बुधनी सीट पर भाजपा प्रत्याशी का विरोध

भार्गव की जगह राजेन्द्र सिंह राजपूत को प्रत्याशी बनाने की मांग

बुधनी सीट

विनोद उपाध्याय
प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का बिगुल बजने के बाद पार्टियों ने मोर्चा संभाल लिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की परंपरागत बुधनी विधानसभा सीट पर भाजपा कागजों पर मजबूत नजर आ रही है। लेकिन भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव का जिस तरह विरोध शुरू हो गया है, उससे मुकाबला रोचक हो गया है। क्योंकि कांग्रेस ने इस सीट पर कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री  राजकुमार पटेल को मैदान में उतारा है। भाजपाई भार्गव की जगह राजेन्द्र सिंह राजपूत को प्रत्याशी बनाने की मांग कर रहे  हंै। गौरतलब है कि प्रदेश में श्योपुर जिले की विजयपुर और सीहोर जिले की बुधनी सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। गत दिवस बुधनी विधानसभा उपचुनाव को लेकर सह प्रभारी बनाए गए पूर्व मंत्री रामपाल सिंह राजपूत भेरूंदा पहुंचे थे। यहां उन्हें कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा। कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमें रमाकांत भार्गव जैसा प्रत्याशी मंजूर नहीं है। संगठन ने अपना निर्णय नहीं बदला तो फिर कार्यकर्ता परिणाम बदलने की ताकत भी रखता है। कार्यकर्ताओं ने राजेन्द्र सिंह राजपूत को प्रत्याशी बनाने की मांग की है।
चुनाव में परिणाम भुगतने की चेतावनी
दरअसल, बुधनी विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा के घोषित प्रत्याशी रमाकांत भार्गव से असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने एक बैठक रखी थी। नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए पूर्व मंत्री रामपाल सिंह राजपूत यहां पहुंचे थे। वे सभी को संबोधित कर रहे थे। तभी कार्यकर्ताओं ने उनके सामने कहा कि प्रदेश और केंद्रीय संगठन ने कार्यकर्ता और जनता की भावनाओं का सम्मान नहीं किया है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि पार्टी की ओर से घोषित उम्मीदवार हमें कतई मंजूर नहीं है। संगठन को अपना फैसला बदलना होगा। संगठन ने राजेन्द्र सिंह राजपूत को प्रत्याशी नहीं बनाया तो चुनाव में इसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। बैठक में कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के कारण रामपाल सिंह राजपूत को भाषण बीच में ही छोड़ना पड़ा।
उन्होंने कहा कि 2003 में राजेंद्र राजपूत ने ही यह सीट कांग्रेस से छीनी थी और 2005 में मप्र को ऐसा नेता दिया, जिसने राज्य को बीमारू से विकासशील बनाया। हालांकि, इस दौरान वे बार-बार उन्हें समझाने का प्रयास करते रहे। उन्होंने कहा कि हम सब लोगों ने मिलकर कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम केंद्रीय नेतृत्व के पास भेजा था। लेकिन, परिवार के सदस्य का नाम होने के कारण दिल्ली में आयोजित बैठक में शिवराज सिंह चौहान नहीं गए। इसलिए जो निर्णय केंद्रीय नेतृत्व ने लिया हैं, वह पार्टी का है। आप लोगों की भावनाओं को सुनने के लिए मैं आपके बीच आया हूं, आपकी बात को संगठन के बीच रखूंगा। लेकिन कार्यकर्ता नारेबाजी करते रहे। प्रत्याशी बदलने की मांग पर अड़े रहे। कार्यकर्ताओं ने प्रत्याशी नहीं बदलने पर कांग्रेस के समर्थन में वोटिंग तक करने की बात कह दी।
भावुक हुए राजपूत
बैठक में बुधनी विधानसभा उपचुनाव के लिए टिकट के दावेदार रहे राजेन्द्र सिंह राजपूत भी मौजूद रहे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को शांत कराने की कोशिश की। हालांकि उन्होंने भी पार्टी संगठन के निर्णय को पीड़ा दायक बताया। वे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मैंने इस बैठक में कार्यकर्ताओं को आने से रोकने का भरपूर प्रयास किया। लेकिन, मैं कार्यकर्ताओं के हिम्मत-हौसले को सलाम करता हूं, जिन्होंने एक बुलावे पर इस बैठक में आकर मेरा मान और सम्मान रखा। कार्यकर्ताओं की तपस्या भंग ना हो, इसलिए मैंने यह बैठक आहूत की। कार्यकर्ताओं का जो निर्णय होगा वह मेरे लिए सर्वमान्य होगा। मुझे पद का कोई लालच नहीं हैं। हम अपनी बात मर्यादित रूप से संगठन तक पहुंचाएंगे। लेकिन, प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व ने जो निर्णय लिया हैं वह पीड़ादायक है।

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