गैर पंजीकृत दस सैकड़ा मदरसों पर नहीं पड़ रही प्रशासन की नजर

गैर पंजीकृत
  • मुख्यमंत्री के आदेशों पर भी नहीं किया गया अमल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अन्य प्रदेशों में मदरसों का संचालन तभी किया जा सकता है, जब उसके लिए पंजीयन कराया गया हो, लेकिन मप्र में ऐसे कोई व्यवस्था अब तक नहीं बनाई गई है, जिसकी वजह से अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत काम करने वाले मदरसा बोर्ड के नाकारापन की वजह से प्रदेश में कई सैकड़ा मदरसे अवैध रुप से संचालित लंबे समय से हो रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत बोर्ड नहीं दिखा पा रहा है। इसकी वजह से सरकार की भी बदनामी हो रही है। प्रदेश में यह हाल तब हैं, जबकि पिछली सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस संबंध में खुद निर्देश दिए गए थे। प्रदेश में मदरसों के संचालन के लिए अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराने का  कोई नियम ही नहीं है। यही नहीं सरकार की ओर से मदरसों का सर्वे की भी कोई व्यवस्था भी अब तक नहीं बनाई गई है। यही वजह है कि प्रदेशभर में बड़ी संख्या में अवैध रूप से मदरसों का संचालन किया जा रहा है। प्रदेश में मदरसों की वास्तविक संख्या, उनमें पढ़ने वाले छात्रों की संख्या और उनमें पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम की जानकारी का लेखा-जोखा सरकार के पास नहीं है। स्कूल शिक्षा विभाग के मुताबिक मदरसों का रजिस्ट्रेशन मदरसा बोर्ड में किया जाता है। मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड मदरसों को ही सालाना ग्रांट दी जाती है। मदरसा बोर्ड में 2689 मदरसे रजिस्टर्ड हैं। प्रत्येक रजिस्टर्ड मदरसे को हर साल 25 हजार रुपए की ग्रांट मिलती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में करीब एक हजार मदरसे गैर कानूनी रूप से संचालित किए जा रहे हैं। प्रदेश में वर्ष 2019 के बाद से नए मदरसों का रजिस्ट्रेशन बंद चल रहा है। गौरतलब है कि मप्र बाल संरक्षण आयोग के तत्कालीन सदस्य बृजेश चौहान द्वारा बीते साल बाल आयोग की टीम के साथ भोपाल समेत कई शहरों में मदरसों का सर्वे किया गया था। सर्वे में मदरसों में भारी अनियमितताएं सामने आई थी। कई मदरसों में हिंदू बच्चे पढ़ते मिले, तो कही दूसरे राज्यों के बच्चे भी रजिस्टर्ड और कई मदरसे गैर पंजीकृत मिले थे।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने दिए थे समीक्षा के निर्देश
गत अप्रैल में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अवैध मदरसों और कट्टरता सिखाने वाले संस्थानों की समीक्षा के आदेश दिए थे। उन्होंने मदरसों का सर्वे करने, गैर पंजीकृत मदरसों की सूची बनाने और वहां क्या पढ़ाया जा रहा है, इसकी जांच करने के लिए कहा था। साथ ही उन्होंने गैरकानूनी मदरसों को बंद करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं पिछले साल सितंबर में तत्कालीन संस्कृति एवं धार्मिक न्यास मंत्री उषा ठाकुर ने प्रदेश में मदरसों का सर्वे कराए जाने को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा था। साथ ही गैर पंजीकृत मदरसों को बंद करने के निर्देश दिए थे। उनके पत्र पर स्कूल शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इस तरह की मिली थीं गड़बडिय़ां
– पिछले साल दिसंबर में दतिया जिले के अरबिया में मदरसे की जांच में 67 में से 26 हिंदू बच्चे इस्लामिक शिक्षा लेते मिले थे। बाल आयोग इस संबंध में दतिया कलेक्टर को नोटिस भेजा था।
– प्रदेश में मदरसों को लेकर समय-समय पर शिकायतें मिलती रहती है। पिछले साल अक्टूबर में मप्र बाल आयोग ने विदिशा में एक मरियम का निरीक्षण किया, तो वहां 37 बच्चों में से 26 हिंदू मिले थे। पांच शिक्षकों में से किसी के पास यूजी-पीजी या बीएड की डिग्री नहीं थी।
– मप्र बाल संरक्षण आयोग की टीम ने पिछले साल जून में भोपाल के अशोका गार्डन और नारियलखेड़ा में संचालित दो मदरसों का निरीक्षण किया था। इन मदरसों में बिहार से लाए गए करीब 100 बच्चे मिले थे। आयोग ने उन्हें वापस बिहार भिजवा दिया था। बाल आयोग ने दोनों मदरसों को बंद करा दिया था।

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