UCC धार्मिक मुद्दा नहीं, महिलाओं की गरिमा से जुड़ा मामला: प्रकाश जावड़ेकर

प्रकाश जावड़ेकर

नई दिल्ली।  भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि समान नागरिक संहिता कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह महिलाओं के लिए समान अधिकार, न्याय और गरिमा का मामला है। जावड़ेकर ने समान नागरिका संहिता के मसले पर विपक्षी दलों के रुख की भी निंदा की। तिरुवनंतपुरम में प्रदेश पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कई मुस्लिम बहुल देश समान नागरिक संहिता का पालन कर रहे हैं और यह ”पूरी दुनिया में बहुत स्वाभाविक” है।  उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया, सूडान, तुर्की, बांग्लादेश और कई अन्य देशों में समान नागरिक संहिता है और भारत में यह गोवा और पुडुचेरी में पहले से ही लागू है।

भाजपा के केरल प्रभारी जावड़ेकर ने यह भी दावा किया कि इन दशकों में गोवा और पुडुचेरी में समान नागरिक संहिता के संबंध में मुसलमानों या किसी अन्य की ओर से एक भी शिकायत नहीं आई है। उन्होंने कहा, ‘जब पुडुचेरी के मुस्लिम और अन्य लोग इसे स्वीकार कर रहे हैं और बिना किसी शिकायत के इसका पालन कर रहे हैं, तो यह कानून क्यों नहीं होना चाहिए?’  उन्होंने कहा कि सभी के लिए एक आपराधिक कानून है और सभी के लिए नागरिक कानून भी एक ही होना चाहिए। यह कहते हुए कि समान नागरिक संहिता ‘भाजपा का नवाचार’ नहीं है, जावड़ेकर ने कहा कि यह डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की ओर से लिखित संविधान का अनुच्छेद 44 है।

उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने लिखा था कि एक निश्चित समय के बाद सभी नीति निर्देशक सिद्धांतों को कानून में बदल दिया जाना चाहिए।  उन्होंने शाह बानो मामले में शीर्ष अदालत की ओर से व्यक्त की गई पीड़ा की ओर भी इशारा किया कि संविधान का अनुच्छेद 44 एक मृत पत्र बना हुआ है।  जावड़ेकर ने आगे बताया कि समान नागरिक संहिता अनिवार्य रूप से शादी, तलाक, गोद लेने आदि के बारे में है।  उन्होंने कहा, ‘यह सभी के लिए है लेकिन महिलाएं इसके कारण अधिक पीड़ित हैं। उन्होंने कहा, ‘इसलिए, उन्हें समान अधिकार मिलने चाहिए… उन्हें न्याय मिलना चाहिए और उन्हें गरिमा मिलनी चाहिए… यह कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है… आंबेडकर ने कहा था कि यह धार्मिक मुद्दा नहीं है। यह समान अधिकारों का मुद्दा है।

Related Articles