
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। सालभर में छह माह बिजली विभाग और नगर निगमों के बीच बिलों को लेकर विवाद जारी रहता है। इसकी वजह होती बिजली बिलों का नगर निगमों द्वारा भुगतान नहीं किया जाना। कई बार हालात तो यह हो जाते हैं कि बिजली महकमा वसूली के लिए कनेक्शन तक काट देता है। इसकी वजह है निकायों द्वारा करों की वसूली में रुचि नहीं ली जाती है, जिसकी वजह से उनके सामने आर्थिक संकट बना रहता है। इसके बाद भी निकाय नेताओं के स्वागत में जरुर जमकर पैसा खर्च करने में पीछे नही रहते हैं। इस संकट से निपटने के लिए अब नगरीय संचालनालय ने स्थाई हल निकालने की योजना तैयार की है। इसके तहत खुद का सोलर प्लांट लागने की तैयारी कर ली गई है। इस प्लांट से मिलने वाली बिजली का उपयोग आर्थिक संकट का सामना करने वाले नगरीय निकायों में पेयजल सप्लाई और सीवेज ट्रीटमेंट के लिए किया जाएगा। नगरीय प्रशासन विभाग इसके लिए 100 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगाने जा रहा है। इसकी लागत करीब 350 करोड़ रुपए अनुमानित है। खास बात यह है कि यह बात अलग है कि इससे उत्पादित बिजली से इसकी लागत पांच साल में ही निकल जाएगी। इसके बाद निकायों को इस मद में खर्च नहीं करना पड़ेगा। प्लांट से बिजली उत्पादन होने से इसे बिजली कंपनी को बेच दिया जाएगा। यह राशि निकायों के बिल में से कम हो जाएगी।
रीवा जिले में लगाने की तैयारी
विभाग के मुताबिक रीवा और उसके आसपास प्लांट लगाने के लिए 100 हेक्टेयर जमीन तलाशी जाएगी। इस योजना से 100 निकायों को पेयजल सप्लाई और 20 निकायों को सीवेज ट्रीटमेंट के लिए बिजली दी जाएगी। अभी निकायों को सालाना करीब 80-90 करोड़ रुपए बिजली पर खर्च करने पड़ते हैं। प्लांट लगने के बाद 7 रुपए प्रति यूनिट की बजाए 2-3 रुपए प्रति यूनिट में बिजली मिलेगी।
इस तरह से जुटाई जाएगी राशि
विभाग के उपक्रम अर्बन डेवलपमेंट कंपनी नगर पालिका और परिषद में पेयजल सप्लाई और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इन योजना के संचालन और संधारण के लिए वर्ल्ड बैंक, केएफडब्ल्यू और एडीबी से लोन लिया है। प्रारंभिक प्रस्ताव के तहत विभाग एडीबी या वर्ल्ड बैंक से प्रोजेक्ट लोन लेने, निजी निवेशक को 20 साल के लिए प्लांट संचालन की जिम्मेदारी देने या ग्रीन बॉण्ड जारी करने पर विचार कर रहा है। आगामी समय में निकायों को कार्बन क्रेडिट में भी इसका फायदा मिलेगा। दिल्ली मेट्रो से रीवा में जो सोलर प्लांट लगाया गया है, उससे उसे करीब 1.90 रुपए की दर से बिजली मिल रही है। गौरतलब है कि बीते साल फरवरी में नगर निगम इंदौर ने ग्रीन बॉण्ड जारी किया था। निगम ने जलूद में 60 मेगावॉट का सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए इस ग्रीन पब्लिक बॉण्ड को जारी कर 244 करोड़ रुपए एकत्र करने का लक्ष्य रखा था। निवेशकों ने 720.25 करोड़ रुपए निवेश करने में रुचि दिखाई थी।