
- वन विभाग और पर्यटन विकास निगम के अफसरों की सांठ गांठ
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक तरफ सरकार बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर संवेदनशील है, वहीं दूसरी तरफ संजय टाइगर रिजर्व में वन विभाग और राज्य पर्यटन विकास निगम के अफसरों ने होटल और रिसॉर्ट तान दिए। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड की 31 जुलाई को हुई बैठक में यह करतूत पकड़ में आई तो राज्य के अधिकारियों में हडक़ंप मच गया। वन विभाग ने आनन-फानन में राज्य पर्यटन विकास निगम पर 15 सितंबर को वन अपराध भी दर्ज कर दिया, लेकिन अफसर दो महीने में अवैध होटल व रिसॉर्ट को तोड़ नहीं पाए। अब फिर दिल्ली में बोर्ड की बैठक प्रस्तावित है। इसमें राज्य वन्यप्राणी अभिरक्षक वीएन अंबाड़े को रिपोर्ट पेश करनी है। संजय टाइगर रिजर्व में सीधी जिले में आने वाले सोन घडिय़ाल अभयारण्य रामपुर नैकिन में मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा बिना अनुमति के निर्माण किया गया था। यह निर्माण संजय टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर में स्थित था, जहां निगम ने परसिली रिसॉर्ट के बगल में बड़े किचन और हॉल का निर्माण किया, साथ ही रीवा महाराज की कोठी कठबंगला में 16 कमरों का रिसॉर्ट तैयार किया था। इस बिना अनुमति निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। यह मामला 31 जुलाई को केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में आयोजित नेशनल वाइल्ड लाइफ स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में पेश किया गया। बैठक में यह अवैध निर्माण पाए गए, जिसके बाद पर्यटन विकास निगम के सचिव और सीधी कलेक्टर से जवाब तलब करने के निर्देश दिए गए थे।
अधिकारियों को बचाया जा रहा
वन्य प्राणी विशेषज्ञ अजय दुबे का कहना है कि उन्होंने पर्यटन विभाग के सचिव और सीधी कलेक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी। उनका कहना है कि दोनों अधिकारियों पर कोई कार्रवाई न किए जाने के कारण वह मुख्य सचिव से दोबारा शिकायत करेंगे। केंद्र ने 31 जुलाई को मामला पकड़ा। 3 सितंबर को रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर अमित कुमार दुबे ने घडिय़ाल अभयारण्य के अधीक्षक को कार्रवाई के निर्देश दिए। 11 सितंबर को अधीक्षक ने राज्य पर्यटन विकास निगम के कार्यपालन यंत्री रीवा संभाग, प्रबंधक परिसिली रिसॉर्ट, टूरिज्म बोर्ड सीधी और प्रबंधक कठबंगला को नोटिस देकर 10 दिन में अवैध निर्माण तोडऩे को कहा। 19 सितंबर को राज्य पर्यटन विकास निगम सागर के कार्यपालन यंत्री ने वन विभाग को एक पत्र लिखा है जिसमें बताया कि केंद्र की स्वदेश दर्शन योजना के तहत वाइल्डलाइफ सर्किट बनाए जाने हैं। इसके लिए दोनों काम किए जा रहे थे, इसके लिए राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की सहमति भी ली थी।
माधव पार्क को रिजर्व बनाने की आज मिल सकती है मंजूरी
माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की सैद्धांतिक सहमति बुधवार को राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में मिल सकती है। राज्य ने कार्यवाही पूरी कर ली है। इधर, रातापानी अभयारण्य को रिजर्व बनाने में आ रही अड़चनों को लेकर सीएस अनुराग जैन ने आज अंतरविभागीय बैठक बुलाई है। बता दें कि माधव पार्क को रिजर्व बनाने की सहमति 27 सितंबर को राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में दे दी थी।
यह है विशेषता: जैव-विविधतापूर्ण वन क्षेत्र को संरक्षित करने की दृष्टि से संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यान व टाइगर रिजर्व की स्थापना 1975 में की गई। सदाबहार साल वनों का यह क्षेत्र 152 पक्षी, 32 स्तनधारी, 11 सरीसृप, 3 उभयचर व 34 मत्स्य प्रजातियों समेत अनेक जीवों विशेषकर बाघों का आश्रयस्थल है। सफेद बाघों में सबसे प्रथम बाघ ‘मोहन’ यहीं पाया गया था।
दोनों निर्माण कार्यों पर 10 करोड़ से ज्यादा फूंके
रिजर्व क्षेत्र के सीधी सोन घडिय़ाल अभयारण्य में कठबंगला व परिसिली वन क्षेत्र में नियम विरुद्ध निर्माण का प्रस्ताव राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में रखा गया था। प्रस्तावों को राज्य वन्यप्राणी बोर्ड से इस आधार पर मंजूरी दिलाई कि दोनों कामों की जो कुल लागत होगी, उसका दो प्रतिशत वन विभाग को दिया जाएगा। राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक से दोनों प्रस्तावों को मंजूरी मिलती, उससे पहले ही अफसरों ने दोनों निर्माण कार्यों पर 10 करोड़ से ज्यादा रुपए फूंक दिए। इन क्षेत्रों में पहले से जो संरचनाएं थीं, उन्हें पक्का स्वरूप दिया गया। वन्यप्राणियों के परिवेश में खलल पैदा हुआ। विशेषज्ञ अजय दुबे का कहना है कि केंद्र की योजना में कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि अवैध रूप से बाघों के घरों में घुसकर निर्माण किए जाएं। उन्होंने प्रस्ताव लाने की जांच कराने की मांग की है।