
शहरवासियों को मिलेगी पेयजल व सीवरेज संकट से मुक्ति
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों को पेयजल व सीवरेज जैसी मुसीबत से मुक्ति दिलाने के लिए अब सरकार 12858 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। यह काम अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के दूसरे चरण के तहत किए जाएंगे। यह काम प्रदेश की सभी 413 निकायों और पांच छावनी परिषद में कराए जाएंगे। इसमें वॉटर सप्लाई, सीवरेज के अलावा ग्रीन एरिया विकसित करने पर फोकस रहने वाला है। इस योजना में प्रदेश सरकार द्वारा राज्य अंश के रूप में 6905.82 करोड़ रुपए दिए जाएंगे , जबकि केन्द्र सरकार इसमें 4580.93 करोड़ रुपए की मदद करेगा। इसके अलावा इस मद में नगरीय निकायों को 1371.96 करोड़ रुपए का अंशदान देना होगा। अमृत दो के पहले चरण में उन क्षेत्रों में पेयजल की पाइप लाइन डालीं जाएंगीं, जहां पर अभी वॉटर सप्लाई नेटवर्क ही नहीं है। इसी तरह से नए व छूटे क्षेत्रों में सीवरेज की लाइन डालने और फिर उसका कनेक्शन घरों में करने का काम किया जाएगा। अमृत योजना में बदलाव करते हुए इस बार सभी शहरों में जलस्त्रोतों के उन्नयन के काम को भी शामिल किया गया है। इसके तहत फिल्टर प्लांट्स की क्षमता में वृद्धि की जाएगी और सप्लाई सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा। इसके लिए नए पंप लगाए जाएंगे। साथ ही प्लांट्स पर बेकार बहाए जाने वाले पानी को री-साइकिल कर उसे उपयोग लायक बनाया जाएगा।
इस तरह से किया कामों का विभाजन
अमृत दो के तहत होने वाले कामों को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है, जिसके तहत पहले पैकेज या ट्रेच-1 में पेयजल समस्या, जलस्त्रोतों की कमी, गर्मियों में जल संकट ग्रस्त और नवगठित निकायों को शामिल किया। प्रदेश में ऐसी निकायों की संख्या 296 है। इन निकायों में 2945.37 करोड़ की जलप्रदाय योजनाओं को शामिल किया गया है। जबकि स्पेशल पैकेज के तहत 89 निकायों में जल संरचनाओं के उन्नयन के लिए 153.53 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। दूसरे पैंकेज में प्रदेश के 121 निकायों की पेयजल, 331 निकायों में 341 जल संरचनाओं के उन्नयन, 385 निकायों 390 ग्रीन एरिया व पार्क विकास, तीन छावनी व अमृत 1 के चार शहरों की सीवरेज परियोजनाओं का रखा गया। इनके लिए 4157.30 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
यह है फंडिंग पैटर्न
योजना का फंडिंग पैटर्न आबादी के हिसाब से तय किया गया है। दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले निकायों में केंद्र 25 प्रतिशत, राज्य 58 फीसदी राशि देगा। बाकी 17 प्रतिशत निकाय को जुटाना होंगे। अमृत के पहले चरण में भी भोपाल नगर निगम की हिस्सेदारी 17 फीसदी ही थी। इसे जुटाने के लिए करीब पौने दो सौ करोड़ रुपए का म्युनिसिपल बॉन्ड जारी किया गया। एक से अधिक पर 10 लाख से कम आबादी के निकायों में केंद्र 33 फीसदी राशि देगा। राज्य से 57 प्रतिशत पैसा मिलेगा। निकाय को दस फीसद की व्यवस्था स्वयं ही करना होगी। वहीं एक लाख से कम जनसंख्या के निकाय में केंद्र 50 प्रतिशत और राज्य 45 फीसदी राशि मुहैया कराएगा। निकाय का अंश महज पांच प्रतिशत ही रहेगा।