
- विकास के मापदंडों के पैमानों पर राज्यों की स्थिति का आकलन
मप्र आज तेजी से विकास कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश विकास के मापदंडों पर अन्य राज्यों के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है। आज मप्र अपने नवाचारों और विकास कर रणनीति के कारण बेस्ट फरफॉर्मर स्टेट बन गया है।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। 2003 में बीमारू राज्य की श्रेणी में रहा मप्र आज विकास का पोस्टर बना हुआ है। इसकी बड़ी वजह है की पिछले 22 साल से प्रदेश की भाजपा सरकारों ने कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्र, वाणिज्य एवं उद्योग, मानव संसाधन विकास, जन स्वास्थ्य, सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, आर्थिक सुशासन, समाज कल्याण एवं विकास, न्यायिक एवं जनसुरक्षा, पर्यावरण और जल संसाधन प्रबंधन आदि क्षेत्रों में विकास के लिए भरपूर काम किया है। वहीं वर्तमान में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र विकास के मापदंडों के पैमानों पर बेस्ट परफॉर्मर स्टेट बन गया है।दरअसल, डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली मप्र सरकार देश के अन्य 27 राज्यों से अधिकांश पैमानों पर आगे है। राज्य शासन गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित है, डबल इंजन सरकार का यह संकल्प सिद्धि की ओर बढ़ रहा है। शासन की जन हितैषी योजनाएं-प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, पीएम स्वनिधि योजना, पीएम किसान सम्मान निधि, जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत अभियान लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबसे पहले देश में जनधन खाते खोले गए। इसका परिणाम यह हुआ कि गरीब कल्याण की योजनाओं की राशि सीधे हितग्राहियों के खातों में पहुंचने लगी। गरीबों को न केवल न्याय मिले बल्कि उन तक न्याय पहुंच सके इसका प्रबंध सरकार ने किया है।
मप्र ने पिछले 14 महीनों के सुशासन के प्रयासों से यह जाहिर कर दिया है कि गरीबी पर ठोस प्रहार कर गरीब परिवारों को गरीबी के कुचक्र से बाहर लाया जायेगा। इसके लिए जरूरी है कि उन परिवारों को नागरिक सेवाओं के पहुंच के दायरे में लाया जाये। उनकी आर्थिक क्षमता बढ़ाई जाये। उनके लिए सूक्ष्म स्तर पर आर्थिक गतिविधियों की श्रंखला चलाई जाये। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के लिये सरकार ने प्रतिबद्धता जाहिर की है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास तथा सबका प्रयास का नारा वंचितों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से नीतियों की आधारशिला बन गया है। जरूरतमंदों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायता दी जा रही है। गरीब हितैषी पहल के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को देशभर में पहचान मिली है। कृषि और कृषि प्र-संस्करण के माध्यम से आय के स्रोतों में वृद्धि हो रही है, जबकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, बड़ी अधोसंरचनात्मक परियोजनाएं, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का विस्तार, और ऊर्जा उपलब्धता में बढ़ोतरी जैसे महत्वपूर्ण घटक एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के निर्माण की दिशा में प्रदेश की प्रगति को दर्शाते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आर्थिक और सामाजिक समावेश तथा महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने से आर्थिक और सामाजिक उन्नति में व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हो रही है।
प्रति व्यक्ति आय 9 प्रतिशत बढ़ी
मोहन सरकार ने विधानसभा में बजट पेश करने से पहले साल 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनॉमिक सर्वे) जारी किया है। इसके मुताबिक प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 1.39 लाख से बढक़र 1.52 लाख हो गई है। राज्य के जीडीपी में 11 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है। जानकारों का कहना है कि राज्य की जीडीपी बढऩे से सरकार अब ज्यादा कर्ज ले सकेगी। बता दें सरकार पर पहले से 4 लाख करोड़ रु. का कर्ज है। रोजगार की बात करें तो प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं की 40 प्रतिशत नौकरियां घट गई हैं। सरकार निवेश को आकर्षित करने में कुछ हद तक कामयाब हुई है। पांच साल में 46 हजार करोड़ का निवेश आया है इससे 1 लाख 65 हजार लोगों को रोजगार मिला है। वहीं एमपी में पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है इससे सरकार की आय में 17 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरफ दूध, अंडा और मांस का प्रोडक्शन बढ़ा है, मगर दूध से ज्यादा अंडे और मांस का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ी है। मप्र की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) प्रचलित भावों पर पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 11.05 प्रतिशत बढ़ गई है। सरकार का अनुमान है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में प्रदेश की त्रष्ठक्क 15 लाख 3 हजार 395 करोड़ रुपए रहेगी। पिछले साल (2023-24) में यह जीडीपी 13 लाख 53 हजार 809 थी। बता दें कि कोरोनाकाल में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय प्रचलित भावों के आधार पर वर्ष 2020-21 में 10 लाख 1 हजार 958 रुपए रह गई थी। प्रदेश में प्रचलित भावों पर प्रति व्यक्ति आय 2024-25 में 1 लाख 52 हजार 615 रुपए हो गई है। जबकि वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति आय एक लाख 39 हजार 713 रुपए थी। यानी एक साल में प्रति व्यक्ति आय 12 हजार 902 रुपए बढ़ गई है। सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि स्थिर भावों पर राज्य में प्रति व्यक्ति आय पिछले साल की तुलना में बढ़ी है। वर्ष 2023-24 में ये 67 हजार 301 थी जो बढक़र 70 हजार 434 हो गई है। यानी ये 3 हजार 133 रुपए प्रति व्यक्ति बढ़ी है। भाव से आशय राज्य में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कीमत से है। जो दो प्रकार की होती है एक फिक्स (स्थिर) दूसरी करंट (प्रचलित)। जिस भाव में बदलाव आता रहता है, उसे करंट भाव कहा जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि फसल क्षेत्र का प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत योगदान वर्ष 2024-25 में 30.90 प्रतिशत रहा, लेकिन प्रचलित भाव पर यह 10.8 प्रतिशत बढ़ा जबकि स्थिर भाव में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसी तरह पशुधन क्षेत्र में 7.45 प्रतिशत का योगदान रहा । इसकी वृद्धि स्थिर भाव पर क्रमश: 11.93 प्रतिशत एवं 8.39 प्रतिशत रही। मध्यप्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2024-25 प्रचलित भावों पर रूपये 1503395 करोड़ पहुंच गया है, जो वर्ष 2023-24 में रूपये 1353809 करोड़ था। पिछले वित्तीय वर्ष से 11.05 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश ने वर्ष 2028-29 तक राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में गरीब कल्याण, युवा शक्ति, अन्नदाता, और नारी शक्ति जैसे चार प्रमुख मिशनों की शुरुआत की है। ये मिशन क्रमश: समाज के वंचित वर्गों, युवाओं, किसानों और महिलाओं के समग्र विकास एवं आर्थिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने कार्यरत हैं। सरकार का संकल्प है कि राज्य की आर्थिक नीतियां समाज के प्रत्येक वर्ग के विकास में सहायक हों और व्यापक आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करें। मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 2024-25 प्रदेश की आर्थिक प्रतिबद्धताओं, विकास योजनाओं और उनके प्रभावी क्रियान्वयन का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। यह सर्वेक्षण राज्य की विकास यात्रा को प्रतिबिंबित करता है और यह दर्शाता है कि मध्यप्रदेश सतत और समावेशी आर्थिक विकास के मार्ग पर अग्रसर है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में द्वितीयक क्षेत्र में 2.73 लाख करोड़ रूपये के सकल मूल्य वर्धन तक पहॅुच गया। राज्य में औद्योगिक क्षेत्र में बुनियादी ढॉचे के विकास कार्यो के लिये वर्ष 2024-25 में 145.13 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई तथा दिसम्बर 2024 तक 4.17 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुये। स्वास्थ्य क्षेत्र मे राज्य का बजट वर्ष 2024-25 में 15744 करोड़ रूपये तक पहॅुच गया है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 4.85 करोड़ से अधिक कार्ड जारी किये गये है।
रोजगार की भरमार
मप्र में पिछले 4 साल में प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों की संख्या में कमी आई है। एससी-एसटी वर्ग और महिलाओं को 2021 में 36 हजार 324 नौकरियां मिली थीं। वहीं 2024 में ये आंकड़ा घटकर 21 हजार 054 पहुंच गया है। प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं की नौकरियों की बात की जाए तो 2021 में 10 हजार 963 महिलाओं को जॉब मिला था, जो 2024 में घटकर 6 हजार 564 रह गया है। वहीं पिछले साल के मुकाबले प्राइवेट सेक्टर में 3192 कम नौकरियां मिली हैं। मप्र में सरकार निवेश को आकर्षित करने में कुछ हद तक कामयाब रही है। औद्योगिक यूनिट्स की संख्या में पांच साल में 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2020 में मप्र में 384 औद्योगिक यूनिट स्थापित हुई थीं। वहीं 2024-25 में इनकी संख्या बढक़र 554 हो गई। पिछले 5 साल में कुल 2429 औद्योगिक यूनिट स्थापित हुई हैं। जिससे 46 हजार 421 करोड़ का निवेश हासिल हुआ है। इनसे 1 लाख 65 हजार 436 लोगों को रोजगार मिला है। सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले दो साल के मुकाबले इस बार स्कूल छोडऩे वाले छात्र और छात्राओं की संख्या में कमी आई है। 2021 में पहली से आठवीं तक 11.87 लाख छात्र और 11.92 लाख छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया था। 2022 में छात्रों की संख्या में कमी आई लेकिन छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी हो गई। 2022 में पहली से आठवीं तक 11.72 लाख छात्रों ने तो 14.11 लाख छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया था। साल 2024 में 10.05 लाख छात्रों ने और 8.97 लाख छात्राओं ने स्कूल छोड़ा है। ये पिछले साल के मुकाबले 26 प्रतिशत कम है। मप्र में दूध से ज्यादा अंडा-मांस का उत्पादन हो रहा है। जबकि राज्य सरकार दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल के मुकाबले दूध के उत्पादन में 5.98 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मगर, अंडे और मांस का उत्पादन दूध से ज्यादा हुआ है। मांस का उत्पादन 9.57 फीसदी और और अंडे का उत्पादन 9.65 फीसदी हुआ है। अंडे खाने वालों की संख्या भी पिछले साल के मुकाबले 7.5 फीसदी बढ़ी है। वहीं दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 652 ग्राम है।
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत सरकार 55 हजार रुपए (प्रति महिला) को देती है। इसमें से 49 हजार रुपए वधू के खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं। जबकि 6 हजार रुपए सामूहिक विवाह के आयोजन के लिए निकाय को उपलब्ध कराए जाते हैं। सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक शिवराज सरकार के कार्यकाल( 2022-23) में 18 हजार109 महिलाओं को 1037 करोड़ से ज्यादा की राशि आवंटित की गई थी। मोहन सरकार के पहले कार्यकाल (2023-24) में यह संख्या बढक़र 59 हजार 445 हो गई। इस साल लोकसभा चुनाव हुए थे। इस अवधि में सरकार ने 33 हजार 418 करोड़ योजना पर खर्च किए थे। लेकिन 2024-25 में हितग्राहियों की संख्या घटकर 13 हजार 490 रह गई। सरकार ने योजना के लिए आवंटन राशि भी घटा दी थी। इस अवधि में मात्र 769 करोड़ रुपए खर्च किए गए। मप्र में पर्यटन बढ़ा है। पिछले तीन साल के सरकारी आंकड़े देखें तो सरकार की कमाई में 17 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस दौरान पर्यटकों की संख्या में 89.21 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसमें होटल, मोटल, लाइट एंड साउंड शो, जंगल कैंप और वाटर स्पोर्टस आदि से होने वाली कमाई भी शामिल है। वर्ष 2022 से 2024 के बीच पर्यटन गतिविधियों से राजस्व में औसत वार्षिक वृद्धि बढ़ी है। प्रदेश के नौ धार्मिक स्थलों पर 2024 13.33 करोड़ लोग पहुंचे। उज्जैन में पर्यटकों की संख्या में 1.3 गुना बढ़ गई है। वर्ष 2023 में उज्जैन महाकाल के दर्शन करने के लिए 5.28 करोड़ पर्यटक पहुंचे थे। 2024 में यह संख्या बढक़र 7.32 करोड़ हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में आने वाले कुल पर्यटकों की संख्या का 55 फीसदी उज्जैन आने वालों की है। दूसरे नंबर पर 10 फीसदी मैहर और 9 फीसदी के साथ चित्रकूट तीसरे नंबर पर है।
2 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के गठन की कार्यवाही
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेशकों को बढ़ावा देने के साथ-साथ नगरों के सुव्यवस्थित विकास के लिये महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं। राज्य में 2 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (महानगर) की कार्यवाही नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा की जा रही है। पहला मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र इंदौर-उज्जैन-देवास और धार को मिलाकर विकसित करने की कार्यवाही चल रही है। इसी प्रकार दूसरा मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र भोपाल-सीहोर-रायसेन-विदिशा-ब्यावरा (राजगढ़) को मिलाकर विकसित करने की कार्यवाही चल रही है। इनके गठन से मध्यप्रदेश को एक आर्थिक विकास केन्द्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी। केन्द्र सरकार के विजन के अनुरूप, राज्य के प्रमुख संभाग मुख्यालय ग्वालियर, सागर, रीवा, जबलपुर, नर्मदापुरम और शहडोल को क्षेत्रीय आर्थिक विकास केन्द्र (रीजनल इकॉनामिक ग्रोथ हब) के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार का यह प्रयास प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ-साथ रोजगार, व्यापार और निवेश के नये अवसरों को भी बढ़ावा देगा।
प्रदेश की नगरीय क्षेत्र की भूमि बहुमूल्य संसाधन है, जिसका सुव्यवस्थित उपयोग शहरी विकास के लिये अति आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए टीडीआर (ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स) नियम बनाये गये हैं। इन नियमों के क्रियान्वयन के लिये ऑनलाइन प्रक्रिया निर्धारित की गयी है। ऑनलाइन प्रक्रिया के लिये टीडीआर पोर्टल तैयार किया गया है। यह पोर्टल भवन निर्माताओं और सम्पत्ति मालिकों को विकास अधिकारों के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है। इससे उन्हें मुआवजे के रूप में अतिरिक्त निर्माण क्षमता प्राप्त होती है। ग्रीन एफएआर कॉन्सेप्ट को इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी के अंतर्गत हरित क्षेत्र, वूडेड क्षेत्र और सिटी फॉरेस्ट के विकास के लिये प्रस्तुत किया गया है। यह कॉन्सेप्ट न केवल शहरी सौंदर्य को निखारेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। राज्य सरकार ने सतत शहरी विकास को प्रोत्साहित करने के लिये इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी-2025 बनायी है। इस नीति का उद्देश्य निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से सुव्यवस्थित, आधुनिक और आत्मनिर्भर टाउनशिप विकसित करना है। यह नीति बेहतर बुनियादी सुविधाएँ, हरित आवासीय क्षेत्र और स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगी। इस नीति में लैण्ड पूलिंग कॉन्सेप्ट को भी अपनाया गया है, जिससे भूमि स्वामियों को उचित मुआवजे के साथ विकास में भागीदारी का अवसर मिलेगा। प्रदेश में भवन निर्माण की अनुमति को प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेही व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के लिये ऑटोमेटिक बिल्डिंग परमीशन और अप्रूवल सिस्टम विकसित किया गया है। प्रदेश में अब तक 2 लाख 60 हजार आवेदनों को स्वीकृत किया गया है।
कृषि में किए कई नवाचार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश की उर्वर धरा में खेती-किसानी लाभ का व्यवसाय है। हमने इसी दिशा में काम किया। नई कृषि विधियों को अपनाया, कई नवाचार किए। यही कारण है कि आज मध्यप्रदेश कृषि विकास के मामले में पंजाब, हरियाणा और अन्य कई राज्यों से आगे निकलकर देश में अव्वल स्थान पर है। हम खेती-किसानी और किसान दोनों की समृद्धि के लिए प्रयासरत हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में नेशनल डिफेंस कॉलेज की ओर से मध्यप्रदेश आए अध्ययन यात्रा दल को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कृषि एवं सहकारिता में मध्यप्रदेश में बीते दशकों में लगातार काम हुआ है। खेती के साथ-साथ सिंचाई पर भी हमने काम किया है। वित्त वर्ष 2002-03 तक मध्यप्रदेश में मात्र 7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित थी। आज मध्यप्रदेश की 55 लाख से अधिक कृषि हेक्टेयर भूमि को हम सिंचित क्षेत्र में लेकर आए हैं। हम किसानों को सुविधा सम्पन्न बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। अगले तीन सालों में हमारी सरकार प्रदेश के 30 लाख किसानों को न केवल सोलर पम्प देगी, वरन् उनके द्वारा उत्पादित अतिरिक्त सोलर ऊर्जा का क्रय भी करेगी। इससे किसानों को दोहरा फायदा होगा। इसके अलावा हम किसानों को मात्र 5 रूपए की राशि पर बिजली कनेक्शन भी दे रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश ऊर्जा के मामले में भी आगे है। देश में सबसे सस्ती बिजली देने वाला प्रदेश मध्यप्रदेश है। दिल्ली मेट्रो भी मध्यप्रदेश की बिजली से चलायमान है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव से नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी), नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीति विषय पर आयोजित अध्ययन यात्रा के लिए मध्यप्रदेश राज्य की यात्रा के लिए आए दल ने सौजन्य भेंट की। देश के 5 मित्र देशों के प्रतिनिधि भी अध्ययन दल के साथ मध्यप्रदेश आए हैं। एनडीसी द्वारा पूरे देश के लिए ऐसे 8 अध्ययन समूह तय किए गए हैं, जिनमें से 16 सदस्यीय एक समूह मध्यप्रदेश की अध्ययन यात्रा पर है। मध्यप्रदेश आए यात्रा दल को यहां प्रदेश में ‘कृषि एवं सहकारिता’ अध्ययन शीर्षक दिया गया है। आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी को इस समूह को मध्यप्रदेश की अध्ययन यात्रा कराने का दायित्व मिला है। अध्ययन यात्रा दल ने बीते दिनों मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों का फील्ड विजिट कर कृषि एवं सहकारिता क्षेत्र में हुई प्रगति का अध्ययन किया और देखा कि मध्यप्रदेश ने इन दोनों क्षेत्रों में बेहतरीन प्रगति हासिल की है। अध्ययन दल ने पाया कि सरकार की नीतियों से किसानों की समृद्धि बढ़ी है। वहीं स्व-सहायता समूहों के जरिए प्रदेश में आजीविका विकास विशेषकर महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के लिए अभूतपूर्व काम हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश आए अध्ययन दल से परिचय प्राप्त किया और दल से आग्रह किया कि उज्जैन जरूर जाइए, महाकाल के दर्शन कीजिये और देखिये कि धार्मिक पर्यटन के मामले में म.प्र. कितने आगे बढ़ा हैं। सदियों पुराने श्री महाकाल मंदिर का विकास कर हमारी सरकार ने श्री महाकाल महालोक तैयार किया। इसमें भगवान शिव की जीवंत उपस्थिति, उनका पार्वती से विवाह, सती कथा का प्रसंग सहित उनके जीवन के सभी प्रमुख पक्षों (तांडव मंत्र में दी गई 108 मुद्राओं सहित) को जीवंत कर प्रतिमाओं के रूप में उकेरा है। श्री महाकाल महालोक हमारी आस्था है, हमारी पूंजी भी है। अध्ययन यात्रा दल के संयोजक के रूप में नेशनल डिफेंस कॉलेज के श्री मुकेश अग्रवाल, इसी कॉलेज के श्री प्रकाश प्रवीण सिद्धार्थ सहित 16 सदस्यीय अध्ययन दल ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव से आत्मीय चर्चा कर अपने फील्ड विजिट के जागृत अनुभव (रीयलस्टिक एक्सपीरियन्स) साझा किए। यात्रा दल के सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है, यह हमने खुद देखा है। कृषि के जरिए किसानों एवं स्व-सहायता समूहों के जरिए आजीविका विकास (सहकारिता की सफलता के संदर्भ में) के लिए सरकार के प्रयास नि:संदेह प्रशंसनीय है। म.प्र. में शासन, प्रशासन की मदद से लोग खुद-ब-खुद जुडक़र अपनी आजीविका और जिंदगी की सफलता की कहानी खुद लिख रहे हैं। हमने मध्यप्रदेश में सामाजिक बदलाव (सोशल चेंज) देखा है। हम मध्यप्रदेश की सफलता से अभिभूत हैं।
स्वच्छता को बनाया जन-आंदोलन
मध्यप्रदेश में नगरीय निकायों में हर साल की तरह स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 शुरू हो चुका है। इस साल इसमें देश के 4900 से अधिक शहर स्वच्छता में श्रेष्ठता की दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण मुख्य रूप से जमीनी स्वच्छता के साथ शहरों के स्वच्छता प्रमाणीकरण के लिए किया जा रहा है। प्रमाणीकरण में खुले में शौच से मुक्ति के लिए ओडीएफ, जल के पुन: उपयोग के लिए वॉटर प्लस और कचरा मुक्ति हेतु स्टार रेटिंग प्रमुख हैं। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत नगरीय निकायों की टीम साल भर काम करती हैं। इसमें नियमित रूप से सफाई के अलावा, कचरा संग्रह, प्र-संस्करण, अधोसंरचना विस्तार, रख-रखाव और शहरों का सौंदर्यीकरण शामिल हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप से आज यह देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बन गया है। हर शहर को इसमें शामिल होना और अपनी रैंकिंग में सुधार करना गौरव का अनुभव कराता है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने स्वच्छ सर्वेक्षण के संबंध में मैदानी अमले को निर्देश भी जारी किये हैं। वर्ष-2024 का स्वच्छ सर्वेक्षण अब तक का 9वां सर्वेक्षण है, जिसकी प्रमुख थीम 3-आर (रिसाइकल, रिड्यूस, रियूज) पर आधारित है। इसके प्रारंभ होने से मध्यप्रदेश ने देश के स्वच्छता परिदृश्य में अपनी बढ़त बना ली थी। अपने नियमित योगदान से मध्यप्रदेश शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। वर्ष 2022 में मध्यप्रदेश को देश के सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ प्रदेश का सम्मान प्राप्त हुआ एवं वर्ष 2023 में यह नजदीकी मुकाबले में देश के दूसरे नंबर का बेहतर राज्य घोषित किया गया। मध्यप्रदेश का शहर इंदौर लगातार सात सालों से देश का सबसे स्वच्छ शहर बना हुआ है। वर्ष 2024 में इसे सुपर लीग श्रेणी में शामिल किया गया है। इस वर्ष मध्यप्रदेश के सभी शहर इसमें अपनी दावेदारी कर रहे हैं। प्रदेश के सभी शहरों ने स्टार रेटिंग, ओडीएफ डबल प्लस के लिए अपना दावा किया है। इसके अलावा 44 शहरों ने वॉटर प्लस के लिए अपनी दावेदारी की है। हर शहर स्वच्छता के मापदंडों पर सफाई, संग्रहण, कचरा निपटान, प्रोसेसिंग आदि पर पूरा ध्यान दे रहा है। आज प्रदेश में लगभग 6700 टन कचरा प्रतिदिन संग्रह किया जाता है। इसके लिए 7500 से अधिक कचरा वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। इस संग्रहित कचरे की प्रोसेसिंग के लिए हर छोटे-बड़े शहर में कम्पोस्टिंग इकाइयां, मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज, निर्माण अपशिष्ट प्रबंधन इकाई और मल-जल निस्तारण के लिये एफएसटीपी उपलब्ध हैं। प्रदेश के बड़े शहरों में कचरा प्रोसेसिंग के लिए अत्याधुनिक इकाइयों की स्थापना की गई है। इसमें जबलपुर और रीवा में कचरे से बिजली, सागर व कटनी में कम्पोस्टिंग, के साथ इंदौर में कचरे से बॉयो सीएनजी निर्माण की इकाइयां लगाई जा चुकी हैं। इसके अलावा भोपाल में कपड़ा, थर्माकोल, प्लास्टिक, निर्माण के साथ मांसाहारी बाजारों से आने वाले कचरे के निपटान के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। प्रदेश में आज 700 से अधिक रिसाइकल, रिड्युज और रियूज़ (आरआरआर) केंद्र संचालित हैं। प्रदेश में एक लाख से कम जनसंख्या के शहरों में मल-जल प्रबंधन व्यवस्थाओं को तैयार करने के लिए कार्यवाही की जा रही है। इसके अंतर्गत जिन शहरों में सीवेज लाइन नहीं हैं, वहाँ नालियों को आपस में जोडक़र उन्हें एसटीपी तक ले जाने का कार्य किया जा रहा है।
स्वच्छता एक संकल्प है, जिसे मध्यप्रदेश में एक जन आंदोलन बनाया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता संकल्प को प्रदेश ने आत्मसात किया है। स्वच्छता आंदोलन के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। देश और प्रदेश में हर वर्ष की तरह दुनिया की सबसे बड़ी स्वच्छता प्रतियोगिता स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 जारी है। स्वच्छ सर्वेक्षण में प्रदेश के शहर बहुत गंभीरता के साथ अपनी भागीदारी कर रहे हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान केन्द्र सरकार की सर्वेक्षण टीमें शहरों में स्वच्छता व्यवस्थाओं का जायजा लेती हैं। इसमें स्वच्छता की आधारभूत तैयारियों का परीक्षण, खुले में शौच से मुक्ति और मल-जल का निस्तारण (ओडीएफ++ और वॉटर+) कचरा मुक्त शहरों के लिए स्टार रेटिंग (1,3 5 व 7 स्टार रेटिंग) सहित कुल तीन परीक्षण किए जाते हैं। अभी प्रदेश में आधारभूत तैयारियों का परीक्षण जारी है, जिसमें 269 शहरों में परीक्षण पूर्ण हो चुका है, शेष शहरों के परीक्षण के लिये टीमें पहुँच रही हैं। इसके बाद ओडीएफ++ और स्टार रेटिंग के परीक्षण शुरू होंगे। मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय वर्ष भर शहरी स्वच्छता को सँवारने में जुटे रहते हैं। प्रदेश में नियमित कचरा संग्रहण, परिवहन और निपटान के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया गया है। इससे शहरों की स्वच्छता सुनिश्चित की जा रही है। इसके साथ खुले में शौच पर प्रतिबंध को सफल बनाने के बाद शहरों को ओडीएफ़++ और वॉटर+ प्रमाण-पत्र दिलाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग प्रदेश के नागरिकों, युवाओं और जन-प्रतिनिधियों से शहरों को स्वच्छ बनाने में सहयोग की निरंतर अपील कर रहा है। शहरों का बदला हुआ स्वरूप शासन के प्रयासों की सफलता को प्रदर्शित कर रहा है।