बिच्छू राउंडअप/दत्तात्रेय होसबोले ने कहा- आरएसएस को समझने के लिए दिमाग नहीं, दिल चाहिए

दत्तात्रेय होसबोले

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा- आरएसएस को समझने के लिए दिमाग नहीं, दिल चाहिए
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं दिल चाहिए, केवल दिमाग से काम नहीं चलेगा, क्योंकि दिल और दिमाग बनाना ही आरएसएस का कार्य है। उन्होंने कहा कि यह हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि इस देश को बनाने वाले भी हिंदू है। विभिन्न लेखकों की पुस्तकों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को पितृ भूमि मानने वाले हिंदू है। जो स्वयं को हिंदू माने वो हिंदू है। उन्होंने कहा,अस्पृश्यता पाप नहीं तो दुनिया में कुछ भी पाप नहीं है। आरएसएस ने अस्पृश्यता को खत्म करने में भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि साम्यवाद से लेकर समाजवाद सहित सभी काल में आरएसएस की भूमिका महत्वपूर्ण रही। आरएसएस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर जोर दिया है। संघ कठोर (रिजिड) नहीं है संघ लचीला (फ्लेक्सिबल) है।

पति विदेश में है, तो घरेलू हिंसा का मामला वैध है? हाईकोर्ट का अहम आदेश
मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा कि भारत में अस्थायी या स्थायी रूप से रहने वाली कोई भी महिला घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अदालत से राहत पाने की हकदार है, भले ही उसका पति देश से बाहर रहता हो। जस्टिस एस. एम. सुब्रमण्यम ने एक अमेरिकी नागरिक द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश जारी किया, जिसमें उसकी पत्नी द्वारा चेन्नई परिवार अदालत में उसके खिलाफ दायर घरेलू हिंसा की शिकायत को चुनौती दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘कार्रवाई का कारण भारत में हुआ है क्योंकि पीडि़त व्यक्ति यहां रह रहा है, भले ही दूसरे देश में रहने वाले पति या पत्नी द्वारा आर्थिक रूप से दुव्र्यवहार किया गया हो।’

हर तरफ लड़कियां ही लड़कियां, गल्र्स एग्जाम सेंटर पर परीक्षा देने पहुंचा लडक़ा, हो गया बेहोश
बिहार का नालंदा जिला जहां एक परीक्षा सेंटर में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। दरअसल यह पूरा मामला बिहार शरीफ के ब्रिलिएंट कन्वेंट स्कूल का है, जहां अलामा इकबाल कॉलेज बिहारशरीफ का छात्र मनीष शंकर का एग्जाम सेंटर था। सबसे बड़ी बात यह थी कि कॉलेज के किस कमरे में यह छात्र परीक्षा दे रहा था, वहां सिर्फ 322 लड़कियां परीक्षा दे रही थी। मतलब 322 लड़कियों के बीच मनीष कमरे में अकेला लडक़ा था, जो वहां परीक्षा दे रहा था। परीक्षार्थी मनीष जैसे ही सेंटर पहुंचा वह खुद को असहज महसूस करने लगा, जिसके बाद ठंड की वजह से उसे सिर में दर्द होने लगा और वह चक्कर खा कर वहीं गिर पड़ा. इधर उसे आनन-फानन में इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया।

दावा: तालिबान का विरोध नहीं करने के लिए अशरफ गनी ने ली थी करोड़ों की रिश्वत!
कतर ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति रहे अशरफ गनी को रिश्वत के रूप में 110 मिलियन से अधिक का भुगतान किया था, ताकि वह तालिबान के खिलाफ विरोध न करें। इटली की स्थानीय मीडिया ने अपनी खोजी रिपोर्ट में यह सनसनीखेज दावा किया है। रिपोर्ट में अजमल अहमदी द्वारा हस्ताक्षरित रसीद का दस्तावेज शामिल है, जो उस समय गनी के विशेष दूत और सेंट्रल बैंक ऑफ अफगानिस्तान के प्रमुख थे। 15 अगस्त, 2021 को तालिबान के अफगान राजधानी में प्रवेश करने के बाद पूर्व राष्ट्रपति काबुल से भाग गए थे और अब संयुक्त अरब अमीरात में निर्वासन में रह रहे हैं। उनके जाने से तालिबान के लिए राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने का मार्ग प्रशस्त हो गया था।

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