
- युवाओंं पर भी दांव लगाने में पीछे नहीं रहेगी कांग्रेस, बनाई जा रही रणनीति
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। तमाम दावों के बीच आखिर कांग्रेस को मप्र के विधानसभा चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। इस हार से सबक लेते हुए अब कांग्रेस अगले छह माह के अंदर होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लग गई है। इसके तहत प्रदेश की सभी 20 सीटों के लिए रणनीति बनाने के लिए विचार विमर्श का दौर शुरु कर दिया गया है। इसकी वजह है बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी का बेहद खराब प्रदर्शन। तब कांग्रेस को महज एक ही सीट मिल सकी थी , जबकि भाजपा ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। प्रदेश की एक मात्र सीट भी वह थी जिसे कमलनाथ की व्यक्तिगत सीट के रुप में देखा जाता है। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस प्रदेश की लोकसभा सीटों के लिए रणनीति बदलने जा रही है।
कांगेे्रस भी प्रदेश में भाजपा की रणनीति का अनुसरण करते हुए पीढ़ी परिर्वतन करते हुए युवा जोश के सहारे लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी मे है। इसके तहत पार्टी युवा चेहरों के साथ ही अपने दिग्गज नेताओं पर भी दांव लगाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इनमें कुछ ऐसे नेताओं को भी लोकसभा चुनाव लड़ाया जाएगा, जो विधानसभा चुनाव भले ही हार गए हैं, लेकिन वे लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी में बेहतर प्रत्याशी साबित हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ विधायकों पर भी दांव लगाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी अलाकमान द्वारा प्रदेश में संभावित कुछ प्रत्याशियों को तो अभी से चुनावी तैयारियों के लिए भी कह दिया गया है। दरअसल कांग्रेस अपनी जीत की संभावनाएं उन दस सीटों पर देख रही है, जहां पर हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली है। दरअसल, विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने कई केन्द्रीय मंत्री और सांसदों को उतार कर कांग्रेस के सामने बेहद बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी थी। भाजपा की इस रणनीति की वजह से ही कांग्रेस के दिग्गज नेता अपनी ही सीट पर उलझ कर रह गए थे ,जिसका नुकसान कांग्रेेस के अन्य प्रत्याशियों को उठाना पड़ा। इससे ही सबक लेते हुए अब कांग्रेस उसी रणनीति पर अमल कर भाजपा को चुनौति देने की तैयार कर रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस प्रदेश की राजनीति में दिग्गज नेता के रूप में पहचाने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, डॉ. गोविंद सिंह, अजय सिंह, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी और रामनिवास रावत को इस बार लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने की तैयारी कर रही है। इन नेताओं का अपने-अपने इलाकों में अच्छा प्रभाव माना जाता है। उन्हें चुनाव लडऩे का लंबा अनुभव के साथ उनके पास समर्थकों की बड़ी टीम भी है। इसी तरह से पार्टी विधानसभा चुनाव हारे युवा नेता कमलेश्वर पटेल, आलोक चतुर्वेदी, तरुण भनोट, हिना कांवरे के अलावा मौजूृदा विधायक सतीश सिंह सिकरवार और अजय मिश्रा बाबा जैसे चेहरों पर भी दांव लगाने की तैयारी मे है।
किसको कहां बनाया जा सकता है प्रत्याशी
पार्टी सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को इस बार पार्टी भोपाल की जगह राजगढ़ से प्रत्याशी बना सकती है। यह क्षेत्र उनका पुराना प्रभाव वाला इलाका है। दरअसल दिग्विजय सिंह 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भोपाल संसदीय क्षेत्र से मैदान में थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह से छतरपुर सीट पर विधानसभा चुनाव हार चुके आलोक चतुर्वेदी को खजुराहो सीट से उतारने की तैयारी मे है। इस सीट से अभी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सांसद हैं , जबकि रीवा महापौर अजय मिश्रा बाबा को रीवा सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। अजय सिंह को एक बार फिर से सतना और कमलेश्वर पटेल को सीधी सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इसी तरह से विधायक सतीश सिकरवार को ग्वालियर और हिना कांवरे को बालाघाट सीट से प्रत्याशी बनाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
कांग्रेस देख रही संभावना
दरअसल विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी प्रदेश की कई लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां इस बार कांग्रेस को भाजपा की तुलना में अधिक मत मिले हैं। यह वे दस सीटें हैं, जिनमें से नौ पर अभी भाजपा संासद हैं। यह बात अलग है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भी बने थे , लेकिन लोकसभा परिणाम भाजपा के पक्ष में ही आए थे। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार भी कुछ इसी तरह के परिणाम आ सकते हैं। प्रदेश की जिन 10 लोकसभा सीटों पर इस बार कांग्रेस को भाजपा से अधिक मत मिले हैं, उनमें छिंदवाड़ा, मुरैना, भिंड ग्वालियर, टीकमगढ़ , मंडला, बालाघाट, रतलाम , धार और खरगोन सीट शामिल है। इसके अलावा विस चुनाव में प्रदेश की पांच लोकसभा सीटें ऐसी सामने आयी हैं, जो अब भी भाजपा के लिए बेहद सुरक्षित हैं। इसकी वजह है , इन सीटों की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा को ही जीत मिली है और वह भी बड़े अंतर से। इनमें खजुराहो, होशंगाबाद, देवास, इंदौर और खंडवा लोकसभा की सीटें शामिल हैं। इनके अलावा भाजपा के लिए सुरक्षित लोकसभा सीटों में सागर, दमोह, रीवा, सीधी, जबलपुर, विदिशा और मंदसौर शामिल हैं। इनमें भाजपा को महज एक-एक विधानसभा सीट पर ही हार का सामना करना पड़ा है।