- सभी दलों के यादव नेता भी हुए शामिल होकर हुए लामबंद
- हरीश फतेहचंदानी
मध्यप्रदेश भी अब उत्तर प्रदेश व बिहार की राह पर चल पड़ा है। इसका उदाहरण है बीते रोज यादव समाज का अहीर रेजीमेंट के गठन को लेकर किए गया प्रदर्शन । इस प्रदर्शन में भाजपा व कांग्रेस के अलावा अन्य राजनैतिक दलों के सभी प्रमुख नेता शामिल हुए। सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग यादव समाज की ओर से लंबे समय से की जा रही है। उधर, इसके पहले प्रदेश में आदिवासियों व दलित वर्ग के साथ ही राजपूतों की करणी सेना भी अपना शक्ति प्रदर्शन कर चुकी है। दरअसल इस तरह की राजनीति व लामबंदी का केन्द्र अब तक बिहार व उप्र ही रहे हैं। मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनावी साल की शुरुआत में ही प्रदेश में जातिगत और सामाजिक आंदोलन सत्ताधारी दल बीजेपी और कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा रहे हैं। पहले 8 जनवरी को राजधानी के जंबूरी मैदान पर करणी सेना ने अपनी मांगों को लेकर शक्ति प्रदर्शन किया था। इस आंदोलन के एक माह बाद भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी ने 12 फरवरी को अपनी ताकत दिखाई और अब यादव समाज भी अपनी ताकत दिखा चुका है। गौरतलब है कि इसके पहले मालवा व निमाड़ में आदिवासी समाज की एकता दिखाते हुए जयस भी हुंकार भर चुकी है। अहीर रेजीमेंट की मांग को लेकर ग्वालियर से निकाली गई जनजागृति यात्रा का बीते रोज भोपाल में समापन हुआ। खास बात यह है कि एमवीएम मैदान में महा सभा में परमवीर चक्र से सम्मानित पूर्व सैनिक योगेंद्र सिंह यादव ने कहा कि हम अहीर रेजिमेंट नहीं मांग रहे हैं बल्कि हम तो देश पर मर मिटने का अधिकार मांग रहे हैं। यह हमारा अधिकार है। राष्ट्रीय संयोजक प्रदीप यदु ने कहा कि देश की सुरक्षा और अखंडता बनाए में यादव समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है। बिट्रिस कॉल में देश की रक्षा के लिए प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध रहा हो या चीन के साथ रेजांगला युद्ध या पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध, हर मोर्चे पर यादव समाज के वीर शहीदों ने शहादत दी है। यादव समाज 1968 से अहीर रेजिमेंट की मांग कर रहा है।
करणी सेना फिर आंदोलन की तैयारी में
जनवरी में आंदोलन करने वाले करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर का कहना है कि हमारे आंदोलन के बाद सरकार ने लिखित में आश्वासन दिया था। अफसरों की कमेटी बनाकर दो महीने में कार्रवाई करने का भरोसा दिया था। एक महीने का वक्त निकल चुका है। अब तक कुछ भी नहीं हुआ, बल्कि हमारे कार्यकर्ताओं पर लगातार मुकदमे बनाए जा रहे हैं। जो गलती हमारे लोगों से हुई थी, हम सबने उसके लिए सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी थी। मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट कर सबको माफ करने की बात कही थी, लेकिन सीएम के माफ कर देने के बाद भी हमारे साथियों पर केस लगाए जा रहे हैं। एक साथी तो जेल में बंद हैं। उनकी जैसे ही एक मामले में जमानत होती है, दूसरे थाने में केस दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया जाता है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी तो हम फिर बड़ा आंदोलन करेंगे। जहां तक बात आरक्षण में संशोधन और एट्रोसिटी एक्ट में बिना जांच गिरफ्तारी वाले मामले की है, उसे हमने केन्द्र के अधीन छोड़ दिया, लेकिन सरकार राज्य के मामलों पर जल्दी फैसला ले। वरना आने वाले चुनाव में हम बीजेपी को सबक सिखाएंगे।
शक्ति प्रदर्शन में यह लोग हुए शमिल
यादव समाज ने रविवार को अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग को लेकर एमवीएम मैदान में शक्ति प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव परमवीर चक्र विजेता पूर्व ब्रिगेडियर योगेंद्र यादव, ब्रिगेडियर प्रदीप यदू, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव, पूर्व मंत्री ललिता यादव, भाजपा विधायक कृष्णा गौर, पूर्व मंत्री सचिन यादव, आईटी सेल के प्रताप सिंह यादव समेत बड़ी संख्या में समाज बंधु शामिल हुए। सम्मेलन में सैनिकों के साथ ही उनके परिवार के लोग भी शामिल हुए। अहीर रेजीमेंट मिशन के राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व ब्रिगेडियर प्रदीप यदू ने कहा कि देश की सुरक्षा और अखंडता बनाए रखने में यादव समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है। विटनेस कॉल में देश की रक्षा के लिए चाहे पहले या दूसरा विश्व युद्ध हो या चीन के साथ रेजांगला का युद्ध या फिर पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध रहा हो। हर मोर्चे पर यादव समाज के वीरों ने शहादत दी है। सम्मेलन में अन्य वक्ताओं ने कहा कि अभी राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। इसके बाद भी मांगों का निराकरण नहीं होता है, तो दिल्ली में प्रदर्शन किया जाएगा। भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट फिर से बनाने की मांग हो रही है। पहले कुमाऊं रेजिमेंट में हरियाणा के अहीर सैनिक हुआ करते थे और इसलिए उसे अहीर रेजिमेंट भी कहा जाता था लेकिन अब समुदाय के लिए एक पूर्ण इन्फैंट्री रेजिमेंट की मांग हो रही है।
असपा निकालेगी कई रैली
आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने विधानसभा चुनाव तक एमपी में 5 यात्रा निकालने और सत्ता परिवर्तन के लिए लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया हुआ है। आरक्षण के समर्थन में दलित और आदिवासी वर्ग के साथ ही ओबीसी महासभा ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया। भीम आर्मी के आंदोलन के पीछे की बड़ी वजह करणी सेना के आंदोलन में आरक्षण में संशोधन और एट्रोसिटी एक्ट के नियमों में बदलाव की मांगों को माना जा रहा है। वे चेता चुके हैं कि अगर उनकी मुख्य मांगें एक महीने के अंदर नहीं मानी गई तो फिर दोगुनी संख्या में आएंगे। उनका कहना है कि अगर सरकार नहीं सुनती है, तो जयस, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, ओबीसी महासभा के साथ मिलकर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाएंगे। दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के तीन डिप्टी सीएम बनाएंगे।