यहां हर शाख पर उल्लू बैठा है…

  •  फैवीकोल से भी मजबूत… निकला माफिया का गठजोड़
  • गौरव चौहान
माफिया का गठजोड़

बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी था, हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा। यह कहावत प्रदेश में हुए नर्सिंग कॉलेज घोटाले पर पूरी तरह से फिट बैठती है। जब पूरे ही कुएं में भांग पड़ी हो तो साफ पानी कहां से मिलेगा। वह तो भला हो उन केन्द्रीय अफसरों का जिनके द्वारा इस मामले का खुलासा किया गया। अन्यथा यह मामला भी कुछ समय बाद धनपिपासुओंं की भेंट चढ़ गया होता। अब इस मामले की जांच जैसे- जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे -वैसे इसमें संलप्ति हर स्तर के अफसरों की कलई प्याज के छिलकों की तरह उधड़ती जा रही है। यह बात अलग है कि अब भी कुछ ऐसे जिम्मेदार अफसर बचे हुए हैं, जिनकी इस मामले में अहम भूमिका रही है। राजस्व से लेकर पुलिस महकमे तक के कर्मचारियों व अफसरों पर तो कार्रवाई होना शुरु हो गई है , लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों पर अब तक सरकार कार्रवाई शुरू करने की हिम्मत नहीं दिखा पायी है। जबकि इस विभाग के अफसरों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहती है। प्रदेश में शिक्षा माफिया का अफसरों से कितना मजबूत गठजोड़ कितना मजबूत है, इससे ही समझा जा सकता है कि उसके प्रभाव में आए बिना देश की सर्वाधिक भरोसेमंद जांच एजेंसी भी अछूती नहीं रह सकी है।
तब सके ही  जांच अफसरों को आला अफसरों ने पकड़ा तो पूरा सच सामने आने लगा है। अहम बात यह है कि इस घोटाले की शुरुआत स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ से होती है , लेकिन वे अब तक सफेदपोश बने कालर ऊपर किए हुए चल रहे हैं। अब तक इस मामले में जिन विभागों और अफसरों पर कार्रवाई होती दिख रही है, उसमें स्वास्थ्य विभाग को पूरी तरह से छोड़ रखा गया है। जबकि इसी विभाग के अफसरों की रिपोर्ट के दम पर घोटाले में शामिल नर्सिंग काउंसिल के जिम्मेदारों ने कॉलेजों को मान्यता प्रदान की है। दरअसल इसके लिए सीएमएचओ को कॉलेजों का सत्यापन कर अपनी रिपोर्ट देनी थी। कॉलेजों के अपने 100 बेड के अस्पताल न होने और निजी अस्पतालों से संबद्धता न होने के बाद भी सीएमएचओ ने फर्जी सत्यापित रिपोर्ट बनाकर दे डाली। यही हनंी इसके बाद नर्सिंग काउंसिल की टीम ने भौतिक निरीक्षण किया। मौके पर सीएमएचओ की गलत रिपोर्ट मिलने के बाद भी टीम ने आंखें मूंद लीं और नियमों को दरकिनार कर कॉलेजों को मान्यता दे दी। इसके बाद भी अब तक किसी भी जिले में स्वास्थ्य विभाग ने किसी सीएमएचओ की जांच तक शुरू नहीं की है। इस मामले में 31 जिलों के सीएमएचओ ने कॉलेजों के अस्पताल न होने और निजी अस्पतालों से संबद्धता की फर्जी रिपोर्ट बनाकर सत्यापित की। इसी फर्जी रिपोर्ट पर नर्सिंग काउंसिल की टीमों ने भौतिक निरीक्षण किया, लेकिन भ्रष्टाचार की बहती गंगा में यह टीमें भी हाथ धोने से पीछे नहीं रहीं और उन्होंने भी अनुकूल फर्जी रिपोर्ट बना डाली। इसके बाद  नर्सिंग काउंसिल की कार्यकारिणी ने मान्यता प्रदान कर दी।
सीएम हुए सख्त…
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले को लेकर बेहद सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ने फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने में भूमिका निभाने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई के नाम पर बड़ा उदाहरण पेश करने के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश के बाद नर्सिंग काउंसिल के तत्कालीन अध्यक्ष और रजिस्ट्रार के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। कॉलेजों को लेकर गलत रिपोर्ट देने वाले एसडीएम, तहसीलदार, पटवारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए गए हैं। उधर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को डिटेल रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। यह रिपोर्ट कई बिंदुओं पर तैयार की जा रही है।
जांच के यह बिंदु
इस मामले में अब जिन बिंदुओं पर जांच की जा रही है उनमें, प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के लिए दी गई तमाम जांच रिपोर्ट और प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर मान्यता देने वाले अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका। नर्सिंग कॉलेजों के इंफस्ट्रक्चर जैसे भूमि-भवन, उपकरण, टीचिंग फैकल्टी और नर्सिंग कॉलेजों के लिए जरूरी हॉस्पिटल या किसी हॉस्पिटल से संबद्धता आदि को लेकर निरीक्षण करने वाली टीम की सूची और उनके द्वारा तैयार निरीक्षण रिपोर्ट। तमाम कमियों के बाद भी निरीक्षण के बाद ओके रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले जिम्मेदारों द्वारा की गई गड़बडिय़ां और नर्सिंग काउंसिल में समय-समय पर नर्सिंग कॉलेजों की गड़बडिय़ों को लेकर मिली शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई में लीपापोती करने वाले अधिकारी कर्मचारियों की भूमिका की जांच शामिल है।
इन जिलों के सीएमएचओ जिम्मेदार
प्रदेश के जिन जिलों के सीएमएचओ इसके लिए जिम्मेदार हैं उनमें ,भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, आलीराजपुर, अनूपपुर, बड़वानी, बैतूल, बुरहानपुर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, देवास, धार, झाबुआ, खंडवा, खरगोन, मंडला, मुरैना, नर्मदापुरम, पन्ना, रीवा, सागर, सीहोर, शहडोल, सिवनी, टीकमगढ़, उज्जैन, उमरिया, विदिशा, श्योपुर और भिंड शामिल है।
यह हैं नियम
कॉलेज खोलने के लिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था है। आवेदन में कॉलेज के साथ अस्पताल होने की सत्यापित रिपोर्ट लगती है। नियमानुसार कम से कम 100 बेड का अस्पताल कॉलेज के साथ होना जरूरी है। खुद का अस्पताल न हो तो 100 बेड के निजी अस्पताल से कम से कम 5 साल की सम्बद्धता जरूरी है। प्रावधान है कि एक अस्पताल की संबद्धता दूसरे कॉलेज से नहीं होनी चाहिए। इसके बाद भी इन नियमों की खुलकर अनदेखी की गई है।
फर्जी रिपोर्ट भी सत्यापित
नर्सिंग कॉलेजों में टीचिंग स्टाफ की भी फर्जी रिपोर्ट सत्यापित की गई। खास यह रहा कि 2020 में सरकार ने नियम लागू किया कि बाहर के नर्सिंग टीचिंग स्टाफ होने पर पहले ही स्टाफ का रजिस्ट्रेशन नर्सिंग काउंसिल में अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन न होने के बाद भी स्टाफ को कॉलेजों में मान्य कर दिया। बाद में जांच में भी इसमें भी लीपापोती कर दी गई।

Related Articles