सरकारी गाइड लाइन में फंसा नौनिहालों का भविष्य

नौनिहालों
  • छह साल की उम्र से पहले नहीं मिलेगा कक्षा 1 में प्रवेश

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार प्री-प्राइमरी और प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु के संबंध में आदेश जारी किया है। नए आदेश के मुताबिक, नर्सरी में नामांकन के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र तीन साल होनी चाहिए और उसकी उम्र चार साल छह महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए। केजी 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु चार वर्ष और अधिकतम आयु पांच वर्ष और छह महीने होनी चाहिए, जबकि केजी 2 के लिए बच्चे की आयु पांच वर्ष से छह वर्ष और छह महीने के बीच होनी चाहिए। कक्षा 1 के लिए न्यूनतम आयु छह वर्ष और अधिकतम आयु सात वर्ष छह माह निर्धारित की गई है। सरकार की इस गाइडलाइन के कारण प्रदेश के हजारों बच्चे कक्षा 1 में प्रवेश के लिए अपात्र हो गए हैं। शासन का यह आदेश प्रदेश में नौनिहालों के अभिभावकों को नागवार गुजर रहा है। दरअसल, पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में ऐसे बच्चे हैं, जिन्होंने 5 साल या 5.5 साल की उम्र में केजी-2 कक्षा पास कर ली है और उनका दाखिला पहली कक्षा में होना है। चूंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कक्षा एक में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 6 साल रखी गई है, इसलिए ये बच्चे कक्षा एक में प्रवेश के लिए अपात्र हो गए हैं। बच्चों के माता-पिता को समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करें? इसलिए वे राज्य शिक्षा केंद्र और स्कूल शिक्षा विभाग में फोन कर इस समस्या का समाधान पूछ रहे हैं और बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश देने को लेकर मनुहार कर रहे हैं।
स्कूलों ने शिक्षा विभाग से अभिमत मांगा
कई स्कूलों ने भी इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग से अभिमत मांगा है। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से पिछले दिनों पूर्व प्राथमिक एवं प्राथमिक कक्षा में प्रवेश को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार पूर्व प्राथमिक एवं प्राथमिक कक्षा में प्रवेश हेतु आयु निर्धारण के संबंध में आदेश जारी किया गया था। आदेशानुसार अब कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को निर्धारित आयु से पहले नर्सरी, केजी एवं कक्षा एक में प्रवेश नहीं दिला सकेगा। अभी तक अधिकतर अविभावक 2 से 2.5 वर्ष के बच्चे को पूर्व प्राथमिक कक्षा में दाखिला करवा देते हैं। नए आदेश के अनुसार अब नर्सरी, केजी एवं कक्षा एक में निर्धारित न्यूनतम आयु से पहले प्रवेश नहीं मिल सकेगा। अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई अविभावक तय समय से पहले अपने बच्चे को दाखिला दिलाता है, तो ऐसी स्थिति में उन पर कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही जो स्कूल निर्धारित उम्र से पहले बच्चों को प्रवेश देगा, उसे भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि अरुण शमी का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में कक्षाओं में प्रवेश के लिए निर्धारित आयु के संबंध में आदेश जारी किया गया है। बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि कक्षा एक में प्रवेश के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों ने केजी-2 पास कर ली है। विभागीय अधिकारियों के साथ इस संबंध में चर्चा की गई है। चूंकि यह पहला साल है, इसलिए इस बार आयु में राहत देने पर विचार किया जा रहा है। साथ ही स्कूलों को समझाइश दी जाएगी कि आगे से वे निर्धारित न्यूनतम आयु के आधार पर ही बच्चों का दाखिला दें।

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