
- मिशन मोड में मोहन सरकार
इस समय देश में जाति की राजनीति अपने चरम पर है। विपक्षी पार्टियां जातिगत मुद्दों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को घेरने में जुटी हुई हैं। इन सबके इतर मप्र की मोहन सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 4 जातियों को विकास का आधार बनाकर मप्र को विकसित राज्य बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है कि इससे प्रदेश में समुचित विकास होगा।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। अपने 8 माह के शासनकाल में कथनी और करनी की समानता के कारण प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ आबादी का मन मोहने वाले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश में एक समान विकास के लिए कई मोर्चों पर काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 4 जातियों युवाओं, महिलाओं, गरीबों और किसानों को लक्ष्य बनाकर काम करने जा रही है। इसके लिए अब प्रदेश की मोहन सरकार पूरी तरह मिशन मोड में आ गई है। सरकार हर कार्य मिशन बनाकर संपन्न करेंगी। इसी के तहत अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार जातियों और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण से प्रेरणा लेते हुए, मप्र सरकार ने युवाओं, महिलाओं, गरीबों और किसानों को लक्षित करते हुए चार नए मिशन शुरू करने का फैसला किया है। 1 नवंबर को राज्य के स्थापना दिवस पर युवा शक्ति मिशन, गरीब कल्याण, नारी सशक्तीकरण और किसान कल्याण मिशन नाम से नए मिशन शुरू किए जाएंगे। जिसमें गरीब, युवा, महिला और किसानों को प्राथमिकता देने के लिए योजना बनाई जाएगी। इसे लेकर सितंबर में मंत्री और अधिकारियों की बैठक होगी। अक्टूबर और नवंबर में कार्य योजना तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री ने टारगेट भी दे दिया है। मप्र की स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री कर जातियों को लेकर बड़े ऐलान करेंगे। लॉन्ग टर्म राहत देने के लिए मोहन सरकार योजनाओं को लागू करेगी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में विकसित भारत संकल्प यात्रा को संबोधित करते हुए देश में चार जातियां बताई थीं। उन्होंने कहा था कि देश में सिर्फ चार जातियां-गरीब, युवा, महिलाएं और किसान हैं। मैं इन चारों जातियों के सशक्तिकरण के लिए काम कर रहा हूं। अब मप्र सरकार ने भी पीएम मोदी का अनुसरण करते हुए इन चार जातियों के सशक्तिकरण के लिए मिशन मोड में काम करने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार मप्र के स्थापना दिवस यानी एक नवंबर से चार मिशन शुरू करेगी। इनमें युवा शक्ति मिशन, गरीब कल्याण मिशन, किसान कल्याण मिशन और नारी सशक्तिकरण मिशन शामिल हैं।
गरीब, युवा, महिला और किसानों को प्राथमिकता देने के लिए बनाए जा रहे मिशन को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रियों और अधिकारियों को चारों मिशनों की जानकारी देते हुए इसकी रूपेरखा तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सीएम सचिवालय ने इस सिलसिले में मंथन कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी शुरू कर दी है। मंथन कार्यक्रम सितंबर में भोपाल में आयोजित होगा। इसमें सभी मंत्री, अधिकारी और विषय विशेषज्ञ चार मिशनों की रूपरेखा तैयार करने को लेकर विचार-विमर्श करेंगे। कार्यशाला में मिशनों के क्रियान्वयन की रणनीति पर भी चर्चा होगी। सीएम सचिवालय के अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। सरकार इन चार वर्गों के सशक्तिकरण के लिए ऐसी योजना बनाना चाहती है, जिससे उन्हें न सिर्फ फौरी तौर पर लाभ मिले, बल्कि इसका फायदा इन वर्गों को लॉन्ग टर्म (दीर्घकाल) में मिले। यही वजह है कि एक-एक पहलू का अध्ययन कर योजना तैयार की जाएगी। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजधानी के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में एक नवंबर में चार मिशन शुरू करने की घोषणा की थी। गरीब, युवा, महिला और किसानों को प्राथमिकता देने के लिए बनाए जा रहे मिशन में सरकार का फोकस चारों वर्गों के विकास और कल्याण पर फोकस रहेगा। युवा शक्ति मिशन में शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार, उद्यमिता, नेतृत्व विकास, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास की कार्य योजना तैयार कर मिशन मोड में कार्य किया जाएगा। गरीब कल्याण मिशन में स्व-रोजगार योजनाएं, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा आदि की दिशा में कार्य करेगा। नारी सशक्तिकरण मिशन के तहत बालिका शिक्षा, लाड़ली, लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना, लखपति दीदी योजना, महिला स्व- सहायता समूहों के सशक्तिकरण आदि कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से किए जाएंगे। किसान कल्याण मिशन में सरकार कृषि एवं उद्यानिकी को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में कार्य करेगी। किसानों को राहत प्रदान करने के साथ एवं कृषि की पैदावार बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएंगे।
विपक्ष पर भारी चार जातियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार जातियां विपक्ष के जातिगत फॉर्मूले पर भारी पड़ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत की हैटट्रिक ने विपक्षी दलों की जातिगत राजनीति को तार-तार करके रख दिया है। लोगों को जातियों में बांटकर राज करने के कांग्रेसी मंत्र पर पीएम मोदी के महामंत्र ने ऐसा करारा प्रहार किया कि पूरा विपक्ष लहूलुहान हो गया। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में विकास का ऐसा मॉडल बनाने का निर्णय लिया है जिससे प्रदेश की पूरी आबादी का एक समान विकास हो सके। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में एक समान विकास का जो फॉर्मूला बनाया है, उसके तहत प्रदेश सरकार अब प्रधानमंत्री की चार जातियों पर फोकस करते हुए मिशन मोड में काम करेगी। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर की। मुख्यमंत्री के अनुसार मप्र सरकार प्रधानमंत्री के विचारों से प्रेरणा लेकर चार मिशन- युवा शक्ति मिशन, गरीब कल्याण मिशन, किसान कल्याण मिशन और नारी सशक्तीकरण मिशन मप्र के स्थापना दिवस एक नवंबर से लागू करने जा रही है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास में 4 वर्गों- युवा, महिला, किसान और गरीब को आधार स्तंभ के रूप में परिभाषित किया है। मप्र सरकार प्रधानमंत्री के विचारों से प्रेरणा लेकर चार मिशन, युवा शक्ति, गरीब कल्याण, किसान कल्याण और नारी सशक्तिकरण मिशन बनाकर काम करने जा रही है। मप्र के स्थापना दिवस आगामी एक नवंबर से ये 4 मिशन अपना काम शुरू करेंगे। युवा शक्ति मिशन के अंतर्गत शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार, उद्यमिता, नेतृत्व विकास, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास की कार्य योजना तैयार कर मिशन मोड में कार्य किया जाएगा। नारी सशक्तीकरण मिशन के तहत बालिका शिक्षा, लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना, लखपति दीदी योजना महिला स्व-सहायता समूहों के सशक्तीकरण आदि कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा शक्ति मिशन में शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार, उद्यमिता, नेतृत्व विकास, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास की कार्य योजना तैयार कर मिशन मोड में कार्य किया जाएगा। गरीब कल्याण मिशन में स्व-रोजगार योजनाएं, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा आदि की दिशा में कार्य करेगा। नारी सशक्तिकरण मिशन के तहत बालिका शिक्षा, लाड़ली, लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना, लखपति दीदी योजना, महिला स्व-सहायता समूहों के सशक्तिकरण आदि कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से किए जाएंगे। किसान कल्याण मिशन में सरकार कृषि एवं उद्यानिकी को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में कार्य करेगी। किसान कल्याण मिशन के अंतर्गत सरकार कृषि एवं उद्यानिकी को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में कार्य करेगी। किसानों को राहत एवं कृषि की पैदावार बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएंगे। युवा शक्ति मिशन युवाओं के भविष्य को उज्ज्वल और सशक्त बनाने का संकल्प है। हर गरीब और कमजोर व्यक्ति को समृद्धि और सुरक्षा की ओर ले जाना हमारा संकल्प है। उन्होंने कहा कि एआई मशीन लर्निंग और कोडिंग जैसी उभरती तकनीकों की भी शिक्षा प्राप्त करनी है। इसके लिए हमने 485 करोड़ रुपये का निवेश किया है। प्रदेश के 55 जिलों के महाविद्यालयों को एक-एक पीएम कॉलेज आफ एक्सीलेंस में परिवर्तित किया है। 35 नए व्यावसायिक विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया है। शासकीय नौकरी के 11 हजार से अधिक नियुक्ति पत्र जारी किए जा चुके हैं। राज्य में 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से 60 से अधिक नई उद्योग इकाइयों की स्थापना की जा रही है, जिनसे 17 हजार से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने विकास का पूरा खाका तैयार कर लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक जिला अस्पताल में 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी के जन्म दिवस पर रेडक्रॉस से जन आरोग्य केंद्र शुरू किए जा रहे हैं। प्रदेश में 15 अगस्त से ई-संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लागू किया गया है, जिसके माध्यम से रजिस्ट्री पूर्णत: डिजिटल प्रकिया से होगी। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में मेट्रोपॉलिटिन सिटी बनाई जाएगी। भगवान श्रीकृष्ण के चरण प्रदेश के जिन-जिन स्थानों पर पड़े थे, उन स्थानों के विकास के लिए श्रीकृष्ण पाथेय योजना की कार्य योजना बनाने का कार्य प्रगति स्तर पर है। मप्र में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की श्रृंखला शुरू की गई है। 31 नए औद्योगिक क्षेत्रो को 9800 एकड़ भूमि प्रदान की जा रही है। राज्य में 10 हजार करोड़ रुपए की लागत से 60 से अधिक नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की जा रही है। इसमें 17 हजार से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का बजट अगले पांच वर्ष में दोगुना करने की दिशा में सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि युवाओं को एआई, मशीन लर्निंग और कोडिंग जैसी नवीन तकनीकों की भी शिक्षा प्राप्त करनी है। इसके लिए उच्च शिक्षा में 485 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। प्रदेश के 55 जिलों के एक-एक महाविद्यालयों को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में परिवर्तित किया गया है।
शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति का टारगेट
मप्र ने पिछले वर्षों में प्रगति और विकास के मार्ग पर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। समृद्ध, साक्षर, स्वस्थ और खुशहाल मप्र के शत- प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति के लिए शुरू की गई विकास यात्रा निरंतरता जारी रहेगी। राज्य सरकार युवा, महिला, गरीब और किसान भाइयों के विकास और कल्याण के लिए मिशन मोड में कार्य करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि, प्रदेश में नवीन औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने और निवेश को बढ़ाने के लिये रीजनल इन्वेस्ट समिट का श्रृंखलाबद्ध आयोजन किया जा रहा है। मप्र की खुबियों और यहाँ दी जा रही सुविधाओं से निवेशक आकर्षित हो रहे है। प्रदेश के बाहर के नामी उद्योगपतियों ने राज्य सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कर अपनी औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने में रूचि दिखाई है। प्रदेश में आने वाले निवेश और उद्योगों से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा, जिससे वे आत्म-निर्भरता की ओर अग्रसर होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि विकसित भारत-2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में युवाओं की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। युवाओं का संकल्प, मेहनत और सोच ही देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचायेगी। प्रदेश में शुरू होने वाला युवा शक्ति मिशन युवाओं के भविष्य को उज्ज्वल और सशक्त बनाने का संकल्प है। समय की मांग के अनुसार युवाओं को एआई, मशीन लर्निंग और कोडिंग जैसी उभरती तकनीकों की शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने 485 करोड़ रुपये का निवेश किया है। मुख्यमंत्री यादव का कहना है कि जब तक समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति का कल्याण नहीं होगा, जब तक प्रदेश का वास्तविक विकास अधूरा है। गरीब कल्याण मिशन से प्रदेश में गरीब और कमजोर वर्गों के युवाओं के जीवन में एक नया अध्याय लिखने का संकल्प लिया गया है। यह मिशन समाज के सबसे वंचित तबके को सशक्त और समर्थ बनाने के लिए समर्पित है। गरीब कल्याण मिशन, स्व-रोजगार योजनाओं में सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा की दिशा में कार्य करेगा। गरीब व्यक्ति को गरीबी के चक्रव्यूह से निकाल कर सम्मानित और सुरक्षित जीवन प्रदान करना हमारा ध्येय है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि गरीबों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में 7 लाख मकानों तथा शहरी क्षेत्र में 7 लाख 51 हजार आवासों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और निकाह सहायता योजना में वर्ष 2023-24 में 62 हजार 583 कन्याओं के विवाह के लिए सहायता राशि दी गई। समाज के वरिष्ठजन, दिव्यांगजन, निराश्रितों और कल्याणी बहनों को प्रत्येक माह 600 रूपए दिए जा रहे हैं। बीते वर्ष 34 हजार दिव्यांगों को 43 करोड़ 80 लाख रूपए लागत के 66 हजार से अधिक कृत्रिम अंग लगवाए गए हैं। गरीब कल्याण की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पूरी तत्परता से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री कहते हैं राज्य सरकार बहनों के समग्र सशक्तिकरण के लिये दृढ़ संकल्पित है। प्रदेश में शुरू किये जा रहे नारी सशक्तिकरण मिशन से महिलाओं को समानता के अवसर, सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जायेगा। साथ ही बालिका शिक्षा, लाडली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना, लखपति दीदी योजना, महिला स्व- सहायता समूहों के कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से किए जाएंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि मप्र की साढ़े आठ करोड़ जनता ही मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जन-कल्याण, सुशासन और विकास मेरी प्राथमिकता है। मोदी जी की गारंटी पूरी करना और संकल्प-पत्र में जनता से किए गए वादों को धरातल पर उतारना मेरी प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री द्वारा निश्चित की गईं चार जातियां गरीब, किसान, युवा और महिला का कल्याण मेरी प्राथमिकता है। मप्र आत्मनिर्भर और विकसित भारत का आधार-स्तंभ बने, यह मेरी प्राथमिकता है। बिना थके, बिना रुके मप्र के कल्याण के लिए अनवरत कार्य करना ही मेरी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि किसान मप्र की रीढ़ और मुकुट हैं। पिछले 20 वर्षों में भाजपा सरकार ने प्रदेश को बीमारू से बेमिसाल राज्य बना दिया है। इसमें सबसे बड़ा योगदान किसानों का ही है। प्रदेश को सात बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिलना इसका प्रमाण है। बात परंपरागत खेती की हो, प्राकृतिक खेती की हो या फिर श्रीअन्न उत्पादन की, हमारे किसान हर मोर्चे पर अग्रणी हैं। हमारे शरबती गेहूं, चिन्नौर चावल और सुंदरजा आम के स्वाद का लोहा दुनियां मान रही है। ऐसे पराक्रमी किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए डबल इंजन सरकार लगातार प्रयास कर रही है। हमने संकल्प पत्र में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2700 रुपये करने का वादा किया है। संकल्प पत्र पांच वर्षों के लिए होता है। हम अपना यह वादा अवश्य पूरा करेंगे।
विकास का रोड मैप पर काम
मुख्यमंत्री की मंशा है कि मप्र में विकास के कार्य निरंतर चलते रहें। हर जिले में विकास कार्यों को पूरा करने के लिए रोड मैप तैयार कर लिया जाए। जिले के विकास कार्यों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र वार भी विकास कार्यों का विभाजन कर लिया जाए। विधायक, मंत्री आगामी चार- पांच वर्षों के लिए यह रोड मैप तैयार करें और कलेक्टर इन्हें सहयोग करें। इसके लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित कर रखा है। उन्होंने अफसरों से कहा है कि विकास कार्यों को प्राथमिकता निर्धारित कर पूरा करने की योजना भी बनाई जाए। मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता वाली योजनाओं का लाभ किसानों, महिलाओं, गरीबों और युवाओं को पात्रतानुसार मिले। कोई भी हितग्राही जनहितैषी योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की फ्लेगशिप योजनाओं के क्रियान्वयन पर जनप्रतिनिधि व्यक्तिगत रूप से ध्यान देकर कार्य करें। उन्होंने कहा है कि अधिकारी, जनप्रतिनिधि सरकार के अंग हैं। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के आपसी समन्वय में किसी भी प्रकार की दूरी न रहे। आदर्श विधानसभाएं बनाने के लिए जरूरी विकास कार्य और उपाएं सुनिश्चित किए जाएं। सांसद और विधायक आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए ऐसी व्यवस्था बनाएं कि वे अपने कार्यालय से ही व्यक्तिगत रूप से वीडियो कांफ्रेंसिंग कर सकें। मुख्यमंत्री का कहना है कि एक जिला एक उत्पाद की मार्केटिंग हो। रोजगारपरख कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों की बेहतर भूमिका रहे। जल गंगा संवर्धन अभियान और पौधरोपण अभियान बड़े पैमाने पर चलता रहे। पौधरोपण अभियान के तहत अच्छे छायादार और फलदार पौधे लगाए जाएं। उन्होंने कहा कि जबलपुर, इंदौर, भोपाल सहित विभिन्न जिलों में पौधे लगाने का कार्य अच्छा हुआ है और बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर प्रदेश के विभिन्न अंचलों में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के आयोजनों से प्रदेश में औद्योगिक क्रांति के नए द्वार खोल दिये है। उनके औद्योगिक प्रगति के नए मंत्र से आंचलिक उद्यमियों को नई ऊर्जा मिली है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लघु और मध्यम श्रेणी (एमएसएमई) के उद्यमियों को प्रोत्साहित करने की महत्वपूर्ण और सामयिक पहल की है। इसी का परिणाम है कि गत 20 जुलाई को जबलपुर में सम्पन्न रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में वृहद इकाइयों के साथ ही एमएसएमई इकाइयों की स्थापना के लिए निवेशकों ने लगभग 22 हजार करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव दिए हैं। यह निवेश बड़ी संख्या में रोजगारों का सृजन करेगा। प्रदेश में वृहद इकाइयों की स्थापना के लिए 17 हजार करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव और एमएसएमई इकाइयों की ओर से प्राप्त 5 हजार करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इस तरह जबलपुर के रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में छोटे-बड़े उद्योगों की ओर से कुल 22 हजार करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की भूमिका से इस माह इनमें निरंतर वृद्धि भी होगी। इसके लिए प्रमुख उद्योगपतियों से संवाद का सिलसिला निरंतर जारी है। जबलपुर आरईसी में सबसे बड़ा निवेश प्रस्ताव रक्षा उपकरण निर्माण से संबंधित 600 करोड़ रूपए का है। इसके अंतर्गत अशोक लीलैंड एवं आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड के बीच करारनामा भी हो गया है। यह प्रस्ताव मप्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने क्षेत्रीय स्तर पर उद्योगों के विकास की ठोस पहल की है। इसके लिए के नवीन मंत्र का उपयोग प्रभावी तरीके से प्रारंभ किया गया है। गत मार्च माह में उज्जैन में सम्पन्न रीजनल कॉन्क्लेव के बाद महाकौशल अंचल के प्रमुख नगर और औद्योगिक केन्द्र जबलपुर में हुई कॉन्क्लेव अनेक अर्थ में महत्वपूर्ण रही। कॉन्क्लेव से जहां प्रदेश में 67 नई औद्योगिक इकाइयों के लोकार्पण और भूमिपूजन सम्पन्न हुए, वहीं 265 औद्योगिक इकाइयों को 340 एकड़ भूमि आवंटित की गई। नई इकाइयों से प्रदेश में 16 हजार 500 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। कुल 332 इकाइयों द्वारा 3330 करोड़ रूपए का नया निवेश आ रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के सभी अंचलों में आरईसी के आयोजन के निर्देश दिए थे। आगामी माहो में प्रदेश के अन्य बड़े नगरों में भी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित करने की योजना है। इनमें सागर, रीवा और ग्वालियर शामिल हैं। इससे बुंदेलखंड, विंध्य और चम्बल क्षेत्र में स्थानीय उद्यमियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। विभिन्न क्षेत्रों में छोटी और मध्यम श्रेणियों की इकाइयों का संचालन करने वाले उद्यमी शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ लेने के लिए अग्रसर होंगे। विशेष रूप से कृषि, फूड प्रोसेसिंग, खनिज, रक्षा उत्पादन, पर्यटन और वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रारंभ किए गए प्रयास सफलता के नए आयाम स्थापित करेंगे। प्रदेश में हो रही रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव बहुआयामी गतिविधियों के कारण उद्योगों के विकास का आधार बन रही हैं। ये कॉन्क्लेव जहां बायर- सेलर मीट के माध्यम से महत्वपूर्ण मंच सिद्ध होती हैं, वहीं वृहद औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव और प्रमुख उद्योगपतियों के बीच वन-टू-वन बैठकें मील का पत्थर का साबित होंगी। उद्योगों के लिए आवश्यक सुविधाओं को प्रदाय करने में जहाँ कोई बाधा या कठिनाई सामने आती है, वन-टू-वन बैठकें ऐसी कठिनाइयों को दूर कर त्वरित समाधान में सहायक बनती हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में एमएसएमई सेक्टर की भूमिका निरंतर महत्वपूर्ण बन रही है।
विधानसभा वार विकास पर फोकस
मप्र सरकार प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र को विकास का मॉडल बनाएगी। यानी हर विधानसभा क्षेत्र में आवश्यक सुविधाओं के साथ ही वह सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, जो वहां के निवासियों में गर्व का भाव भर सके। इसके लिए सरकार विधानसभा क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से योजना बना रही है। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रूपए के विकास कार्य कराए जाएंगे। जानकारी के अनुसार सरकार ने विधायकों से अपने विधानसभा क्षेत्र में कराए जाने वाले विकास कार्यों का प्रस्ताव मांगा है। विधायकों से प्रस्ताव मिलने के बाद सरकार आगामी चार साल में विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने का काम करेगी। गौरतलब है की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पूरा फोकस प्रदेश में एक समान विकास पर है। इसके लिए ही रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। दरअसल, सरकार की कोशिश है कि चार साल में विधानसभा क्षेत्रों कोआदर्श बनाया जाए। स्कूल, बिजली, पानी, सडक़, नाली, सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी केंद्र समेत सभी सुविधाएं होंगी। केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं से पात्रों को लाभांवित किया जाएगा। रोजगार के लिए मेलों का आयोजन होगा तो खेलकूद की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के साथ गोवंश के सरंक्षण और पर्यटन की गतिविधियों के विकास पर ध्यान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने विधायकों से विधानसभा क्षेत्र के विकास संबंधी दृष्टि पत्र मांगा है। इसे तैयार करने के लिए प्रारूप भी भेजा गया है। योजना में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर अपना एकाधिकार जमाने के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार उत्साहित भी है और विकास की नई कहानी लिखने की तरफ अग्रसर हो रही है। ग्रामीण विकास को तरजीह देने वाला एक फैसला अब प्रदेश की मोहन सरकार लेने वाली है। प्रदेश की सभी 230 विधानसभाओं में एक एक मॉडल गांव तैयार करने के लिए अब सरकार विधायकों को उनकी विधानसभा का कोई एक गांव गोद लेने की बाध्यता करने वाली है। इसी के चलते प्रदेश की हर विधानसभा में एक- एक मॉडल गांव तैयार करने की योजना बनाई गई है। बताया जा रहा है कि इन चिन्हित गांवों के समग्र विकास की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के विधायक पर होगी। इसके लिए सांसदों की तरह सभी विधायकों को भी उनकी विधानसभा क्षेत्र का एक गांव गोद लेना होगा। विधायकों द्वारा गोद लिए जाने वाले आदर्श ग्राम की प्राथमिकताओं में सडक़, पानी, सीवेज, स्वच्छता तो होगी ही। साथ ही इन गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य को खास महत्व दिया जाएगा। कोशिश यह भी की जाएगी कि इन गांवों में सरकारी योजनाओं के अलावा निजी सेक्टर से रोजगार के साधन मुहैया कराए जाएं। ताकि ग्रामीणों को अपनी धरती से पलायन का दंश न झेलना पड़े। मप्र को गांवों का प्रदेश कहा जाता है।
एक अनुमान के मुताबिक यहां 54 हजार से ज्यादा गांव मौजूद हैं। हालंकि केंद्र और प्रदेश की विभिन्न योजनाओं ने इन गांवों तक सडक़, पानी, बिजली की सुविधाएं पहुंचाई हैं। प्रदेश सरकार के नए कदम से हर विधानसभा में एक एक गांव विकसित किया जाता है तो कुल 230 गांवों तक सुविधाएं पहुंचेंगी। इसके अलावा प्रदेश के सांसदों को भी उनकी संसदीय सीमा में एक गांव गोद लेने की व्यवस्था है। इस लिहाज से प्रदेश के ढाई सौ से ज्यादा गांव पहले से ज्यादा विकसित हो सकते हैं। पूर्व व्यवस्था के मुताबिक प्रदेश के सांसद अपने क्षेत्र के गांव गोद तो ले लेते हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश सांसद जिम्मेदारी लेने के बाद वे अपने कर्तव्य से विमुख ही दिखाई दिए हैं। गोद लेने के बाद कई गांवों का यह हश्र भी हुआ है कि संबंधित सांसद पूरे कार्यकाल में उस गांव तक पहुंचे ही नहीं हैं। प्रदेश में नई व्यवस्था की शुरुआत के साथ इस बात पर ध्यान रखना भी जरूरी होगा कि संबंधित विधायक इसके प्रति गंभीरता दिखाएं। मप्र में सरकार चाहती है की प्रदेश के विकास में सबकी भूमिका हो। इसके लिए सरकार ने तय किया है कि विधानसभा क्षेत्रों को आदर्श बनाया जाएगा। इसके लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से दी जाने वाली राशि के साथ विधायक, सांसद निधि और कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी का उपयोग किया जाएगा। जो राशि और लगानी होगी, वह सरकार अपने वित्तीय संसाधनों से लगाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी विधायकों को दृष्टि पत्र का प्रारूप भेजा है। इसमें बताया गया कि दृष्टि पत्र तैयार करते समय विधायक क्षेत्र की महत्वपूर्ण समस्याओं का आंकलन करें। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, आंगनबाड़ी, कौशल विकास, पेयजल, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, यातायात, गोवंश संरक्षण, पर्यटन, रोजगार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कार्य प्रस्तावित करें। एक जिला-एक उत्पाद योजना के माध्यम से कैसे रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं, इस पर विचार अवश्य किया जाए। साक्षरता की दर बढ़ाने, शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य में सुधार, कुपोषण में कमी लाने, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए भी कार्ययोजना बनाई जाएगी। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने विधायकों से 15-15 करोड़ रुपये के क्षेत्र में विकास से संबंधित प्रस्ताव मांगे थे। अधिकतर सदस्यों ने सडक़, पुल-पुलिया, सामुदायिक भवन आदि के प्रस्ताव दिए थे, जिन्हें विभिन्न योजनाओं में सम्मिलित कर काम स्वीकृत कराए गए।