
- 70 हजार से अधिकारी-कर्मचारियों के होंगे ट्रांसफर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नावी साल में सरकार तबादलों पर से प्रतिबंध हटाने जा रही है। बताया जाता है कि तबादलों में स्थानीय विधायकों की सिफारिश को तवज्जो दी जाएगी। जिससे विधायकों की नाराजगी दूर हो सके। बता दें कि बीते साल 2 महीने के लिए ट्रांसफर से बैन हटाया गया था। उस दौरान हजारों तबादले किए गए थे। इस बार 25 अप्रैल से लेकर 25 मई तक के बीच ही तबादले हो सकेंगे।
सूत्र बताते हैं कि इस बार भी प्रभारी मंत्रियों की सिफारिश से जिलों में तबादले हो सकेंगे। बता दें कि मंत्री और विधायक लगातार मुख्यमंत्री से मांग कर रहे थे कि अब तबादलों से प्रतिबंध हटा लिया जाए। मंत्रालयीन सूत्रों के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग ने वर्ष 2023 की अवधि के लिए नई तबादला नीति को लगभग अंतिम रूप दे दिया है। इधर स्कूल शिक्षा विभाग भी अलग से तबादलों की तैयारी में है। इसी क्रम में पुलिस महकमे में तबादले पुलिस स्थापना बोर्ड के माध्यम से होंगे। इस तरह पुलिस और शिक्षकों को भी मिलाकर प्रदेश में सभी संवर्गों के तबादलों का आंकड़ा इस बार 70 हजार के करीब पहुंच सकता है। सामान्य प्रशासन विभाग की तबादला नीति को हरी झंडी मिलने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग अपनी नीति के हिसाब से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करेगा। इसी तरह पुलिस स्थापना बोर्ड भी महकमे में इसी अवधि में तबादलों की कार्यवाही पूरी करेगा।
मैदानी पदस्थापना वाले ऐसे सभी शासकीय सेवकों को एक से दूसरे स्थान पर पदस्थ किया जाएगा, जो कि नवंबर की अवधि तक भी एक ही स्थान पर तीन वर्ष की सेवा अवधि पूरा कर रहे हैं। इसलिए इस बार तबादलों का आंकड़ा बढ़ सकता है। सरकार ऐसा कोई जोखिम नहीं लेगी, जिससे कि चुनाव आयोग को हस्तक्षेप करना पड़े। इसके अलावा विकलांग, बीमार, एक ही स्थान पर पदस्थापना चाहने वाले शासकीय सेवक पति-पत्नी को तबादलों में प्राथमिकता मिलेगी।
पूरी प्रक्रिया रहेगी पारदर्शी: राज्य सरकार इस बार तबादला नीति में पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की तैयारी में है। ऐसे में कमोबेश सभी तबादले ऑनलाइन किए जाएंगे जिससे कि संशय की संभावना नहीं रहे। प्रदेश में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राजधानी में मंत्रियों के बंगलों पर तबादला चाहने वाले शासकीय सेवकों की भीड़ न जुटे, इसके लिए भी राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क है। इससे पहले कि शासकीय सेवक तबादलों के लिए राजधानी के चक्कर लगाएं, उससे पहले ही तबादला चाहने वालों से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
नई नीति में होगी अधिक रियायत
नई नीति में जो प्रावधान किया जा रहा है, उस हिसाब से 2000 से अधिक संख्याबल वाले विभागों में भी 05 फीसदी से अधिक तबादले किए जाएंगे। ये संख्या 10 फीसदी तक पहुंच सकती है। लिहाजा इस बार पिछली नीति से अधिक रियायत मिल सकती है। इसी तरह 200 से कम संख्या वाले महकमे में भी अधिकतम 20 फीसदी तक तबादले हो सकेंगे। वैसे तो स्कूल शिक्षा विभाग अपनी नीति के हिसाब से तबादले करेगा, लेकिन ये भी तय है कि सबसे अधिक तबादले इसी विभाग में होंगे। पिछले वर्ष भी सबसे अधिक तबादले इसी महकमे में हुए थे और ये संख्या 35 हजार से अधिक पहुंच गई थी। इस बार भी ये संख्या 25 से 30 हजार के करीब तक पहुंचने की संभावना है। इसी तरह संख्या बल के हिसाब से दूसरे क्रम का महकमा गृह विभाग में भी तबादलों का आंकड़ा 7000 से अधिक पहुंच सकता है। इसी तरह संख्या बल के हिसाब से तीसरे नंबर का विभाग आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में भी तबादलों का आंकड़ा 10 हजार के करीब तक जा सकता है। दरअसल विभाग के तहत संचालित स्कूलों में शिक्षकों के तबादले ही सबसे अधिक होते है।
तबादले में प्रभारी मंत्री की चलेगी
तबादलों को लेकर राज्य सरकार पूरी सतर्कता बरतेगी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अक्टूबर अंत तक चुनाव आचार संहिता प्रभावी- हो सकती है। ऐसे में सरकार चुनाव आचार संहिता लगने से कम से कम छह माह पहले ही तबादलों की प्रक्रिया पूरी कर लेगी, जिससे कि बाद में किसी तरह की विवाद की स्थिति नहीं बने। प्रदेश में पिछले वर्ष 17 सितंबर से 05 अक्टूबर तक तबादलों से प्रतिबंध हटाया गया था, वहीं वर्ष 2021 में एक जुलाई से 31 जुलाई के बीच तबादले हुए थे। वहीं जिला संवर्ग के तबादले प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से जिले के भीतर किए जा सकेंगे। इसमें प्रभारी मंत्री की चलेगी।