जमीनी मसला सुलझा, लग सकते हैं परियोजना को पंख

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बुंदेलखंड अंचल की किस्मत बदलने वाली मानी जा रही केन -बेतबा परियोजना के आड़े आ रहा जमीन मसला अब पूरी तरह से सुलझ जाने से इस पर तेजी से काम शुरु होने की संभावना बन गई है। माना जा रहा है कि इस परियोजना पर इसी साल चुनाव से पहले काम गति पकड़ लेगा। सरकार की भी मंशा यही है। खास बात यह है कि यह केंद्र और राज्य सरकार की अति महत्तवाकांक्षी परियोजना होने के साथ मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। इस परियोजना के लिए हाल ही में केन्द्र सरकार के बजट में 3500 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है।
इस परियोजना को लेकर बीते रोज जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथारिटी के डायरेक्टर जनरल द्वारा बैठक भी की गई, जिसमें मध्य प्रदेश वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक कैंपा सुनील अग्रवाल भी वर्चुअली रुप से शामिल हुए थे। बैठक में मप्र के अलावा उप्र जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी शामिल रहे। इस दौरान दोनों राज्यों के अफसरों ने परियोजना में आ रही समस्याएं बताने के साथ ही सुझाव भी दिए। इस दौरान बताया गया कि मध्य प्रदेश वन विभाग को छह हजार 17 हेक्टेयर में से पांच हजार 439 हेक्टेयर भूमि दे दी गई है। शेष 578 हेक्टेयर भूमि भी जल्द दे दी जाएगी। इसके साथ ही इस भूमि पर पौधारोपण के लिए कैंपा फंड से 39 सौ करोड़ रुपये दिए गए हैं और 12 सौ करोड़ रुपए भी देने की तैयारी की जा रही है। एक पखवाड़े में मप्र वन विभाग पालन प्रतिवेदन केंद्र सरकार को भेजेगा। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा औपचारिक स्वीकृति दी जाएगी, जिसके बाद हस्तांतरित भूमि का वन विभाग पौधारोपण के लिए उपयोग कर सकेगा। उधर, शासन से सभी आवश्यक अनुमतियां मिलने पर केन-बेतवा लिंक परियोजना की टेंडर प्रक्रिया जल्द शुरू की जा सकेगी। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तीन से चार माह में निविदा की प्रक्रिया कर ली जाएगी।
सिंचाई के साथ पेयजल समस्या का भी होगा समाधान
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह दतिया शिवपुरी, विदिशा और रायसेन जिले में आठ लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई की क्षमता विकसित होगी। साथ ही 40 लाख से अधिक परिवारों के लिए पेयजल की व्यवस्था होगी। 44,605 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए आगामी विशेष वर्ष के बजट में 3500 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इसके पूरा होने पर मप्र के पन्ना जिले में 70,000, छतरपुर जिले में 3,11,151, दमोह जिले में 20,101, टीकमगढ़-निवाड़ी जिलों में 50,112, सागर जिले में 90,000 ,दतिया जिले में 14,000, विदिशा जिले में 20,000 और रायसेन जिले में 6,000 हेक्टेयर में सिंचाई रकबा बढ़ जाएगा।
जल बंटवारे के विवाद से हुई देरी
गौरतलब है कि 2005 में परियोजना के लिए सबसे पहले मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच समझौता हुआ था। जल बंटवारे सहित अन्य मुद्दों पर सहमति नहीं बनने से इस पर काम शुरू नहीं हो सका था। 22 मार्च 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता अनुबंध हुआ।

Related Articles