खबरें असरदारों की/जोड़ी बड़ी धाकड़

  • विनोद उपाध्याय
जोड़ी बड़ी धाकड़

जोड़ी बड़ी धाकड़
ग्वालियर-चंबल अंचल में माफिया, मनी और मसल्स के लिए कुख्यात भिंड जिले में इन दिनों प्रशासन के 2 अधिकारियों की जोड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है। एक हैं कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव और दूसरे हैं एसपी मनीष खत्री। अवैध खनन के लिए मशहूर इस जिले में अवैध खदानों के पास जब भी कोई गाड़ी सरपट दौड़ती दिखती है तो माफिया के होश उड़ जाते हैं। दरअसल, जिले में जबसे इस जोड़ी ने कामकाज संभाला है, रात हो या दिन कभी भी अवैध खदानों पर छापा मार दिया जाता है। विगत दिनों अफसरों को शिकायत मिली कि माफिया और उनकी टीम एक अवैध खदान में दो दर्जन से अधिक वाहनों के साथ पहुंचकर अवैध खनन कर रही है। खबर मिलते ही कलेक्टर और एसपी की जोड़ी ने देर रात भारी पुलिस बल के साथ रेत खदान पर छापा मारा। इस दौरान पुलिस को देखकर रेत माफिया फरार हो गए। पुलिस ने 20 ट्रक और मशीनें जब्त कर ली।

भ्रष्टाचार की बीमारी… पड़ न जाए भारी
जिस तरह इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते, इसी तरह भ्रष्टाचार भी छिपता नहीं है। इस बात को शायद 1993 बैच के एक पूर्व आईएएस अधिकारी अभी तक समझ नहीं पाए हैं। गौरतलब है कि साहब का पूरा सेवाकाल विवादों में रहा है। 37 साल की सेवा के दौरान साहब पर 27 केस दर्ज हुए हैं, जिसके कारण वे कलेक्टर भी नहीं बन पाए। लेकिन अब साहब रिटायर हो गए हैं, लेकिन उनकी आदत छूटी नहीं है। यानी पावर में न होने के बाद भी साहब अपने अंडर में रहे अफसरों को फोन करके मोटी-मोटी रकम मांग रहे हैं। अगर कोई रकम देने में आनाकानी करता है तो, साहब उसे अपने रसूख की धमकी दे डालते हैं। जानकारों का कहना है कि साहब को मालूम है कि कौन अफसर कितने पानी में है। इसलिए वे अड़ी डाल रहे हैं।

साहब दबाव सहने को तैयार
प्रदेश के नए नवेले जिले में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने और विकास योजनाओं को गति देने के लिए वहां के कलेक्टर अजय श्रीवास्तव ने अफसरों को फ्री हैंड कर दिया है। साहब ने मातहतों को साफ शब्दों में आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा है कि आपको किसी के दबाव में आने की जरूरत नहीं, मैं दबाव सहने को तैयार हूं। दरअसल, साहब को शिकायत मिली थी कि जिले के अफसर स्थानीय नेताओं के दबाव के कारण ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं। इसका असर यह देखने को मिला है कि पिछले कई सालों के काम अभी तक लटके हुए हैं। साहब को जैसे ही इस बात का पता चला, उन्होंने जिला प्रशासन के सभी अफसरों को तलब किया और उनके साथ बैठक कर उन्हें विश्वास दिलाया कि कामों में बाधा डालने वालों के सामने उन्हें झुकने की जरूरत नहीं है। जो कुछ होगा, मैं देख लूंगा।

आखिर बाजी मार ली
महाकौशल के सबसे बड़े जिले जबलपुर की पुलिस ने वह कर दिखाया, जिसकी कोशिश वे काफी समय से कर रहे थे। यानी जिले के पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली ने प्रदेश में अपना बेहतर प्रदर्शन किया है। सीएम हेल्पलाइन की शिकायत के निराकरण में जिला ने आठ माह में तेजी से कार्रवाई की है। नतीजतन, जिला 24 पायदान से दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। जनवरी में जहां शिकायतों के निराकरण में पुलिस की रैंक 24वीं थी। वहीं सितंबर को जारी रैंक में यह दूसरे नंबर पर आ गई है। इसी तरह सीसीटीएनएस रेंकिंग में भी 19वें पायदान से चौथे पर जिला पुलिस आ गई है। वहीं ई एफआइआर में भी बढ़ोतरी हुई है। जनवरी में महज दस ई एफआईआर हुई थीं, वह सितंबर माह तक 81 तक पहुंच गई। बताया जाता है कि जिले के एसपी साहब के दिशा-निर्देश पर यह मुकाम हासिल हुआ है।

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