
- टेकहोम राशन का पैसा बढ़ाने राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। टेकहोम तैयार करने में सयंत्रों के लिए यह घाटे का सौदा बन गया है। दरअसल, टेकहोम तैयार करने में लगने वाली सामग्रियों के दाम दोगुने या उससे अधिक हो गए हैं, लेकिन उन्हें अभी भी पुरानी दर पर ही राशि दी जा रही है। इसलिए टेकहोम राशन का निर्माण संयत्रों के लिए घाटे का सौदा बन गया है। इससे संयत्रों को प्रति माह करीब दो से तीन करोड़ रुपए अपनी जमा पूंजी के लगाने पड़ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश में करीब 40 लाख बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बालिकाओं को मिलने वाले टेकहोम राशन का पैसा बढ़ाने राज्य सरकार ने केंद्र के पास प्रस्ताव भेजा है। इसके साथ ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास सहित अन्य विभागों से जुड़ी अंतर विभागीय समिति इस खाद्यान्न में लगने वाली राशि को रिवाइज करने की तैयारी में हैं। जिससे गुणवत्ता युक्त टेकहोम राशन हितग्राहियों को मिल सके। मप्र में टेकहोम राशन के लिए 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देती है और 50 फीसदी राशि केन्द्र सरकार देती है। वहीं अन्य राज्य सरकारें 50 फीसदी राशि के अलावा समय-समय पर इसके लिए टॉपअप के रूप में हर साल दस से 15 करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि भी देती हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में इस तरह की व्यवस्था नहीं है। महिला एवं बाल विकास विभाग का एक दल कुछ राज्यों में इसके संचालन के संबंध में अध्ययन कर चुका है।
छह साल पुरानी दर पर मिल रही राशि: केन्द्र सरकार वर्ष 2018 के अनुसार टेकहोम राशन में मिलने वाले खाद्य पदार्थ जैसे-तेल, शक्कर, सोयाफ्लोर, दूध पाउडर, बेसन सहित अन्य सामग्रियों का पैसा दे रही है जबकि पिछले 6 सालों में इन सामग्रियों की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं। टेकहोम तैयार करने में संयंत्रों को प्रति माह करीब दो से तीन करोड़ रुपए अपनी जमा पूंजी के लगाने पड़ रहे हैं। दरअसल विधानसभा चुनावों से पहले संयंत्रों ने इतनी कम राशि में टेकहोम राशन तैयार करने में अपने हाथ खड़े कर दिए थे, लेकिन सरकार ने उन्हें प्रतिपूर्ति का आश्वासन दिया है। महिला एवं बाल विकास स्व सहायता टेकहोम राशन सप्लाई करता है। इससे करीब 13 से 14 हजार टन राशन तैयार किया जाता है। चावल, गेहूं की सप्लाई सरकार के जरिए की जाती है। मंत्री महिला एवं बाल विकास निर्मला भूरिया का कहना है कि टेकहोम राशन की राशि बढ़ाने के लिए केन्द्र के पास प्रस्ताव भेजा गया है। इसके अलावा अन्य राज्यों में इसकी लागत की प्रतिपूर्ति के लिए क्या प्रबंध किए जाते हैं, इसका अध्ययन कराया जाएगा। इसके बाद सरकार कुछ निर्णय लेगी।
सरकार जल्द ले सकती निर्णय
साल 2018 में तेल के दाम 60 रुपए लीटर थे, लेकिन आज इसकी कीमत 120 रुपए से अधिक हो गई है। इसी तरह से शक्कर के दाम भी 36 रुपए प्रति किलो से 41 रुपए पहुंच गए हैं। इसी तरह बेसन के भाव भी प्रतिकिलो के हिसाब से 10 रुपए बढ़ गए हैं। दूध 56 रुपए प्रति लीटर था जो अब 68 रुपए लीटर पहुंच गया है। प्रदेश में टेकहोम राशन का हर साल का कारोबार करीब 700 करोड़ रुपए का है। इसमें करीब 600 करोड़ रुपए का दूध पाउडर, शक्कर, बेसन, तेल, सोयाबीन पावर सहित अन्य रा-मटेरियल निजी कंपनियों से खरीदा जाता है। गर्भवती महिला, बच्चों और किशोरियों के लिए अलग-अलग टेक होम राशन तैयार किया जाता है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मनरेगा आयुक्त मनोज पुष्प का कहना है कि टेकहोम राशन की दरों को लेकर अंतर विभागीय समिति में प्रस्ताव रखा गया है। इस समिति में कई निर्णय लिए गए हैं। सरकार जल्द ही समिति के प्रस्ताव पर निर्णय ले सकती है। इससे टेकहोम राशन पर फर्क पड़ेगा। संयंत्रों को भी नुकसान नहीं होगा।