- हरीश फतेहचंदानी

करे कोई, भरे कोई
करे कोई, भरे कोई वाली कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन इस बार यह कहावत चरितार्थ हो रही है राजधानी और व्यावसायिक राजधानी के बीच के एक जिले में। दरअसल, इस जिले के एक एडिशनल एसपी के दाग को धोने के लिए एसपी साहब ने ऐसा कदम उठाया है, जिसकी जमकर निंदा हो रही है। गौरतलब है कि 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी इन साहब ने काम ही ऐसा किया है, जिस कारण लोग उन्हें महिलाओं का दुश्मन मानने लगे हैं। वैसे इस जिले के पुलिस अधिकारी अपनी अजब-गजब हरकतों के कारण चर्चा में रहते हैं। जिले के एक एडिशन एसपी जो महिला प्रेमी हैं, उनकी हरकतों से बड़े साहब इस कदर नाराज हैं, कि उनके नजरिए में भी बदलाव आ गया है। इसका अनुमान इससे भी लगाया जा रहा है कि गत दिनों उन्होंने एसपी ऑफिस में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों की सीआर तैयार की। लेकिन इस सीआर को उन्होंने दो भागों में बांट दिया। पुरुषों की सीआर को बेहतर बताते हुए उन्हें महिलाओं से अच्छा करार दिया गया, जबकि महिला अधिकारियों-कर्मचारियों की सीआर को दोयम दर्जे का बताया गया।
कुपोषण खत्म करने का संकल्प
अपनी स्वच्छता, खानपान के लिए दुनियाभर में मशहूर इंदौर जिले को कुपोषण मुक्त कराने का संकल्प वहां के कलेक्टर इलैयाराजा टी ने लिया है। 2009 बैच के आईएएस अधिकारी जबसे जिले के कलेक्टर बने हैं अपने नवाचारों के कारण सरकार के चहेते बन गए हैं। इनके दिशा-निर्देश में जिले में 4 बड़े राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। अब साहब कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से भी जूझ रहे जिले को मुक्ति दिलाने के अभियान में जुट गए हैं। यही नहीं अब इसके बेहतर परिणाम भी सामने दिखाई दे रहे हैं। बताया जाता है कि साहब सुबह पहली बैठक में ही कुपोषण मुक्ति अभियान की रिपोर्ट देखते हैं फिर शाम तक उसकी प्रगति का आंकलन करते हैं। सूत्रों का कहना है कि साहब ने इस अभियान में जनप्रतिनिधियों और अन्य संगठनों को जोडक़र कुपोषण खत्म करने की दिशा में कारगर कदम बढ़ा दिया है। इस अभियान की प्रगति देखकर अन्य जिले भी इसी तर्ज पर काम करने की सोच रहे हैं।
मंत्रालय से पूरी तरह मोहभंग
कुछ समय पहले तक मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी का मंत्रालय से मोहभंग सा हो गया है। सूत्रों का कहना है कि 1988 बैच की यह वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी इस कदर नाराज हैं कि उन्होंने मंत्रालय जाना ही बंद कर दिया है। आलम यह है कि किसी कक्ष में उनके नाम की नाम पट्टिका भी नहीं लगी है। दरअसल, मैडम को जिस विभाग का एपीसी बनाया गया है, वे उसके लिए तैयार भी नहीं थीं। वहीं सूत्रों का कहना है कि जितने आईएएस अधिकारी मुख्य सचिव बनने की कतार में थे। उन सब ने लामबंदी शुरू कर दी है और भूले-बिसरे दिनों को याद करते हुए सरकार को नीचा दिखाने का प्रयास शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के प्रशासन में शायद पहली बार इस तरह की स्थिति निर्मित हुई है। अब देखना यह है कि इस परिस्थिति में शासन का क्या रुख होता है।
खुल गई रसोई की पोल
निमाड़ क्षेत्र के शाजापुर जिले की दीनदयाल अन्त्योदय रसोई उस समय चर्चा में आ गई, जब कलेक्टर दिनेश जैन अचानक वहां पहुंच गए। दरअसल, यहां रोजाना 200 से अधिक लोगों के भोजन कराने की राशि ली जा रही थी, लेकिन जब कलेक्टर साहब पहुंचे तो वहां रसोई में केवल 2 व्यक्ति भोजन करते हुए मिले। दीनदयाल रसोई योजना को लेकर स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा लगातार शिकायत की जा रही थी। योजना के तहत हितग्राहियों को घटिया भोजन दिया जा रहा था, जिसके चलते यहां भोजन के लिए आने वाले संख्या सीमित हो गई। उसके बाद भी प्रतिदिन 200 से ज्यादा लोगों के भोजन करने का रिकार्ड कागजों में दिखाकर शासन से मिलने वाली राशि ली जा रही थी लेकिन, वास्तविकता में यहां 10 से 15 लोगों द्वारा ही खाना खाया जा रहा है। फिर क्या था, साहब ने जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को जमकर लताड़ लगाई और चेतावनी दी कि आगे गड़बड़ी हुई तो खैर नहीं।
पहला फेरबदल ही कटघरे में
सालों से ग्वालियर-चंबल का पानी पी रहे एक आईएएस अधिकारी नए जिले का कलेक्टर बनते ही कटघरे में आ गए हैं। दरअसल, साहब द्वारा किया गया पहला फेरबदल ही विवादों में पड़ गया है। हाल ही में सरकार ने एक एसडीएम का तबादला दूसरे जिले में कर दिया था, लेकिन कलेक्टर साहब ने इनका ही प्रभार बदलकर उनकी पूर्व पदस्थापना वाली जगह पर कर दिया। जबकि पूर्व कलेक्टर ने एक हादसे के बाद इनको वहां से हटा दिया था। ऐसे में कलेक्टर का यह नया और पहला फेरबदल सभी को हैरानी में डाले हुए है। पर्दे के पीछे यह कहानी है कि एसडीएम का जब तबादला किया गया था तब वे अवकाश पर थे। उनकी अवकाश अवधि में पूर्व कलेक्टर ने उन्हें दूसरी जगह भेज दिया था। आते ही एसडीएम की पीड़ा मंत्री तक पहुंची, पहले बताया कि स्थानांतरित अवधि में उनका प्रभार बदल दिया गया और अब जिले से भी बाहर भेज दिया गया। एसडीएम के नजदीकी मंत्री ने तत्काल मौजूदा कलेक्टर को कहकर प्रभार वापस कराया।