- मानक पर खरे नहीं उतर रहे थर्मल पॉवर प्लांट
- विनोद उपाध्याय

मप्र देश के सबसे अधिक बिजली उत्पादक राज्यों में शामिल हैं। लेकिन कुछ थर्मल पावर प्लांट मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। इस कारण पॉवर जनरेटिंग कंपनी को भारी नुकसान होने की संभावना है। जानकारी के अनुसार निर्धारित लक्ष्य पूरे नहीं करने और खराब परफॉर्मेस के कारण वार्षिक फिक्स चार्ज के नाम पर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 424.15 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। गौरतलब है कि नियामक आयोग हर पॉवर प्लांट के ऑपरेशन के मानक निर्धारित करता है। उस हिसाब से फिक्स चार्ज तय किए जाते हैं। मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की तरफ से इस फिक्स चार्ज की राशि का हर माह मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी को भुगतान करती है। आयोग ने विद्युत उत्पादन के लिए मानक नियम और वास्तविक स्थिति का आंकलन किया था। इसमें पाया कि दोनों बड़े थर्मल पॉवर प्लांटों का परफॉर्मेस निर्धारित मानकों के हिसाब से कमजोर है। इधर, मप्र जनरेटिंग कंपनी ने कम बिजली का उत्पादन किया, इससे पॉवर मैनेजमेंट कंपनी को एनटीपीसी सहित अन्य निजी कंपनियों से महंगी बिजली खरीदनी पड़ी। इससे उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिली। इस कारण पॉवर जनरेटिंग कंपनी को 424.15 करोड़ का नुकसान हुआ।
दो छोटे पॉवर प्लांट का परफॉर्मेस बेहतर
इधर, प्रदेश के दो छोटे सरकारी पॉवर प्लांट सारणी और अमरकंटक ने मानकों के हिसाब से बिजली का उत्पादन किया। मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी में खराब मैनेजमेंट और खराब परफॉर्मेस से हर साल करोडों का नुकसान हो रहा है। नियामक आयोग ने थर्मल पॉवर प्लांटों के ऑपरेशन के लिए जो मानक निर्धारित किए हैं, उसका पालन नहीं किया जा रहा है। इस कारण कोयला और ईंधन तेल की खपत ज्यादा हो रही है और उन्हें ज्यादा फिक्स चार्ज देना पड़ रहा है।
पांच यूनिट निर्धारित क्षमता से नहीं कर पा रहीं उत्पादन
जानकारी के अुनसार प्रदेश के बड़े सरकारी थर्मल पॉवर प्लांट, मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली उत्पादन और प्लांट के ऑपरेशन के लिए तय मानक पर खरे नहीं उतर पा रहे। निर्धारित लक्ष्य पूरे नहीं करने और खराब परफॉर्मेस के कारण वार्षिक फिक्स चार्ज के नाम पर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 424.15 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। आयोग ने अपने एक आदेश में इसकी वसूली मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी से करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने यह कहा है कि यदि मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने इस राशि का भुगतान जनरेटिंग कंपनी को कर दिया है, तो वह उसे छह किस्तों में वापस करे। आदेश के मुताबिक, दो प्लांटों की पांच यूनिट निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरी। इनमें बिरसिंहपुर की एक, दो और तीन एवं सिंगाजी पॉवर प्लांट की एक और दो नंबर यूनिट शामिल हैं।
नौ माह से बंद पड़ी है एक युनिट
उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली स्थित संजय – गांधी ताप विद्युत केंद्र की 210 मेगावॉट क्षमता वाली एक नंबर यूनिट बीते 9 महीनों से बंद पड़ी है। 4 अगस्त 2024 से ठप पड़ी इस यूनिट ने अब तक उत्पादन में करोड़ों की चपत पहुंचाई है। जानकारों के अनुसार, इस यूनिट से प्रतिदिन औसतन 50.4 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। ऐसे में अगर 4 अगस्त 2024 से 8 मई 2025 तक की अवधि को देखा जाए, तो कुल 279 दिन में लगभग 14.06 करोड़ यूनिट बिजली का नुकसान हुआ है। यह केवल उत्पादन की दृष्टि से नुकसान है, जबकि मेंटेनेंस और अन्य खर्चों को जोड़ें तो ये आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है। बिजली उत्पादन में आई इस बाधा से केवल विभागीय अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि आम जनता पर भी असर पडऩे की संभावना है। गर्मियों में बढ़ती मांग के बीच यह यूनिट चालू नहीं हो सकी, तो लोड शेडिंग और अघोषित बिजली कटौती की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जब इस संबंध में संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र के मुख्य अभियंता एच. के. त्रिपाठी से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि अगस्त माह में जनरेटर मोटर में तकनीकी खराबी आने के कारण यूनिट को बंद करना पड़ा। मरम्मत का कार्य प्रगति पर है और जून माह तक यूनिट को पुन: चालू कर दिया जाएगा। हालांकि, सूत्रों की मानें तो मेंटेनेंस के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, बावजूद इसके इस तरह की तकनीकी खराबियों का बार-बार सामने आना प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल, खड़े करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते समुचित निरीक्षण और पूर्वानुमान तकनीकों का उपयोग किया जाए, तो इस प्रकार की बड़ी तकनीकी विफलताओं से बचा जा सकता है। प्रदेश में लगातार बढ़ती ऊर्जा की मांग और सीमित उत्पादन क्षमताएं आने वाले समय में और भी बड़ी चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं। ऐसे में आवश्यकता है कि थर्मल प्लांट्स के रखरखाव और संचालन में पारदर्शिता लाई जाए और समयबद्ध तरीके से क्षतिग्रस्त यूनिट्स को पुन: चालू किया जाए।