- हरीश फतेहचंदानी

गांव-गांव घूमेंगे साहब
प्रशासनिक वीथिका में कहा जाता है कि प्रदेश में मालवांचल ऐसा क्षेत्र है,जहां पदस्थ होते ही ब्यूरोक्रेट्स दमदार हो जाता है। इस कथन को चरितार्थ कर रहे हैं 2006 बैच के एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी मालसिंह भयडिय़ा। साहब जब तक सरकार की नाक के नीचे वाले संभाग में सबसे बड़ी प्रशासनिक कुर्सी पर पदस्थ थे, उनकी चर्चा न के बराबर होती थी, लेकिन जैसे ही उनकी पदस्थापना मालवा में हुई है , उनकी कार्यप्रणाली में दमदारी आ गई है। कार्यभार संभालते ही उन्होंने मैदानी दौरे शुरू कर दिए। वहीं अफसरों को दो टूक चेतावनी दी है कि शासकीय योजनाओं पर बेहतर तरीके से अमल किया जाए और किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। वे खुद गांव-गांव घूमकर योजनाओं और चल रहे कार्यों की जमीनी हकीकत पता करेंगे। यही नहीं साहब ने अफसरों से योजनाओं के क्रियावन्यन की जानकारी मांगकर सबको पसोपेस में डाल दिया है। साहब के इस फरमान से संभाग के जिलों के अफसरों में हडक़ंप मच गया है।
फेसबुक लाइव में खुली पोल
ग्वालियर-चंबल अंचल के एक बड़े जिले के कलेक्टर साहब अपनी प्रयोगधर्मिता के लिए जाने जाते हैं। 2010 के आईएएस अधिकारी ने गतदिनों जनता से रूबरू होने के लिए नई पहल की है। पहली बार फेसबुक के माध्यम से उन्होंने जनता की समस्याओं को सुना। लेकिन पहले ही दिन प्रशासन की पोल खुलकर सामने आ गई। लोगों ने कलेक्टर के सामने गुस्से का इजहार किया, और कहा कि फेसबुक लाइव से क्या होगा, अधिकारी तो किसी सुनते नहीं हैं। गांव में बिजली नहीं मिल रही है, शहर में गंदगी फैली है और स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। कलेक्टर के फेसबुक लाइव के दौरान लोगों ने यह भी कह दिया कि इतनी बड़ी कलेक्ट्रेट बनी है, लेकिन आप खुद जिला पंचायत में बैठकें लेते हैं। आपसे मिलने के लिए लोग भटक रहे हैं। लेकिन साहब तनिक नहीं घबराए और अधिकतर शिकायतों को खुद पढ़ा और निराकरण का आश्वासन देते हुए संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए।
कलेक्टर बने मोटिवेटर
2013 बैच के आईएएस अधिकारी संदीप जीआर जब से बुंदेलखंड अंचल के छतरपुर जिले के कलेक्टर बने हैं, उनके नवाचार प्रशासनिक वीथिका में चर्चा का विषय बने रहते हैं। लेकिन इस बार साहब की चर्चा उनके मोटिवेटर बनने की हो रही है। वैसे तो लगभग हर ब्यूरोक्रेट युवाओं को सिविल सेवा की बारीकियां सिखाते हैं, लेकिन साहब ने गत दिनों खजुराहो के एक होटल में आयोजित समारोह में देश के प्रसिद्ध शिक्षाविदों और नौकरशाहों के बीच युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ाया, उसकी हर जगह सराहना हो रही है। साहब ने कहा कि परीक्षा की तैयारी हो या जीवन का कोई भी क्षेत्र, यदि हम सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आत्मविश्वास के साथ-साथ बेहतर कौशल क्षमता, भावनात्मक समझ एवं उचित मार्गदर्शन का होना अत्यंत आवश्यक है। ऐसे ही वाक्यांशों के सहारे साहब ने युवाओं को सफलता की बारीकियां सिखाईं, तो लोग उन्हें कहने लगे- आप तो मोटिवेटर हो।
प्रभारी के तेवर
यहां हम जिस जिले की बात कर रहे हैं, उस जिले में 2008 बैच की प्रमोटी महिला आईएएस अधिकारी कलेक्टर हैं। गत दिनों मैडम अवकाश पर थीं, तो 2015 बैच के युवा आईएएस अधिकारी को कलेक्टर का प्रभार दे दिया गया था। कलेक्टर का प्रभार मिलते ही युवा अधिकारी के तेवर कुछ इस कदर बदल गए कि जिले के अन्य अधिकारियों की शामत आ गई। प्रभारी कलेक्टर एक दिन में कई-कई बार बैठकें करते और अफसरों की जमकर क्लास लगाते। प्रभार में मिली कलेक्टरी का साहब ने भरपूर उपयोग किया। इस दौरान उन्होंने उन लापरवाह अधिकारियों का एक दिन का वेतन काटने और नोटिस जारी करने का निर्देश दिया जो बिना किसी सूचना के टीएल बैठक से गायब रहते हैं। साहब का यह रूप देखकर जिले में यह चर्चा जोरों पर है कि जब ये वास्तव में कलेक्टर बन जाएंगे तो क्या करेंगे।
कलेक्टर का पैदल मार्च
ग्वालियर-चंबल अंचल के सबसे कुख्यात जिले भिंड में जब भी कोई आईएएस अधिकारी कलेक्टर बनता है तो वह पूरी लाव लश्कर के साथ ही कहीं जाता है। इसकी वजह यह है कि जिले में अवैध खनन, अपराध और लूटपाट आम बात है। बात-बात पर प्रशासन पर अपराधी गोलियों की बरसात कर देते हैं। लेकिन जिले में संजीव श्रीवास्तव जब से कलेक्टर बनकर पहुंचे एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है। आलम यह है कि साहब अचानक ही कहीं भी पैदल मार्च करते हुए पहुंच जाते हैं। साहब की इस कार्यप्रणाली से जहां अधिकारियों, कर्मचारियों में हडक़ंप है, वहीं जिला पुलिस अचंभित है। सूत्रों का कहना है कि साहब जिले की पूरी गतिविधियों से वाकिफ हैं, लेकिन वे सबको यह अहसास कराना चाहते हैं कि जिले में कानून व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त है। वहीं साहब की सक्रियता के कारण हर चौक-चौराहे पर सुरक्षा दुरुस्त रहने लगी है।