अब मुख्य सचिव की निगरानी में बनेगा प्रदेश का नया बजट

  • लंबे समय तक संभाल चुके हैं प्रदेश में वित्त विभाग की कमान
बजट

विनोद उपाध्याय
अगले साल के वित्त वर्ष के लिए अभी से प्रदेश में बजट बनाने के लिए कवायद शुरु कर दी गई है। यह पहला मौका होगा जब बजट की पूरी तरह से निगरानी खुद मुख्य सचिव खुद करेंगे। दरअसल मुख्य सचिव अनुराग जैन लंबे समय तक प्रदेश के वित्त विभाग की कमान संभाल चुके हैं। इसकी वजह से उन्हें न केवल बजट का अनुभव है, बल्कि उन्हें हर विभाग के खजाने और उनकी योजनाओं का भी बड़ा अनुभव है। इसका फायदा प्रदेश सरकार को अगले बजट में मिलना तय माना जा रहा है। वे 2018 में जब प्रदेश लौटे तो उन्हें शिवराज सिंह चौहान की सरकार में वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वे कमलनाथ की सरकार में भी वित्त विभाग संभाल चुके हैं। अप्रैल 2020 में वे फिर दिल्ली लौट गए। इसके पहले वे कुछ समय के लिए भारतीय निर्यात-आयात बैंक की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। दरअसल, इन दिनों प्रदेश सरकार के खजाने की स्थिति अच्छी नहीं है। इसकी वजह से प्रदेश सरकार को लगातार कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। यही वजह है कि मुख्य सचिव ने इस बार खुद की निगरानी में बजट तैयार कराने का जिम्मा उठाया है। वैसे में उन्हें वित्त प्रबंधन में माहिर माना जाता है।  प्राथमिक स्तर पर बैठकें होने के बाद वे दिसंबर में बड़े विभागों के अधिकारियों के साथ वन टू वन चर्चा करेंगे। इसके पहले वे सभी विभागों की समीक्षा कर रहे हैं, ताकि वर्तमान में चल रही योजनाओं और कार्यक्रमों का पूरा फीडबैक ले सकें। सरकार ने तय किया है कि इस बार शून्य बजट तैयार होगा यानी एक-एक योजना की उपयोगिता का आंकलन कर उन्हें निरंतर रखने या बंद करने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मोहन सरकार का पहला बजट (वर्ष 2024-25) दो हिस्सों में आया था। लोकसभा चुनाव को देखते हुए पहले लेखानुदान और फिर पूर्ण बजट प्रस्तुत किया गया था। यह 3.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक का था। वर्ष 2025-26 का बजट चार लाख करोड़ रुपये के आसपास होगा। वित्त विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी हैं। प्रदेश के स्थापना दिवस एक नवंबर से जाति विभाग के उपसचिवों के साथ बैठकों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। पांच दिसंबर तक नई योजनाओं के संबंध में प्रस्ताव देने हैं। 23 दिसंबर से 15 जनवरी तक राजस्व संग्रहण करने वाले विभागों के साथ बैठक होगी, जिसके आधार पर आय-व्यय का खाका खींचा जाएगा। इस दौरान मुख्य सचिव अनुराग आए। जैन बड़े विभाग यानी कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास, लोक निर्माण, जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा, अनुसूचित जनजाति, ऊर्जा सहित अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करके प्रस्तावों को आगे बढ़ाएंगे। जोर इस बात पर अधिक रहेगा कि भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाया जाए। इसके राज्यांश की व्यवस्था पहले से करके रख जाए ताकि बाद में कोई समस्या नहीं आए। केन्द्र में  लंबे समय तक रहने के साथ ही पीएमओ में संयुक्त सचिव के रूप में काम करने का फायदा भी बजट में मिलना तय माना जा रहा है। केंद्र में लंबे समय तक रहने की वजह से उनके संबंधों की वजह से कई योजनाओं में अटकने वाला पैसा प्रदेश को सम पर तो मिल ही पाएंगा साथ ही बजट में भी उन योजनाओं को प्राथमिकता से शामिल किए जाने की संभावना है, जिनका फायदा अभी प्रदेश को कम ही मिल पता है।
30 करोड़ से अधिक की निकासी पर पाबंदी जारी
उधर, वित्त विभाग ने 30 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी बिना अनुमति करने पर रोक लगा दी है। संचालक बजट तन्वी सुन्द्रियाल ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि 30 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान अनुमति लेकर ही किया जाए। इसके लिए प्रस्ताव के साथ यह प्रमाण पत्र भी देना होगा कि राशि बैंक खाते में नहीं रखी जाएगी। दरअसल यह पत्र एक बार फिर से विभाग को इसलिए लिखना पड़ा है कि कई विभाग इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। दरअसल, सीमित वित्तीय साधनों के बीच वित्त विभाग ने मार्च में 2024-25 के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए थे ताकि बजट का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। विभाग ने नियम बना दिया था कि बजट प्रस्ताव में प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति के पत्र होने चाहिए। प्रस्ताव में उस अधिकारी का नाम हो जिसके नाम से बजट कोषालय से निकला जाएगा। कितना बजट जारी हुआ और कितना बचा इसका प्रमाण भी देना होगा। केंद्र की कुछ योजनाओं को छोडक़र ये सर्टिफिकेट देना होगा कि निकली गई राशि विभागीय खाते में नहीं पड़ी रहेगी उसका उपयोग होगा। इसके बाद वित्त विभाग प्रदेश की आर्थिक स्थिति के आधार प्रस्ताव पर निर्णय करेगा।

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