- उपनिरीक्षक का वीडियो हो रहा वायरल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
बीते दो दिन में जिस तरह से पुलिस के खिलाफ असामाजिक तत्वों ने एक के बाद एक तीन वारदातें की है, उससे प्रदेश का समूचे पुतिलस महकमे में आक्रोश है। इस आक्रोश को इससे ही समझा जा सकता है कि वर्दी के अनुशासन वाले इस महकमे के अफसरों ने विरोध स्वरुप सोशल मीडिया पर न केवल अपनी डीपी काली कर ली है, बल्कि कुछ लोगों ने तो उस पर जस्टिस फॉर पुलिस भी लिखा है। इतना ही नहीं पुलिस के एक उप निरीक्षक ने तो बाकायदा सोशल मीडिया पर लाइव आकर मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक से इन घटनाओं पर संज्ञान लेने का भी आग्रह किया है। उनका यह 21 मिनट 25 सेकंड का वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है। वारदात के बाद रविवार को कुछ ही पुलिस अफसरों ने इस तरह की मुहिम चलाई थी , लेकिन सोमवार को तो अधिकांश पुलिस अफसर इस मुहिम में शामिल हो गए हैं।
इसमें भोपाल इंदौर और मऊगंज के अलावा प्रदेश भर के पुलिस अफसरों ने अपनी डीपी काली कर मुहिम को समर्थन देना बड़े पैमाने पर शुरु कर दिया है। उधर, छतरपुर जिले के सिविल लाइन थाने में पदस्थ सब इंस्पेक्टर अवधेश कुमार दुबे , जो सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद पुलिस में आए हैं। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लाइव आकर, पिछले कुछ दिनों से पुलिस और प्रशासन पर आम जनता द्वारा हो रहे हमले और घटनाओं को लेकर दुख व्यक्त किया है, वीडियो में मऊगंज में हुए एएसआई की मौत, इंदौर में वकीलों द्वारा पुलिस से बदसलूकी, ग्वालियर में तहसीलदार और टीआई पर हमलों का उल्लेख किया गया है। उन्होंने इन सब घटनाओं को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और डीजीपी से आग्रह किया है कि वे इन पर संज्ञान लें। उनके वायरल वीडियो में कहा गया है कि हम ऐसी सेवा में है जिसका कोई संगठन नहीं है।, लेकिन क्या पुलिस ऐसी ही शिकार होती रहे। उनका कहना है कि सेना के 18 साल के कार्यकाल के बाद उनको आठ साल पुलिस में हुए हैं, लेकिन मेरे पास आज भी जज्बा है कि वे अपनी बात मंच से कह सकते हैं। उन्होंने इंदौर की घटना का उल्लेख करते हुए कहा है कि पूर्व सीएम साहब ने कहा था कि दुष्टों के लिए काल बनो। पूर्व सीएम ने सही कहा था। हमें गश्त के लिए जो बाइक दी जाती है, उस पर लिखा होता है बाज या चीता, लेकिन हमारे नाखून लोंच लिए गए हैं। उन्होंने निलंबित आरक्षकों का समर्थन करते हुए भरोसा जाता है कि हम सभी उनके साथ हैं और एक दिन वे सभी निर्दोष साबित होंगे। कल कोई घटना अगर मेरे साथ ऐसी होगी तो हम भी वैसा ही करेंगे, जैसा आरक्षकों ने किया है। अगर नहीं भी होते हैं, तो भी जमीर जिंदा रहना चाहीए। उनका कहना है कि हम जैसे छोटे कर्मचारियों की ओर सीएम देखें, जिससे हमारा दंभ जिंदा रहे। हम त्योहारों और रविवार को भी काम करते हैं। हम अपनी पसंद से यहां आए हैं, कोई अहसान नहीं करते हैं। फिर भी इस तरह की घटना होती है तो दुख होता है।