
- तीन दिन बाद है दिल्ली में देशभर के अध्यक्षों का सम्मेलन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर मुखिया से लेकर प्रदेश प्रभारी तक बदल गए हों , लेकिन संगठन की काम करने की शैली में कोई परिवर्तिन नहीं आता है। इसका ताजा उदाहरण हैं जीतू पटवारी और हरीश चौधरी। दोनों को प्रदेश संगठन की कमान मिलने के बाद माना जा रहा था कि संगठन की कार्यशैली में बदलाव होगा, लेकिन ऐसा होता अब तक नहीं दिख पा रहा है। यह स्थिति तब है, जबकि प्रदेश में लगातार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है।
जिलाध्यक्षों का ही मामला सामने है। उनके नामों की घोषणा ही नहीं हो पा रही है। दावा किया जा रहा था कि मार्च के अंतिम सप्ताह में हर हाल में कांग्रेस जिलाध्यक्षों की सूची जारी हो जाएगी, लेकिन आज मार्च के अंतिम दिन में भी सूची नहीं निकल सकी है। ऐसा नहीं है कि ऐसा जिलाध्यक्षों के मामले में हो रहा है, बल्कि प्रदेश पदाधिकारियों की सूची के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ा था। इसकी वजह से पुराने पदमुक्त होने की आंशका से काम नहीं करते और संभावित चेहरे इंतजार के चक्कर में सक्रिय नहीं हो पाते हैं। इसकी वजह से पार्टी को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। वैसे भी कांग्रेस के बारे में माना जाता है कि वह ऐसी पार्टी है, जिसमें समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता का अभाव बना हुआ है। अब इस सूची की घोषणा फिलहाल टलती हुई दिख रही है। इसकी वजह है अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से अचानक जारी किया गया एक कार्यक्रम, जिसमें शामिल होने के लिए मप्र समेत अन्य राज्यों के जिलाध्यक्षों को 3 अप्रैल को दिल्ली बुलाया गया है। दिल्ली मे जिलाध्यक्षों की होने वाली बैठकों में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आने वाले समय में पार्टी के विजन और संगठन के कामकाज को लेकर चर्चा करेंगे। वे जिलाध्यक्षों को उनकी नई भूमिका के बारे में बताएंगे। कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़ेे भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि दिल्ली से ही जिलाध्यक्षों की सूची जारी होना थी, अब चूंकि वहीं से जिलाध्यक्षों को दिल्ली बुलाने का कार्यक्रम जारी हुआ है, इसलिए नए जिलाध्यक्षों के नाम घोषित होने का सवाल ही नहीं उठता। प्रदेश में कांग्रेस के 73 संगठनात्मक जिले हैं, जिनमें से वर्तमान में 68 जिलों में अध्यक्ष है। पांच जिलों में जिलाध्यक्ष के पद रिक्त हैं। इनमें खंडवा शहर व ग्रामीण, रतलाम, रायसेन व कटनी जिले शामिल हैं। इन जिलों में भी अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पाई है। प्रदेश कांग्रेस मह्यमंत्री संगठन प्रभारी डॉ. संजय कामले ने का कहना है कि नए जिलाध्यक्षों की घोषणा के बारे में निर्णय पार्टी हाईकमान लेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी जिलाध्यक्षों की भूमिका में बदलाव करने जा रही है। उन्हें अधिकार संपन्न बनाया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दिल्ली की बैठक से पूर्व अपने सभी जिलाध्यक्षों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी है। ट्रेनिंग में उन्हें बैठक के विषय के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि उन्हें वहां कैसे अपनी बात रखनी है।
नहीं बन पाईं मोहल्ला-पंचायत कमेटियां
गौरतलब है कि गत नवंबर में मप्र कांग्रेस कमेटी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी और प्रदेश कार्यसमिति समिति की बैठक हुई थी। बैठक में संगठन के विस्तार करने के संबंध में विस्तार से चर्चा हुई थी। मोहल्ला एवं पंचायत कमेटी बनाने का भी निर्णय हुआ था, लेकिन अभी तक किसी भी जिले में इनका शत-प्रतिशत गठन नहीं किया जा सका है।
दस माह बाद बन पायी थी पटवारी की टीम
जीतू पटवारी को 16 दिसंबर 23 को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसके बाद वे करीब दस माह बाद अपनी नई टीम का गठन कर पाए थे। इस दौरान भी हर माह टीम के ऐलान का दावा किया जाता था। यह स्थिति तब बनी थी , जबकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव भी हो चुके थे।