खाद्य आपूर्ति निगम के पास नहीं है गेहूं खरीदने की राशि

खाद्य आपूर्ति निगम
  • कर्ज में डूबा निगम अब फिर ले रहा 40 हजार करोड़ का लोन

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन भारी भरकम कर्ज में डूबे मप्र खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के पास गेंहू खरीदने का पैसा तक नहीं है। ऐसे में निगम द्वारा एक बार फिर से 40 करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने की तैयारी कर ली गई है। हालात यह हैं कि अभी निगम पर पहले से ही 45 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। जिसके एवज में उसे हर दिन करोड़ों रुपए का   ब्याज भुगतान करना पड़ रहा है।
नए कर्ज की वजह निगम द्वारा इस वर्ष गेहूं, चना, मसूर और सरसों की खरीदी को बताया जा रहा है। लोन की बैंक गारंटी लेने के लिए निगम ने बैंक गारंटी लेने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। इसके साथ ही निगम ने सस्ते लोन के लिए निविदा जारी कर विभिन्न बैंकों से ऑफर भी बुलाए हैं।
 दरअसल सरकार द्वारा गारंटी देने पर ही निगम को नया कर्ज मिल सकेगा। पुराना कर्ज चुकाया नहीं जा रहा है और नया कर्ज लगातार लेने की वजह से निगम पर हर साल कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। अगर यही  हालात बने रहे तो एक समय ऐसे हालात बन जाएंगे की निगम ब्याज की रकम चुकाने में भी सक्षम नहीं रह जाएगा। दरअसल निगम द्वारा हर साल सरकार द्वारा खरीदे जाने वाले गेंहू के लिए कर्ज तो ले लिया जाता है, लेकिन उसका समय पर भुगतान नहीं किया जाता है , जिसकी वजह से कर्ज दर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। इस कर्ज की वापसी न कर पाने की बढ़ी वजह है गोदामों से समय पर गेहूं का उठाव नहीं हो पाना, जिसकी वजह से निगम को केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाला पैसा समय पर नहीं मिल पता है।
100 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य
सरकार ने इस वर्ष 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा है। गेहूं की खरीदी और भंडार की व्यवस्था अभी से शुरू कर दी है। सबसे बड़ी व्यवस्था भंडारण और वारदाना की है। वारदाना खरीदी के संबंध में अगले माह तक निविदा जारी की जाएगी, जिससे कि समय पर व्यवस्था हो सके। इसके अलावा जूट निगम कोलकाता से वारदानों की डिमांड की गई है। बताया जाता है कि केंद्र ने इस वर्ष समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी की दरें 2,125 रुपए प्रति क्विंटल तय की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 110 रुपए अधिक है। पिछले वर्ष 2,015 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदी की गई थी। पिछले वर्ष समर्थन मूल्य कम और यूक्रेन युद्ध के चलते बाजार में गेहूं की कीमतें ज्यादा होने से किसानों ने खुले बाजार में गेहूं बेच दिया था। इसके चलते पिछले वर्ष 46 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं की  खरीदी हो सकी थी। जबकि इसके पहले 74 लाख मीट्रिक टन से लेकर 129 लाख मीट्रिक टन तक गेहूं की खरीदी हो चुकी है।
बैंकों से ऑफर भी बुलाए
निगम पर 45 हजार करोड़ का पहले से कर्ज है। ये कर्ज गेहूं,  धान सहित अन्य अनाजों की खरीदी के लिए विभिन्न वर्षों में ऋण के रूप में बैंकों से लिया गया था। बताया जाता है कि 45 हजार करोड़ रुपए का प्रति माह निगम को करीब 150 करोड़ रुपए ब्याज देना पड़ रहा है। इसके अलावा भंडार निगम को भी करोड़ों रुपए देना पड़ता है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी तरुण पिथोड़े का कहना है कि गेहूं खरीदी की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस वर्ष 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। गेहूं खरीदी करने लोन के लिए बैंकों से ऑफर भी बुलाए गए हैं। उधर भंडार निगम ने गेहूं भंडारण करने के लिए जिलों से खाली गोदामों की जानकारी बुलाई है। उज्जैन, भोपाल, हरदा, इंदौर और विदिशा सहित जिन जिलों में गोदामों की समस्या है, वहां गोदामों की बुकिंग निगम को पहले से करनी होगी।

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