
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। तीन साल से सत्ता का सुख भोग रहे श्रीमंत समर्थकों को अब चुनाव से ठीक पहले एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उनके सामने विकट परिस्थियां बन गई हैं। इनमें भी सर्वाधिक परेशानी ग्वालियर -चंबल अंचल में आ रही है। यह वो अंचल है, जहां से ही सर्वाधिक श्रीमंत समर्थक आते हैं। इस अंचल में मूल भाजपाई और श्रीमंत समर्थक भाजपाई के रूप में पार्टी दो गुटों में पूरी तरह से बंटी हुई नजर आती है। मूल भाजपा में इस अंचल से पार्टी के कई पुराने दिग्गज नेता आते हैं, जिनके अपने समर्थक हैं। इनमें केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से लेकर स्वयं प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा तक शामिल हैं। इस वजह से अब टिकटों के लिए बिछी बिसात में श्रीमंत समर्थक मंत्रियों व विधायकों को मूल भाजपाई नेताओं से दो चार होना पड़ रहा है। यही नहीं ठीक चुनाव से पहले उन्हें उनकी प्रतिद्धंदिता का सामना तो करना ही पड़ रहा है साथ ही उनसे समन्वय बनाने के लिए भी एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। इसकी वजह से अब वे अपने टिकटों को लेकर भी शशंकित बने हुए हैं। इसकी एक और बड़ी वजह है वह सूची, जिसे हाल ही में भाजपा ने जारी किया है। इस सूची में श्रीमंत समर्थक उपचुनाव में हारे एक पूर्व विधायक का नाम शामिल नहीं किया गया है। श्रीमंत द्वारा दल बदल किए जाने के बाद 2020 में ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इनमें से 15 सिंधिया के समर्थक थे और एक सीट (जौरा) विधायक के निधन से खाली हुई थी। इनमें से 2 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। सुमावली से सिंधिया समर्थक एदल सिंह को तो टिकट दिया गया है, लेकिन गोहद से उनके समर्थक रणवीर जाटव का टिकट काटकर लाल सिंह आर्य को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है। लगभग यही स्थिति कई अन्य सीटों पर अभी से बनती हुई दिख रही है। यह बात अलग है कि श्रीमंत समर्थक कई मौजूदा और पूर्व विधायक ऐसे भी हैं, जिनका टिकट अभी से न केवल श्रीमंत समर्थक पक्का मान रहे हैं, बल्कि मूल भाजपा नेता भी तय मानकर चल रहे हैं। जिन श्रीमंत समर्थकों को टिकट अभी से पक्का माना जा रहा है उनमें पूर्व मंत्री और डबरा से चुनाव हार चुकीं इमरती देवी, बमोरी से पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का नाम शामिल है। उनके द्वारा उपचुनाव में कांग्रेस के केएल अग्रवाल को हराया गया था।
यहां कई -कई दावेदार हैं सामने
अंचल की मुरैना सीट पर श्रीमंत समर्थक पूर्व विधायक रघुराज कंसाना के अलावा पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह टिकट के दावेदार हैं। हमीर पटेल, गीता हर्षाना भी यहां पर दावेदारी जता रहीं हैं। इसी तरह से दिमनी सीट पर कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर विधायक हैं। उन्होंने 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए पूर्व विधायक गिर्राज डंडौतिया को 26467 वोट से हराया था। गिर्राज के अलावा पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर यहां से दावेदारी कर रहे हैं, जबकि करैरा सीट पर कांग्रेस के प्रागीलाल जाटव विधायक हैं। उन्होंने 2020 में कांग्रेस छोडक़र भाजपा में गए जसमंत जाटव को 30641 वोट से मात दी थी। इस सीट पर अब भाजपा से जसमंत के अलावा पूर्व विधायक रमेश खटीक और शकुंतला खटीक भी दावेदारों में शामिल हैं। इसी तरह से अशोकनगर से विधायक जजपाल सिंह जज्जी को मुकेश कलावत, सतेंद्र कलावत, लड्डूराम कोरी और मुंगावली में पीएचई राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव को भाजपा से सांसद केपी यादव की पत्नी अनुराधा यादव, पूर्व जनपद अध्यक्ष रामराजा यादव और अजय यादव की दावेदारी परेशान किए हुए हैं। इस सीट पर उपचुनाव में यादव ने कांग्रेस के कन्हईराम लोधी को 21 हजार वोटों से हराया था।
इन सीटों पर घमासान
मेहगांव सीट पर इस बार भी श्रीमंत समर्थक मंत्री ओपीएस भदौरिया की दावेदारी बनी हुई हैं। उनके सामने मुश्किल बन रहे हैं मूल भाजपा नेता और पूर्व विधायक राकेश शुक्ला और मुकेश चौधरी। इन दोनों ही नेताओं की मजबूत दावेदारी बनी हुई है। दलबदल के बाद उपचुनाव में भदौरिया ने कांग्रेस के हेमंत कटारे को 12036 वोट से हराया था। इसी तरह से भांडेर सीट पर श्रीमंत समर्थक विधायक रक्षा संतराम सिरौनिया ने 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस के फूल सिंह बरैया को महज 161 वोट हराया था। रक्षा इस बार भी टिकट की दावेदार हैं, लेकिन उन्हें पूर्व विधायक घनश्याम पिरौनिया की दावेदारी का सामना करना पड़ रहा है। अगर बात ग्वालियर की शहर की जाए तो ग्वालियर पूर्व से उपचुनाव में हार कांग्रेस के सतीश सिकरवार से हार चुके मुन्नालाल गोयल एक बार फिर से अपनी उम्मीदवारी चाहते हैं। उन्हें रामेश्वर भदौरिया की दावेदारी परेशान किए हुए है। शहर की दूसरी सीट पर अभी श्रीमंत समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की दावेदारी है, लेकिन उन्हें पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया की दावेदारी का सामना करना पड़ रहा है। तोमर ने उपचुनाव में कांग्रेस के सुनील शर्मा को 33123 वोट से हराया था। पोहरी में पीडब्ल्यूडी राज्य मंत्री सुरेश राठखेड़ा के अलावा पूर्व विधायक प्रहलाद भारती और सलोनी धाकड़ भी दावेदार बने हुए हैं। उपचुनाव में राठखेड़ा ने बसपा के कैलाश कुशवाहा को 22496 वोटों से हराया था। यहां पर कांग्रेस को तीसरे स्थान पर रहना पड़ा था। अंबाह में विधायक कमलेश जाटव क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्हें यहां पुराने भाजपाई के बजाए दो महीने पहले कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए पूर्व विधायक सत्यप्रकाश सखवार से टक्कर मिल रही है।