प्रदेश अध्यक्ष के फेर में अटकी जिला कार्यकारिणी

  • केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार बनेगी कार्यकारिणी

गौरव चौहान
भाजपा के सभी 62 जिलों के अध्यक्षों की घोषणा होने के बाद प्रदेश संगठन ने कार्यकारिणी बनाने के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। गाइड लाइन में स्पष्ट लिखा है कि नए लोगों के साथ ही पुराने पदाधिकारियों को मौका देना है। लेकिन उसके बाद भी जिलों की कार्यकारिणी अटकी हुई है। इसकी वजह यह है नए प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार। प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार लंबा होता जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के पर्यवेक्षक धर्मेन्द्र प्रधान का दौरा भी अब तक नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि जिला कार्यकारिणी को होल्ड करने का कारण नए प्रदेश अध्यक्ष की पसंद को ध्यान में रख कर किया गया है। जो भी नया प्रदेश अध्यक्ष बनेगा उसके हिसाब से नए पदाधिकारियों की नियक्ति की जाएगी। इससे पुरानों के साथ-साथ नए पदाधिकारियों में समन्वय बनाने का प्रयास किया जाएगा।
गौरतलब है कि भाजपा के संगठनात्मक चुनाव के बाद अब केंद्रीय नेतृत्व ने जिला कार्यकारिणी के गठन को लेकर गाइडलाइन तय कर दी है। इसमें पुराने के साथ नए चेहरों को शामिल करने का कहा गया है। हालांकि गाइडलाइन जारी होने के बाद भी जिलों में पदाधिकारियों का चयन नहीं हो पाएगा। इसके लिए अब प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन का इंतजार किया जा रहा है। भाजपा के अधिकांश मंडलों में कार्यकारिणी का गठन किया जा चुका है लेकिन जिला कार्यकारिणी का गठन नहीं किया गया है। जिला कार्यकारिणी के गठन को लेकर केन्द्र से जो दिशा निर्देश दिए गए हैं। उसमें 60-40 के फॉर्मूले का पालन किया जाएगा।  
जिला कार्यकारिणी का गठन होल्ड
प्रदेश में भाजपा के बूथ और मंडल स्तर की कार्यकारिणी के गठन के बाद जिला कार्यकारिणी का गठन किया जाना था। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया में देरी के चलते अब  जिला कार्यकारिणी का गठन भी होल्ड कर दिया गया है। इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है उस हिसाब से जिला कार्यकारिणी का गठन प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही किया जाएगा। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर भी कई महीनों से कयासों का दौर चल रहा है, लेकिन किसी न किसी कारण के चलते अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया टलती जा रही है। पार्टी की केंद्रीय इकाई द्वारा जिला कार्यकारिणी के लिए जो दिशा-निर्देश दिए गए हैं। उस हिसाब से नई कार्यकारिणी में पुरानी कार्यकारिणी के 60 फीसदी पदाधिकारियों को फिर अवसर दिया जाएगा सिर्फ 40 फीसदी नए लोगों को पदाधिकारी बनाया जाएगा। इसके पीछे पार्टी की मंशा के अनुरूप पुराने कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान देने और नए नेतृत्व को अवसर देने की रणनीति है। जिससे नए पदाधिकारियों को पुराने पदाधिकारियों के अनुभव का लाभ मिल सके, साथ ही इससे गुटबाजी को रोकने में भी मदद मिलेगी। इसके साथ ही महिलाओं और अनुसूचित जाति-जनजाति के वर्गों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। जिला कार्यकारिणी के गठन में सीनियरटी के साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव के साथ संगठनात्मक कामों में कार्यकर्ता की जिम्मेवारी का आंकलन कर पद दिए जाएंगे। गौरतलब है कि जिलाध्यक्षों का चुनाव जनवरी माह में कर लिया था। इसके बाद से ही जिला कार्यकारिणी को लेकर जिलों में दावेदार सक्रिय हैं। पार्टी में पिछले कुछ दिनों से मंडल कार्यकारिणी के गठन का दौर चल रहा है। अधिकांश मंडलों में अब कार्यकारिणी बन चुकी है।
इस तरह रहेगी जिले की कार्यकारिणी

पार्टी द्वारा तय गाइडलाइन के अनुसार जिला समिति में अध्यक्ष के साथ 8 उपाध्यक्ष होंगे तो हमेशा की तरह 3 महामंत्री होंगे। 8 मंत्रियों के साथ 1 कोषाध्यक्ष का पद भी रहेगा। वहीं 20 लोगों की कार्यकारिणी में 7 महिलाएं और 2 अजा तथा अजजा वर्ग के लोगों को शामिल करना अनिवार्य रहेगा। मोर्चा में भी मंडल अध्यक्ष के साथ 3 उपाध्यक्ष, 2 महामंत्री, 3 मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष तो जिला स्तर पर 5 उपाध्यक्ष, 2 महामंत्री, 5 मंत्री और 1 कोषाध्यक्ष रहेगा। जिले में 30 कार्यसमिति सदस्य बनाए जा सकेंगे। संगठन ने इस बार नए दिशा-निर्देश में यह भी कहा है कि कार्यालय मंत्री, कोषाध्यक्ष, आईटी सेल और सोशल मीडिया तथा मीडिया संयोजक का पद निरंतर रखा जा सकता है, अगर वे सक्रिय हों। बहुत आवश्यक हो, तभी इस पद पर परिवर्तन किया जाए। महिलाओं को विशेष रूप से प्रत्येक कार्यकारिणी में तवज्जो देने के लिए कहा गया है। जैसे जिले में अध्यक्ष के साथ 90 सदस्य रहेंगे तो उनमें से 30 महिलाएं सदस्य रहेंगी। वहीं अजा और अजजा के 6 लोगों को भी अनिवार्य रूप से लेना होगा। इसी तरह मंडल की समिति में 60 में से 20 महिलाएं सदस्य रहेंगी तो 4 अजा और अजजा के पद रहेंगे। भाजपा के 7 मोर्चा हैं, जो मुख्य संगठन से कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। हालांकि पिछले कार्यकाल में बहुत ही कम मोर्चा अध्यक्ष रहे, जिनका कार्यकाल सक्रिय रूप से गिना जाएगा। मोर्चा में नियुक्ति का क्रम ऊपर से चलेगा, यानी पहले मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होगा और उसके बाद उनकी सहमति से जिलाध्यक्ष जिले के अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेंगे। वहीं संगठन के मंडल अध्यक्ष की सहमति से मोर्चा के मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति करेंगे।

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