
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव चाहते हैं कि राजधानी के विकास का जिम्मा एक बार फिर से सीपीए के पास हो। इसके लिए वे फिर से सीपीए को शुरु करने के निर्देश दे चुके हैं। सीपीए को शुरु करने की प्रशासन द्वारा कवायद भी शुरु कर दी गई है, लेकिन लोक निर्माण विभाग के अफसर नही चाहते हैं कि उसके अधिकारों व मालिकाना हक में कोई कमी हो , लिहाजा लोनिवि के अफसर किसी भी हाल में राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) की संपित्तयों का आधिपत्य नगरीय विकास एवं आवास विभाग को देने को तैयार नहीं है। दरअसल हाल ही में नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को फाइल भेजकर सीपीए की संपत्तियां उसे हस्तांतरित किए जाने को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की मांग की थी , जिस पर लोनिवि ने नगरीय विकास विभाग को दिए अपने अभिमत में कहा है कि वह सीपीए की संपत्तियां हस्तांतरित नहीं करना चाहता है।
इस संबंध में विभाग ने कुछ कारण भी बताए हैं। जानकारी के अनुसार ढाई साल पहले सीपीए को बंद करने के बाद इसकी संपत्तियां (सडक़ों बड़े सरकारी भवनों का मेंटेनेंस) लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थीं। गत 30 अगस्त को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर से सीपीए को पुर्नजीवित करने के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया था। अधिकारियों का कहना है कि सीपीए के पुर्नगठन को लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाना है। चूंकि सीपीए की संपत्तियां पीडब्ल्यूडी के आधिपत्य में हैं इसलिए विभाग की एनओसी के बगैर प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं लाया जा सकेगा। यही वजह है कि नगरीय विकास विभाग ने एनओसी लेने के लिए पीडब्ल्यूडी को फाइल भेजी थी। इस मामले में अपर मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी केसी गुप्ता ने सिर्फ इतना कहा कि सीपीए को लेकर हमने अपना अभिमत दे दिया है।
पूर्व में यह काम था सीपीए के जिम्मे
सीपीए के पास मंत्रालय, सतपुड़ा भवन, विंध्याचल, विधानसभा भवन, विधायक विश्रामगृह, शहीद स्मारक, पर्यावास भवन, गैस राहत एवं पुर्नवास विभाग के चिकित्सालय, डिस्पेंसरी, आवास के मेंटेनेंस के अलावा भोपाल के प्रमुख मार्गों और पार्कों को संधारित करने का काम सीपीए के जिम्मे था। यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन का काम देख रहा था। इन कार्यों का बजट करोड़ों में है। मंत्रालय का रेनोवेशन 107 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। सतपुड़ा और विंध्याचल भवन को तोडक़र करोड़ों की लागत से नया भवन बनाया जाना प्रस्तावित है। अभी यह काम पीडब्ल्यूडी के जिम्मे हैं। यदि सीपीए के पुनर्गठन के बाद पूर्व की तरह इसका आधिपत्य नगरीय विकास एवं आवास विभाग को सौंप दिया जाता है, तो ये सभी कार्य उसे हस्तांतरित हो जाएंगे। यही वजह है कि दोनों विभागों के बीच सीपीए के आधिपत्य को लेकर चल रही है।
शिव सरकार में हुआ था बंद
तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर 3 मार्च, 2022 को कैबिनेट ने सीपीए को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद सीपीए में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अधिकारियों- कर्मचारियों को मूल विभाग वापस लौटा दिया गया था। शहर की सडक़ और भवनों के मेंटेनेंस का काम पीडब्ल्यूडी और पार्कों के संधारण का दायित्व वन विभाग को सौंप दिया गया था। सीपीए दोबारा चर्चा में तब आया, जब गत मार्च में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर सीपीए को दोबारा चालू करने की मांग की। इसके बाद शासन ने सीपीए के पुनर्गठन की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी। हालांकि कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने गत 4 जुलाई को विधानसभा को बताया था कि सरकार का सीपीए को फिर से शुरू करने का कोई विचार नहीं है।