प्रदेश को मिलेगी एक और नदी जोड़ परियोजना की सौगात

  • मप्र और महाराष्ट्र के बीच होगा ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना के लिए करार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम 
केन बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के बाद मोहन यादव सरकार अब तीसरी नदी जोड़ो परियोजना पर भी काम करेगी। इसके लिए महाराष्ट्र और एमपी सरकार के बीच शनिवार को भोपाल में एमओयू होगा जिसमें ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना पर काम के लिए सहमति बनेगी। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस इस एमओयू के दौरान भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के साथ मौजूद रहेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश शीघ्र ही तीसरी नदी जोड़ो परियोजना के क्रियान्वयन की ओर अग्रसर है। यह परियोजना महाराष्ट्र के सहयोग से पूरी की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ो परियोजना की संकल्पना को क्रियान्वित करने में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी रहा है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद महाराष्ट्र के साथ ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना के लिए एमओयू होने जा रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी 10 मई को भोपाल में मौजूद रहेंगे। दोनों राज्यों में सिंचाई क्षेत्र के विस्तार और पेयजल उपलब्धता को सुगम बनाने में यह परियोजना महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे गुजरात भी लाभान्वित होगा। इस परियोजना से महाराष्ट्र के उत्तरी क्षेत्र और मध्य-प्रदेश के दक्षिणी इलाकों में पानी की सप्लाई हो सकेगी। इससे नागपुर में पेयजल और छिंदवाड़ा में सिंचाई की समस्या का समाधान होगा। प्रदेश सरकार के अनुसार यह दुनिया का सबसे बड़ा भूजल पुनर्भरण प्रोजेक्ट होगा। इसके लिए ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज और कान्हा उप-बेसिन परियोजनाओं के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। परियोजना मध्य प्रदेश के लंबे समय से चल रहे अंतर्राज्यीय जल-बंटवारे विवादों को सुलझाने के प्रयासों का हिस्सा है।
कुल 31.13 टीएमसी पानी का होगा इस्तेमाल
ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना में 31.13 टीएमसी पानी का उपयोग होगा। इसमें से 11.76 टीएमसी मध्य प्रदेश और 19.36 टीएमसी महाराष्ट्र को आवंटित किया जाएगा। इस परियोजना से मध्य प्रदेश में 123082 हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 234706 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी।
इन जिलों को होगा फायदा
इस योजना से प्रदेश में छिंदवाड़ा, बुरहानपुर और खंडवा जिले को फायदा होगा। परियोजना पूरी करने किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा, इसलिए पुर्नवास कार्यक्रम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पहले 66 टीएमसी का जलाशय बनाने का प्रस्ताव था लेकिन विस्थापन और वन क्षेत्रों और बाघ अभयारण्यों पर प्रभाव को लेकर भूजल पुनर्भरण मॉडल पर फोकस किया गया।

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