- विवादों का पर्याय बने वन मंत्री विजय शाह, हर बार पार्टी और सरकार को आना पड़ता है बैकफुट पर

गौरव चौहान
अपने बयानों और कारनामों की वजह से पार्टी और प्रदेश सरकार के लिए वरिष्ठ मंत्री विजय शाह लजऊ ठीकरा साबित हो रहे हैं। वे प्रदेश के एक मात्र ऐसे मंत्री हैं, जिनकी वजह से पार्टी संगठन से लेकर सरकार बुरी तरह से बैकफुट पर जाने की मजबूर हो जाती है। यही नहीं उनकी वजह से पार्टी को बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसके बाद भी संगठन व सरकार उन पर भारी मेहरबान रहते हुए उन्हें मंत्री पद देकर नबाजती रहती है, जबकि पार्टी में उनसे अधिक वरिष्ठ और प्रभावशाली विधायक हैं। हद तो यह है कि वे इस मामले में एक बार तो सरकार के मुखिया तक को लजा चुके हैं। उनके बयान और काम हमेशा महिला विरोधी के रुप में सामने आते रहे हैं। उनके अब तक के मंत्री तत्व कार्यकाल को देख जाए तो वो हमेशा बेहद विवादस्पद रहता रहा है। शायद ही ऐसा कोई कार्यकाल रहा हो, जिसमें उनको लेकर विवाद खड़ा नहीं हुआ हो। उनके ऐसे विवादास्पद बयानों की लंबी फेहरिस्त है।
अब ताजा विवाद उनके द्वारा सार्वजनिक कार्यक्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए बयान से उपजा है। उनके द्वारा जो कुछ कहा है उससे उनके प्रति पार्टी से लेकर आमजन में बेहद गुस्सा उबल रहा है। इस बार भी उनके बयान की टाइमिंग, शब्दावली, भावनाएं और विचार गलत है। उन्होंने बिना नाम लिए कर्नल सोफिया को आतंकियों की बहन कह दिया। इत्तेफाक की बात ये है कि इसी प्रदेश में रहकर सोफिया ने प्राथमिक पढ़ाई की और प्रदेश के मंत्री ने उनको लेकर ये विवादित बयान दिया है। उधर इस मामले में कांग्रेस ने विजय शाह के इस्तीफे की मांग की है। उधर, इस बयान से मामला विगड़ते देख संगठन ने भी उन्हें तलब कर जमकर फटकार लगाई है , जिसके बाद मामला बिगड़ता देख मंत्री अब सफाई दे रहे हैं।
दरअसल, कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए मंत्री विजय शाह का बयान उस समय में आया है। जब पूरा देश अपनी इस बेटी पर गर्व कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के जरिए ही पूरे भारत तक पहुंची थी। सोफिया कुरैशी का मध्य प्रदेश से ही ताल्लुक है। प्रदेश के नौगांव में उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा ली है। शाह ने सोमवार को इंदौर के महू के रायकुंडा गांव में आयोजित हलमा कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर अमर्यादित बयान दिया था।
इसका वीडियो मंगलवार को सामने आया। शाह ने कहा था कि जिन लोगों ने हमारी बेटियों का सिंदूर उजाड़ा, मोदी जी ने उन्हीं की बहन भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करा दी। शाह ने कहा था तुम्हारे समाज की बहन तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। शाह ने यह भी कहा कि उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा। अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। उनके बयान की वीडियो सामने आते ही बवाल मच गया। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मामले पर एमपी संगठन से रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद नाराज पार्टी आलाकमान ने शाह को आनन-फानन में प्रदेश मुख्यालय तलब कर लिया। प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने मंत्री शाह को मिलने बुलाया तो वे हवाई चप्पल में ही पार्टी कार्यालय पहुंच गए। यहां संगठन महामंत्री ने उनके बयसान को लेकर जमकर क्लास लगाई। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक शाह ने अपने बयान को लेकर माफी मांगते हुए आगे से ऐसा नहीं करने का आश्वासन दिया है। संगठन महामंत्री से मिलने के बाद शाह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से भी मिले। मंत्री शाह ने अपने बयान पर संगठन महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों को सफाई दी।
कांग्रेस ने मांगा इस्तीफा
कर्नल सोफिया पर मंत्री विजय शाह की अपमानजनक टिप्पणी पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि मंत्री विजय शाह का सेना के आला अधिकारी पर दिया गया बयान न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह सेना और महिलाओं दोनों का अपमान है. सेना का कोई अधिकारी हो या सैनिक, उसका कोई धर्म नहीं होता, उन्हें हिंदू या मुसलमान के रूप में नहीं गिना जाता. उनका केवल एक ही धर्म होता है और वह देश है. मजहब की बात बार-बार भारतीय जनता पार्टी करती है. इस तरह की भाषा भाजपा की सोच को उजागर करती है. उन्होंने कहा कि विजय शाह को अपने इस बयान पर तुरंत माफी मांगनी चाहिए. उधर कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रदेश प्रमुख मुकेश नायक का कहना है कि मंत्री विजय शाह से तुरंत इस्तीफा लिया जाना चाहिए।
विजय शाह के बिगड़े बोल जो बने पहचान
औसत निकालें तो बीजेपी के मौजूदा मंत्री विजय शाह साल में एक या दो विवादित बयान तो दे ही देते हैं। मंत्री शाह के बिगड़े बोल के दायरे में प्रधानमंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी तक सारे आते रहते हैं। उन्हें पता ही नहीं चलता है कि वे कब कहां क्या बोल जाते हैं।
पूर्व पीएम को बताया था गधा घोड़ा
अक्टूबर 2022 में शाह ने मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान में हिस्सा लेते हुए उमारिया में मंत्री केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना के बारे वहां के लोगों को जानकारी देते हुए कहा था कि देश को आजाद हुए 75 साल हो गए, लेकिन पहली बार गरीबों की सुध लेने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इसके पहले घोड़ा, गधा और हाथी छाप प्रधानमंत्री रहे. किसी ने गरीबों की सुध नहीं ली। इस बयान का उस समय भी वीडियो तेजी से वायरल हुआ था। जिसके बाद इसे विपक्ष ने मुद्दा बना लिया था।
साधना सिंह पर की थी आपत्तिजनक टिप्पणी
अप्रैल 2013 में भी उनके द्वारा पार्टी के ही तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह को लेकर उन्होंने दो अर्थी भाषा में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। तब उन्होंने अपने भाषण में कहा था मैने एक बार शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह से कहा था कि भैय्या के साथ तो हमेशा जाती हो, कभी देवर के साथ भी जाया करो। इस मामले में उन्हें तब मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था हालांकि बाद में चार माह बाद उन्हें फिर मंत्री बना दिया गया था।
तेरी बंदूक और लुगाई कहां है
मार्च 2013 में विजय शाह को उनके ही विधानसभा के एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मुकेश दरबार से मिली धमकी मिली थी। इसके उस पर मंत्री शाह ने एक कार्यक्रम में कहा था कि वह तो खुद ही उस धमकी देने वाले के घर गए थे। बोले, बता कहां है तेरी बंदूक और कहां है तेरी लुगाई। जहां वे भाभी जी को प्रणाम भी करके आए हैं। इस मामले को भी कांग्रेस नेताओं ने उस समय जमकर तूल दिया था। हालांकि इस मामले में संगठन व सरकार ने तब कोई संज्ञान नहीं लिया था।
छात्रों के सामने द्विअर्थी शब्द
इसी तरह सैकड़ों की तादात में स्कूली छात्र छात्राओं के सामने विजय शाह ने अपने भाषण में द्विअर्थी बात करते हुए कह दिया कि जो पहला मामला होता है, वो आदमी भूलता नहीं है। भूलता है क्या फिर ये सवाल भी किया और कहा कि बच्चे सब समझ गए। इसी तरह से उनके द्वारा एक बार स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथी रहते यह भी कहा गया था कि जो बच्चा क्लास में जयहिंद नहीं बोलेगा उसे भोपाल ले जाकर समझा दूंगा।
विद्या बालन को लेकर भी रह चुके हैं चर्चा में
नवंबर 2020 में तत्कालीन चन मंत्री रहते शाह ने डिनर की पेशकश ठुकराने पर अभिनेत्री विद्या बालन के सामने एक मुश्किल खड़ी कर दी थी। उस समय जिस दिन उनका प्रस्ताव ठुकराया गया था, उसके अगले ही दिन डीएफओ ने शूटिंग यूनिट की गाड़ी रोक दी थी। हालांकि, बात ऊपर तक पहुंची तब मामला सुलझ गया था। उस समय विद्या फिल्म शेरनी की शूटिंग के सिलसिले में बालाघाट आई थीं। इसके लिए 20 अक्टूबर से 21 नवंबर तक की मंजूरी ली गई थी। इसी बीच शाह ने विद्या से मिलने की इच्छा बताई। 8 नवंबर को सुबह 11 से 12 बजे तक का समय तय हुआ। इसके बाद शाम चार बजे वन मंत्री को महाराष्ट्र के ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व जाना था। वहीं उन्हें रात रुकना था, लेकिन वे भरवेली खदान के रेस्ट हाउस में रुक गए। शाम पांच बजे वे विद्या से मिलने पहुंचे और मुलाकात के बाद डिनर की इच्छा जताई। चूंकि विद्या बालन महाराष्ट्र के गोंदिया में रुकी हुई थीं, लिहाजा उन्होंने डिनर के लिए मना कर दिया। इसका असर यह हुआ कि दूसरे दिन जब फिल्म से जुड़े लोग रोज की तरह वहां पहुंचे तो साउथ डीएफओ जीके बरकड़े ने प्रोडक्शन यूनिट की गाडिय़ां रोक दीं।