कियावत को बचाने वाले प्रमुख सचिव की बढ़ी मुश्किलें

भोपाल/गौरव चौहान। प्रदेश के एक आला आईएएस अफसर अनिरुद्ध मुखर्जी की मुश्किलें बढऩा तय है। इसकी वजह है लोकायुक्त संगठन द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्यपाल को पत्र लिखकर सिफारिश करना। मुखर्जी फिलहाल लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ हैं। उनके खिलाफ  कार्रवाई की सिफारिश  उज्जैन के दताना एयरस्ट्रिप के रखरखाव में की गई गड़बड़ी  के मामले में की गई है।  मुखर्जी पर आरोप है कि उन्होंने पूर्वआईएएस अफसर और इस मामले के आरोपी कवींद्र कियावत की याचिका पर हाईकोर्ट में जवाब देते समय राज्य सरकार के हितों की अनदेखी की है। इससे जांच एजेंसी का काम प्रभावित हुआ है। पहली बार यह मामला 2013 में तब सामने आया था, जब इंदौर के पीयूष जैन और भरत बामने ने लोकायुक्त से मामले की शिकायत की थी। उनका आरोप था कि उज्जैन के दताना गांव में एयरस्ट्रिप को विकसित करने, उसके रखरखाव और इस्तेमाल का काम 2006 में सात साल के लिए यश एयरवेज कंपनी को दिया गया था। बाद में कंपनी ने अपना नाम बदल लिया था। नौ साल तक कंपनी ने ना तो लीज राशि का भुगतान किया और ना ही इस दौरान उज्जैन में पदस्थ रहे कलेक्टरों ने इस मामले में कोई कार्रवाई की। खास बात यह है कि इस अवधि में पीडब्ल्यूडी ने इसके रखरखाव पर करीब तीन करोड़ रुपए खर्च कर दिए , जबकि यह राशि ठेकेदार कंपनी को खर्च करनी थी।

इस मामले में लोकायुक्त ने 22 जुलाई 2015 को पीई दर्ज की थी। जिसमें 2019 में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें लोकायुक्त ने 2006 से 2019 के बीच उज्जैन में कलेक्टर के पद पर पदस्थ रहे पांच आईएएस अफसरों सहित पीडब्ल्यूडी के तीन इंजीनियरों और कंपनी के आठ निर्देशकों को नामजद आरोपी बनाया  था। कियावत 7 जुलाई 2014 से 27 जुलाई 2016 तक उज्जैन कलेक्टर रहे थे। इसकी वजह से उन्हें भी आरोपी बनाया गया था। इस मामले में कियावत  हाईकोर्ट चले गए गए थे। उनके द्वारा हाईकोर्ट से एफआईआर रद्द किए जाने की मांग की गई थी। इस मामले में जब हाईकोर्ट ने जवाब मांगा था, जब मुखर्जी प्रमुख सचिव थे और जवाब देने की जिम्मेदारी उनके पास ही थी। उन्होंने  सरकार की ओर से हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब दिया था। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2020 में कियावत की याचिका को खारिज कर दिया था। इस मामले में आरोप है कि हाईकोर्ट में जवाब देते समय मुखर्जी ने राज्य सरकार के हितों की अनदेखी की थी। उनके जवाब से सरकार की स्थिति बेहद कमजोर हुई थी। लोकायुक्त ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि हाईकोर्ट में सरकार के हितों की अनदेखी करने वाला जवाब देना पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है। इस वजह से लोकायुक्त और उप लोकायुक्त अधिनियम की धारा 12 के तहत मुखर्जी पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश की गई है। लोकायुक्त  के कार्रवाई के लिए पत्र लिखने के बाद अब राज्यपाल मामले में अलग से जांच कर स्पेशल रिपोर्ट बुला सकते हैं।

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