असंतोष की आशंका में फंसे कमलेश

  • अब संगठन चुनाव के बाद ही लग सकती है शाह की लॉटरी
  • विनोद उपाध्याय
कमलेश

पार्टी बदलने के बाद अमरवाड़ा से उपचुनाव जीतकर कमलेश शाह विधायक तो बन गए हैं, लेकिन फिलहाल मंत्री बनने की उनकी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी में असंतोष की आशंका को देखते हुए कमलेश शाह को मंत्री बनाने का मामला फिलहाल अधर में लटक गया है। अब संभावना जताई जा रही है कि संगठन चुनाव में बाद ही इस दिशा में कुछ किया जा सकता है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के तीन विधायकों ने पार्टी छोडक़र भाजपा ज्वॉइन की थी, जिसमें कमलेश शाह, राम निवास रावत और निर्मला सप्रे शामिल हैं। राम निवास रावत मंत्री बन गए हैं। रावत को जब मंत्री बनाया गया तब शाह के भी शपथ लेने की अटकलें थीं , लेकिन शाह उस वक्त अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी थे। एक चर्चा यह भी थी कि शाह के चुनाव जीतते ही उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तो उनके मंत्री बनने की चर्चा पर ही विराम लग गया है।
मूल भाजपाईयों का असंतोष
भाजपा के एक सीनियर लीडर के मुताबिक पार्टी के पुराने नेताओं के असंतोष के कारण विधायक कमलेश शाह को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा, जबकि भाजपा में शामिल होने से पहले पार्टी ने उन्हें मंत्री बनाने का कमिटमेंट किया था। अमरवाड़ा में चुनाव प्रचार के दौरान भी बीजेपी नेताओं ने ऐसे संकेत दिए थे। लोकसभा चुनाव के दौरान अमरवाड़ा से आदिवासी विधायक कमलेश शाह को कांग्रेस नेता कमलनाथ को कमजोर करने और उनके गढ़ को ध्वस्त करने के उद्देश्य से भाजपा में लाया गया था। भाजपा का कहना था कि पार्टी छिंदवाड़ा में नया नेतृत्व डेवलप करना चाहती है। कमलेश के आने के बाद भाजपा लोकसभा के साथ विधानसभा का उप चुनाव भी जीत गई, फिर भी कमलेश को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। इसकी वजह है कांग्रेस से आए नेताओं को तवज्जो देने से भाजपा के अंदर बढ़ता असंतोष। इतना ही नहीं, मूल कार्यकर्ताओं का मनोबल भी कमजोर हो रहा है। इन सब कारणों को देखते हुए फिलहाल शाह को मंत्रिमंडल में शामिल करने के विचार पर विराम लगा दिया गया है। कमलेश शाह ने कहा है कि वे क्षेत्र के विकास के लिए भाजपा में शामिल हुए थे न कि मंत्री बनने।
रिस्क लेने तैयार नहीं भाजपा
जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव के दौरान जब वे भाजपा में शामिल हुए थे, तब उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का आश्वासन दिया गया था। लगता है भाजपा नेतृत्व रामनिवास रावत को मंत्री बनाने पर पार्टी के अंदर से उठी प्रतिक्रिया से डर गई है। रामनिवास को मंत्री बनाने का गोपाल भार्गव और अजय विश्नोई जैसे नेताओं ने विरोध किया था और नागर सिंह चौहान तो दिल्ली तक पहुंच गए थे। लिहाजा, भाजपा फिलहाल रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं है। लिहाजा, कमलेश शाह को मंत्री बनाना टाल दिया गया है। उल्लेखनीय है कि अमरवाड़ा उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को वोटिंग थी। इससे ठीक दो दिन पहले 8 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोडक़र  भाजपा में आए रामनिवास रावत को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले 7 जुलाई को कमलेश शाह को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा चलती रही। शाह को बधाई देने तक का सिलसिला शुरू हो गया था। पर जल्द ही ऐसी अटकलों पर विराम लग गया, जब शाह के पास भोपाल से कोई कॉल नहीं पहुंचा। उन्हें पार्टी नेताओं ने जानकारी दी कि आचार संहिता के कारण उन्हें मंत्री पद नहीं दिया जाएगा। खबर है कि यदि कमलेश शाह को मंत्री बनाना था तो एक हफ्ते के लिए मंत्रिमंडल विस्तार टाला जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। साफ है कि कमलेश को मंत्री न बनाने की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। हालांकि मुख्यमंत्री के राम निवास को मंत्री बनाए जाने के बाद भी शाह को मंत्रिमंडल में शामिल करने के संकेत दिए थे, लेकिन बाद में भाजपा नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया के बाद इरादा बदल दिया गया।
सप्रे असमंजस में
सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे कांग्रेस छोडक़र भाजपा में 7 मई को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से दो दिन पहले शामिल हुई थीं। सप्रे ने राहतगढ़ में मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें भाजपा का शॉल ओढ़ा कर पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। 2023 के चुनावों में, सागर जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से, निर्मला सप्रे अकेली कांग्रेस उम्मीदवार थीं, जिन्होंने बीना विधानसभा सीट जीती थी। भाजपा में शामिल हुए उन्हें अब तीन माह से अधिक का समय हो गया है,  लेकिन उनके द्वारा अब तक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया गया है। यही नहीं उन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री भी नहीं बनाया गया है। इसी तरह से उपचुनाव जीतने वाले कमलेश शाह को भी अब तक मंत्री नहीं बनाया गया है और संभावनाएं भी नजर नहीं आ रही हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि वे असमंजस की स्थिति में है।

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