केन्द्र ने दबाए मनरेगा के 796 करोड़, मजदूर परेशान

मनरेगा
  • कई माह से मजदूरी पाने भटक रहे हैं ग्रामीण

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के मजदूरों को बामुश्किल काम मिला, तो अब उनकी मजदूरी अटक गई है। त्यौहारी और शादी ब्याह के सीजन में भी उन्हें मजबूरी का भुगतान  नहीं किया गया , जिसकी वजह से गरीबों के सामने गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। यह हाल प्रदेश में मनरेगा योजना के हैं। दरअसल इस स्थिति की वजह है केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के हिस्से की राशि का भुगतान नहीं किया जाना। हालत यह है कि प्रदेश को 973 करोड़ रुपए मिलने थे, लेकिन अब तक महज 177 करोड़ रुपए ही दिया गया है। प्रदेश को अब भी मनरेगा योजना के तहत केन्द्र सरकार से 796 करोड़ रुपए लेना है। इस राशि के मिलने की प्रत्याशा में प्रदेश में मजदूरों से काम तो करा लिया गया, लेकिन जब भुगतान की बारी आयी तो अफसरों ने बजट न आने का कहकर हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में मजबूर संबंधितों के चक्कर काट-काट कर परेशान हो रहे हैं।  यह हाल तब हैं ,जबकि मजदूरों से तीन माह तक मजबूरी करा ली गई है। अब होली का सम पास में हैं और मजबूरी न मिलने से मजबूर परेशान घूम रहे हैं। इसकी वजह से ही समझा जा सकता  है कि इस योजना के हाले कितने बेहाल बने हुए हैं। प्रदेश में करीब सवा आठ लाख परिवार ऐसे हैं , जो काम के 99 दिन पूरे कर चुके हैं, लेकिन इस बीच उन्हें एक भी पैसे का भुगतान नहीं किया गया है। इस योजना में केन्द्र से राशि नहीं मिलने की वजह से राज्य सरकार की भी परेशानी बढ़ गई है। हालांकि ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने 360 करोड़ रूपये के जल्द भुगतान का भरोसा जताया है। दरअसल यह योजना पूरी तरह से केंद्र प्रवर्तित योजना है और इसमें शत प्रतिशत मजदूरी का पैसा केन्द्र सरकार द्वारा ही दिया जाता है। मजदूरी नहीं मिलने की वजह से इस बार गरीबों को  आर्थिक तंगी के बीच ही महाशिवरात्रि का त्योहार मनाना पड़ा है। यही नहीं अब तक इस मद में केन्द्र से पैसा नहीं मिलने की वजह से होली का त्यौहार भी इसी तरह से मनाने के आसार बने हुए हैं।
चक्कर काटने को मजबूर
मजदूरी के मामले में केंद्र सरकार के अधिकारियों की असंवेदनशीलता के कारण राज्य के मजदूर अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। एक तो मजदूरी करा ली और उसके बाद भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। मजदूरी पाने के चक्कर में अब उन्हें पंचायत से लेकर जनपद तक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं , जिसकी वजह से उनका समय भी बर्बाद हो रहा है और दूसरा काम नहीं कर पाने की वजह से आर्थिक नुकसान अलग से हो रहा है। यही नहीं सरपंच और सचिव भी मजदूरों की खरी खोटी सुनने के लिए अलग से मजबूर बने हुए हैं।
चार माह से नहीं हुआ भुगतान
मनरेगा योजना कोरोना काल में लोगों के रोजगार का बड़ा सहारा बनी थी। प्रदेश में कुल 1 करोड़ 7 लाख 46 हजार 359 एक्टिव मजदूर हैं। इन्हें एक दिन की मजदूरी के रूप में 221 रुपये का भुगतान किया जाता है। मनरेगा योजना के तहत कराए जाने वाले कामों केे लिए मिलने वाली राशि में 60 प्रतिशत मजदूरी और 40 प्रतिशत सामग्री पर खर्च करने का प्रावधान है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को एक साल में न्यूनतम 100 दिनों का रोजगार दिया जाता है।

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