जलवायु परिवर्तन को रोकने जमीनी स्तर पर हो रहे प्रयास

जलवायु परिवर्तन
  • 12 विभागों की मदद से 40 जिलों का  बनाया पर्यावरण प्लान

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जलवायु परिवर्तन को रोकने जमीनी स्तर पर व्यवहार में बदलाव लाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि, स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं को बढ़ावा मिल सके।
अक्षय ऊर्जा के स्रोतों, कम उत्सर्जन वाले उत्पादों और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के साथ ही वनीकरण में वृद्धि हो सके। इसके लिए प्रदेश के 12 विभागों की मदद से 40 जिलों में पर्यावरण प्लान बनाया गया है। गौरतलब है कि मप्र पर्यावरण के लिए कई अच्छे काम करने में सक्षम हुआ हैं। राज्य के वन क्षेत्र के साथ ही शेरों, बाघों, तेंदुओं, हाथियों की संख्या बढ़ाने के प्रयास सफल हो रहे हैं। गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से स्थापित विद्युत क्षमता एक बड़ी उपलब्धि है सरकार का नवीकरणीय ऊर्जा पर बहुत ज्यादा ध्यान रहा है। आगे का रास्ता नवाचार और खुलेपन का है। जब तकनीक और परंपरा का मेल होगा तो वह जीवन के दृष्टिकोण को और आगे लेकर जाएगा।
जिलों के पर्यावरण एक्शन प्लान हो रहे तैयार
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम करने में सहभागिता के लिए प्रदेश के सभी जिलों के पर्यावरण एक्शन प्लान बनाए जा रहे हैं। जिलेवार पर्यावरण का आकलन कर संरक्षण के लिए उपाय सुझाए जाएंगे। अभी 40 जिलों के प्लान बनाए जा चुके हैं। सभी जिलों के बनने के बाद पांच साल के लिए राज्य स्तरीय प्लान बनाया जाएगा। इसमें ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के उपाय तय किए जाएंगे। इस पर पर्यावरण विभाग काम कर रहा है। सभी संबंधित विभागों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं और क्रियान्वयन भी इन 12 विभागों की मदद से किया जाएगा। ये विभाग हैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास एवं आवास, वन, जल संसाधन, कृषि, पशुपालन, मत्स्य, परिवहन, उद्योग, नवकरणीय ऊर्जा, खनिज संसाधन और स्वास्थ्य। प्रमुख सचिव पर्यावरण नवनीत मोहन कोठारी का कहना है कि कार्ययोजना बनाने के लिए सभी जिलों में पर्यावरण संबंधी एक्शन प्लान बनाए जा रहे हैं। इसमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट और नवकरणीय ऊर्जा आदि जैसे क्षेत्रों पर फोकस किया जा रहा है।  
नए क्षेत्रों पर फोकस
कार्बन उत्सर्जन कम करने में मप्र की भूमिका और नेतृत्व बहुत ही महत्वपूर्ण है जिससे हम अपने जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकें। इसके लिए पर्यावरण के अनुरूप स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा दिया जा रहा है। संसाधनों का कुशलता से उपयोग और उसका पुन: उपयोग करने के लिए दृढ़ता से काम किया जा रहा है। सार्वजनिक प्रयास निजी प्रयास को प्रोत्साहित करें, इसके लिए समाज को जागरूक किया जा रहा है।  इसके लिए नए क्षेत्रों पर फोकस किया जा रहा है। जिसके तहत पौधरोपण बढ़ाकर ग्रीनकवर बढ़ाना, नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर ताप विद्युत पर निर्भरता कम करना। कुल बिजली उत्पादन में 40 प्रतिशत से ज्यादा सोलर, पवन ऊर्जा आदि करना, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम करना। इसके अलावा जैविक कृषि को बढ़ावा देना, कचरा निस्तारण की समुचित व्यवस्था, ताकि गैसें नहीं निकलें, इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देकर हानिकारक गैसों का उत्सर्जन कम करना, उद्योगों को आधुनिकतकनीक अपनाने के लिए पॉलिसी बनाना और संशोधन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में मीथेन गैस के उपयोगको बढ़ावा देना और पानी की री साइकलिंग और रीयूज को बढ़ावा देना जरूरी है।

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