
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भोपाल और इंदौर में इसी माह पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हुए दो साल हो गए हैं। दूसरी वर्षगांठ पर सरकार ने अब दो और महानगरों में इस प्रणाली को लागू करने की कवायद शुरु कर दी गई है। जिन दो शहरों में इसे लागू करने की तैयारी है, उनमें जबलपुर और ग्वालियर शामिल हैं।
यह बात अलग है कि भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने से अपराध और कानून व्यवस्था के मामले में आमजन को कोई बदलाव का अहसास अब तक नहीं हो पाया है। इसके उलट जनता जरुर अफसरों की तलाश में घनचक्कर बनी रहती है। बीते रोज गृह मंत्रालय ने ग्वालियर और जबलपुर के पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर उनसे जिले से संबंधित पूरी जानकारी तलब की है। इसमें जिले का बल, अपराधों के आंकड़े, जिले की सीमा, जनसंख्या, शहर और ग्रामीण सीमा में आने वाले थाने, वर्तमान में बल और शहरी जनसंख्या के आंकड़े समेत अन्य बिन्दु शामिल हैं। यह जानकारी मिलने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। दरअसल भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में जबलपुर और ग्वालियर में भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का वादा किया था। सरकार बनते ही इस पर काम शुरु कर दिया गया है।
न अपराध कम हुए न अपराधी
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद भी शहर में न तो अपराध कम हो रहे हैं और न ही अपराधी। लगभग यही हालत ट्रेफिक की भी हैं। जाम वाले स्थानों से पुलिस गायब रहती है। सडक़ पर अगर पुलिस रहती भी है तो सिर्फ हेलमेट चालान करने के लिए। रांन्ग साईड से वाहन चलाने से लेकर फुटपाथों व मुख्य सडक़ पर पार्किंग करने से लेकर दुकानें लगाने वालों तक पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
ग्रामीण इलाके भी हो सकते हैं शामिल
पुलिस आयुक्त प्रणाली सामान्यतया किसी भी शहर में तब लागू की जाती है, जब शहर की जनसंख्या दस लाख हो। जबलपुर और ग्वालियर की शहरी जनसंख्या फिलहाल इतनी नहीं है। माना जा रहा है कि इस प्रणाली में कुछ ग्रामीण इलाकों को भी शामिल किया जा सकता है। इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि इन शहरों में डीआईज स्तर के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाया जाए। फिलवक्त भोपाल में आईजी स्तर के और इंदौर में एडीजी स्तर के अधिकारी पुलिस कमिश्नर है।
अफसरों की भरमार
भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद दोनों ही शहरों में अफसरों की तो खासी भरमार हो गई, लेकिन उस अनुपात में पुलिस बल में बढ़ोतरी ही नहीं की गई है। राजधानी भोपाल में आईजी स्तर के अधिकारी पुलिस कमिश्नर है। उनके नीचे दो डीआईजी स्तर के अधिकारी एडीशनल पुलिस कमिश्नर है। शहर को चार जोनों को बांटा गया है। हर जोन में एक आईपीएस डीसीपी और उसके अधीन एक एडीशनल डीसीपी, फिर हर पुलिस संभाग में एक एसीपी पदस्थ है। इसके अलावा ट्रैफिक में एक आईपीएस डीसीपी और एक एडीशनल डीसीपी तथा चार एसीपी पदस्थ है। इसी तरह इंदौर में अफसरों को पदस्थ किया गया है। शहर में अफसरों की तो भरमार है पर उस अनुपात में जवान ही नहीं है। अधिकारियों ज्यादा होने से इनका क्षेत्राधिकार भी बेहद सीमित हो गया है। देहात में अलग ये अमला तैनात है।