भी कार्रवाई की जा रही है। तहसीलदार मानपुर ने बताया कि चितौहा, नाला डोडका, ताजिया नाला, मझखेता ग्राम पंचायत के अंतर्गत 0.185 हैक्टेयर में हुए अतिक्रमण को हटाने की भी कार्रवाई की गई। शहडोल जिले में जल स्रोतों के संरक्षण के काम को आंदोलन का रूप दिया गया है। जनमानस में यह संदेश दिया गया है कि जल को बचाएं, जीवन को बचाएं, जब तक जल सुरक्षित है तब तक कल सुरक्षित है। जिले की समस्त जनपद पंचायत की ग्राम पंचायतों में जल गंगा संवर्धन अभियान में लोग उत्साह एवं उमंग के साथ जल का महत्व समझते हुए श्रमदान कर रहे हैं। नरवार, मझौली ग्राम पंचायत में नवीन खेत तालाब के कार्य किए गए हैं। जनपद पंचायत जयसिंहनगर की ग्राम पंचायत कोठीगढ़ में नदी नालों के साफ सफाई कार्य में श्रमदान किया गया। देवास जिले में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने हाटपीपल्या विधानसभा क्षेत्र के ग्राम टिगरिया गोगा में जल गंगा संवर्धन अभियान में 4 करोड़ 93 लाख रूपये की लागत से बनने वाले बैराज का भूमि-पूजन किया। उन्होंने ग्राम टिगरिया गोगा में क्षिप्रा में मिलने वाले नाले की सफाई और गहरीकरण कार्य में श्रमदान किया। उन्होंने कहा कि जल गंगा संवर्धन अभियान में जिले के सभी नागरिक कम से कम एक घण्टे श्रमदान अवश्य करें। मंत्री सिलावट ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा विकसित भारत के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले 5 सालों में प्रदेश में 100 लाख हैक्टेयर में सिंचाई करने का कार्यक्रम तैयार किया गया है। हाटपीपल्या विधायक मनोज चौधरी ने बताया कि 6 हजार करोड़ रूपये की हाटपीपल्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना से विधानसभा के किसानों को लाभ मिलेगा। हाटपीपल्?या विधानसभा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी पर 26 करोड़ 90 लाख रुपए की लागत से टिगरिया गोगा सहित सात नये बड़े बैराज बनाए जायेंगे। जिसमें गजनोदखेड़ा बैराज, पटाडा बैराज, दखनाखेडी बैराज, रणायर बैराज, सिरोंज बैराज एवं बरोड़ पिपलिया बैराज भी बनाये जायेंगे। इससे नदी में पानी का प्रवाह बना रहेगा एवं 1974 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी।
बुरहानपुर जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान जन भागीदारी के साथ उत्साहपूर्वक चलाया जा रहा है। जिले में स्थित प्रत्येक जल स्त्रोतों को चिन्हित कर उनके संरक्षण व साफ-सफाई का कार्य किया जा रहा है। इसी श्रृंखला में कलेक्टर श्री हर्ष सिंह के निर्देशानुसार नवीन आरटीओ ऑफिस के पास बिरोदा रोड पर स्थित तालाब एवं चेक डेम के पास जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत श्रमदान किया गया। स्टॉप डेम पर श्रृंखला बना कर श्रमदान किया गया। डेम के गहरीकरण का कार्य भी किया जा रहा है। सामूहिक रूप से श्रमदान में बड़े-छोटे पत्थरों को भी तालाब से उठा कर किनारे किया गया। वही एकत्रित किए गए कचरे को ट्रैक्टर ट्रॉली के माध्यम से उचित जगह निपटान किया गया। तालाब में पानी भराव से पशुओं और जलीय जीवो को भी लाभ मिलेगा। विदिशा जिले में ग्यारसपुर बाजरा मठ के समीप स्थित प्राचीन हराऊ बावड़ी में सफाई कर श्रमदान किया गया। इसके साथ ही ग्रामीणों के बीच जल चौपाल भी लगाई गई। ग्रामीणों को जल संरक्षण की शपथ दिलाई गई। इंदौर जिले में जल स्रोतों की सफाई का कार्य प्रभावी रूप से किया जा रहा है। जिले में तालाबों, कुँओं, बावडिय़ों के गहरीकरण, जीर्णोद्धार के कार्य किये जा रहे हैं। ग्रामीणों को जल संरक्षण के प्रति प्रेरित किया जा रहा है। गाँव-गाँव में जनजागरूकता के कार्यक्रम भी हो रहे हैं। गाँवों में जल यात्रा निकाली जा रही है। ग्रामीणों से चर्चा के लिए जल संवाद कार्यक्रम भी हो रहे हैं। महू विकासखंड में भी रात्रि में आदर्श ग्राम में बैठक ली गई। ग्रामीणों को जल का महत्व बताया गया। जल को संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया गया। नरसिंहपुर जिले में विकासखंड चांवरपाठा में जल संरक्षण व संवर्धन विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में बताया गया कि जिले में जल संरक्षण व संवर्धन की दिशा में अनेक कार्य किये जा रहे हैं। बरसात के पूर्व जल संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इसमें कंटूर ट्रेंच, खेत-तालाब, खंती निर्माण और पुरानी जल संरचनाओं की साफ-सफाई व जीर्णोद्धार के कार्य किये जा रहे हैं। इसके अलावा नागरिकों को अभियान से जोडऩे व जल संचयन के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। यह अभियान सिर्फ शासकीय अभियान नहीं हैं, यह आने वाली पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण अभियान है। आने वाली पीढ़ी के लिए आज से ही हम सभी को जल की एक- एक बूंद को सहेजने का कार्य करना चाहिये।

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