ज्योतिषों की शरण में पहुंच रहे हैं नेतागण

नेतागण
  • कोई दूर करवा रहा कुंडली का दोष तो कोई पूछ रहा जीत का टोटका

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में नामांकन के साथ ही जीत के लिए नेताजी अब मतदाताओं के साथ ही ज्योतिषी के भी चक्कर काट रहे हैं। चुनावी रण में विजय रथ के आगे आने वाली हर बाधा को दूर करने के लिए प्रत्याशी तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं। टोने-टोटके से लेकर शुभ मुहूर्त तक के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कुंडली से लेकर अंक ज्योतिष की सहायता ली जा रही है। अगर कुंडली में कोई दोष है, तो उसे भी दूर करवा रहे हैं। कुल मिलाकर चुनावी जीत में जो भी बाधा आ रही है, उसे दूर करने के लिए प्रत्याशी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। गौरतलब है कि जब तक प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हुई थी, नेता मंदिर-मंदिर घुम रहे थे और पूजा-पाठ करा रहे थे। अब जिनको टिकट मिल गया है वे नामांकन से लेकर प्रचार पर निकलने तक का मुहूर्त निकलवा रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार नामांकन के लिए शुभ नक्षत्रों की बात करें तो, इसमें रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्प, हस्त, स्वाति, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती हैं। राहु काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसलिए राहु काल में नामांकन या चुनावी सभा न करने की राय दी जाती है। राहु काल में कार्य करने से बाधाएं भी आती हैं। प्रतिद्वंदी भारी पड़ता है।  टिकट वितरण के बाद मप्र का चुनावी रण उथल-पुथल के दौर से गुजरता दिख रहा है। अपनों की बगावत से जहां उम्मीदवारों को डर और भय सता रहा है। विजेता बनना इनके लिए अग्निपरीक्षा के दौर से गुजरने जैसा हो गया है। इसलिए उम्मीदवार ज्योतिषियों और तांत्रिकों की शरण में पहुंच रहे हैं। उम्मीदवार अब पूरी तरह से दशहत में हैं और ज्योतिष विद्वानों और अपने कुल पुरोहितों के सुझावों पर जीत की राह टटोल रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित होने के बाद दोनों दलों के अन्य दावेदार बागी हो गए हैं। लिहाजा वे भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार की परेशानी बढ़ा रहे हैं। हालात यह हैं कि घोषित उम्मीदवार कट्टर मुकाबले वाले प्रत्याशी से कम और भितरघात से अप्रत्यक्ष तौर पर ज्यादा लड़ते नजर आ रहे हैं। तकरीबन हर विधानसभा क्षेत्र में इसी तरह के हालात हैं। पार्टियों के अंदर चल रही अंदरूनी कलह और भितरघात का तूफान प्रत्याशियों में पराजय की दहशत पैदा कर रहा है। अपनों को खुश करने और जीत हासिल करने के लिए घोषित प्रत्याशी सारे प्रयत्न कर रहे हैं। सबकी बात बनती भी नहीं दिख रही है।
ज्योतिषियों की सलाह पर दिनचर्या
ज्योतिषियों का कहना है कि प्रत्याशी जानना चाहते हैं कि उन्हें खाली पेट या फिर कुछ खाकर नामांकन पत्र भरना चाहिए।  प्रत्याशियों को सलाह दी जाती है कि रविवार को पान, सोमवार को दूध चावल, मंगलवार को गुड़, बुधवार को खड़ा धनिया, गुरुवार को जीरा, शुक्रवार को दही, शनिवार को अदरक का टुकड़ा खाकर निकलना शुभ होगा। नामांकन के समय सफेद घोड़ा, सफेद बैल, गाय, हाथी, मछली, चिडिय़ा या मोर का दर्शन होना या उसका चित्र देखकर जाना शुभ होता है। अपनी ध्वजा नैनृत्य कोण में लगानी चाहिए। प्रत्याशियों को अपनी और चुनाव चिन्ह की एक-एक फोटो घर के दक्षिण की दीवार पर लगाना चाहिए और साथ ही उस पर जीरो वॉट का लाल बल्ब भी लगाना चाहिए।
जीत के लिए टोटका
अब चूंकि समय कम और चुनौतियां ज्यादा हैं, इसलिए प्रत्याशी ज्योतिषियों की मदद मांग रहे हैं। प्रत्याशी दिन में घर-घर जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। समय की कमी और काम बोझ ने उम्मीदवारों को विचलित कर रखा है। ऐसे में उम्मीदवारों को ज्योतिष विद्वान और अपने कुल पुरोहित ही मनोबल वृद्धि का एक मात्र सहारा दिख रहे हैं। मठ-मंदिरों से लेकर शक्तिपीठों में मन्नत मांगी जा रही है। मौजूदा चुनाव में पराजय की आशंकाएं उम्मीदवारों को अंदर तक झकझोर रही हैं। जनता की खामोशी और अपनों का खलकर सडक़ों पर विरोध चुनावी रण के पहलवानों की राह का कांटा बन रहा है। इन आशंकाओं के बीच प्रत्याशी मठ, मंदिरों और शक्तिपीठों में मत्था टेक रहे हैं। ज्योतिषि यह भी तय कर रहे हैं कि किस मुहूर्त और संयोग में उम्मीदवार को अपनी राशि के अनसार मंदिर पहुंचना है। ज्योतिषाचार्य पंडित निलिम्प त्रिपाठी कहते हैं कि देश अब विवेक की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि आधुनिक युग में हर मतदाता जागरूक है। वह किसी प्रलोभन में फंसकर अपना मत नहीं दे सकता है। वे कहते हैं कि लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है। मौजूदा विधानसभा चुनाव में हर प्रत्याशी शकित और दहशत से भरा दिख रहा है। पूरे राज्य में उम्मीदवार ज्योतिषियों, महात्माओं, मनीषियों और कुल पुरोहितों को अपना मनोबल बढ़ाने का सहारा बनाए हुए हैं। पडित त्रिपाठी का कहना है कि इस समय उम्मीदवार ब्रह्माण्ड और विष्णु पुराण के दिव्य मंत्रों का जाप कर करे हैं। राम आदित्य स्त्रोत, राम स्त्रोत, हनुमत कवच और गजेंद्र मोक्ष का पाठ इनकी ताकत बढ़ा रहा है। ज्योतिषाचार्य इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि पहले दलों के नेताओं ने गणेश चतुर्थी में मनचाहे टिकट की प्रार्थना की। फिर जिन लोगों को टिकट मिला, उन्होंने नवरात्र में घर पर नौ दिन हवन-यज्ञ करवाए। शक्ति की उपासना की। जिनके घरों में पुरखों के जमाने से कुल पुरोहित चले आ रहे हैं, उनके द्वारा जीत के लिए मंदिरों एवं अन्य दैवीय स्थलों पर पूजन-पाठ कराया गया। किन लोगों को किस समय कौन सी वस्तु दान करना है। यह काम भी उम्मीदवार कर चुके हैं।

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