
रोजगार शुरू करने में भी मदद करेंगे स्वयंसेवक
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी /बिच्छू डॉट कॉम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वैसे तो हिन्दु एकता के लिए काम करने वाला संगठन माना जाता है, लेकिन अब यह संगठन कई सामाजिक कामों के जरिए भी आमजन के मन में जगह बनाने में तेजी से सफल हो रहा है। इसकी वजह है उसके द्वारा सामाजिक मामलों में बढ़-चढ़ कर भागीदारी करना। अब इसी तरह के समाजिक दायित्वों के तहत संघ पर्यावरण बचाने और रोजगार के मामले में काम तेजी से शुरू करने जा रहा है। पर्यावरण बचाने के लिए संघ द्वारा पेड़ लगाओ, पानी बचाओ,प्लास्टिक हटाओं की मुहिम चलाने का तो तय किया ही गया है साथ ही बेरोजगारी जैसे बड़ी समस्या में निपटने के लिए रोजगार शुरू कराने में भी संगठन ने मदद करने का तय किया है। दरअसल यह फैसला प्रयागराज में चल रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में लिया गया है। इसके अलावा इस बैठक में कॉमन सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून पर फोकस करने का भी तय किया गया है।
बैठक में पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर भी चर्चा हुई है। इसके लिए पेड़ लगाओ, पानी बचाओ और प्लास्टिक हटाओ की मुहिम को जन-जन तक पहुंचाने ले जाने के उपायों पर चर्चा की गई। इस अभियान में अन्य सामाजिक संगठनों का सहयोग लेने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के कार्य को तेज गति से बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रयासों की समीक्षा करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि पेड़ों के संरक्षण के लिए पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए और प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का कम से कम उपयोग करने के लिए समाज जागरण की आवश्यकता है। समय रहते अगर पर्यावरण संरक्षण के प्रति हम सचेत नहीं हुए तो समाज को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। संघ ने महामारी का दौर समाप्त होने के बाद उत्पन्न हुए हालात के अनुरूप लोगों की मदद की प्रतिबद्धता जताई है। समाज को शिक्षा, रोजगार से जोड़ने पर भी विशेष जोर है। तमाम क्षेत्रों में कक्षाओं का संचालन न होने से विद्यार्थी पढ़ाई में पिछड़ गए है। उनकी मदद के लिए भी स्वयंसेवकों के माध्यम से कक्षाएं चलाई जा रही हैं। इस दिशा में भी विशेष प्रयास स्थानीय स्तर पर किए जाएंगे। इसी क्रम में जिनकी रोजी रोजगार समाप्त हो गई है, उन्हें भी मदद देने के लिए उपक्रम किए जा रहे हैं। यदि वे किसी विधा में कौशल से परिपूर्ण हैं तो उनके रोजगार शुरू कराने में संगठन मदद कराएगा। यदि वे सामान्य प्रकृति के श्रमिक हैं तो कोशिश होगी कि कुछ प्रशिक्षण दिलाया जाए। उसके बाद समाज के सक्षम लोगों की मदद से आर्थिक सहयोग देकर रोजगार की व्यवस्था की जाएगी।
सामाजिक समरसता पर भी जोर
हिंदू समाज की एकता के लिए अपने स्थापना काल से ही कार्य कर रहा है। संघ का मानना है कि जब तक समाज में ऊंच-नीच व छुआछूत का भाव रहेगा, तब तक संपूर्ण समाज का संगठन करना संभव नहीं है। समता के आधार और समरसता के व्यवहार से ही समाज में एकता स्थापित हो सकती है। इसलिए संघ ने अपने स्वयंसवकों से आह्वान किया है कि वह सामाजिक समरसता का संदेश घर-घर पहुंचाए। प्रयागराज में चल रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में समरसता के लिए कार्य पद्धति विकसित करने पर चर्चा हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता गतिविधि के माध्यम से समाज में काम कर रहा है। संघ का मानना है कि छुआछूत हिन्दू समाज का कलंक है। इसलिए समाज से से छुआछूत को दूर करने के लिए संघ देशभर में काम करेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अनुसूचित समाज के बंधुओं को उनकी योग्यता के अनुसार समान अवसर उपलब्ध कराने में सहायता करेगा। इसके अलावा अनुसूचित समाज के विद्यार्थियों, प्रवचन, नौकरी पेशा लोगों व महिलाओं से संपर्क कर हिंदुत्व का गौरव बोध कराने का काम संघ के स्वयंसेवक करेंगे। बैठक में संघ पदाधिकारियों ने कहा की केवल सेवा कार्यों से समरसता नहीं आयेगी। हमें व्यवहार में व आचरण में समरसता का भाव लाना होगा। संघ कार्यकर्ताओं को समरसता युक्त जीवन जीना होगा। इसके अलावा वंचित समाज के शैक्षणिक, सांस्कृतिक व आर्थिक विकास के लिए प्रयास करना होगा। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई की समाज में आज शत्रु खड़ा करने का प्रयास हो रहा है।
काफी टेबल बुक में सेवा कार्यों की जानकारी
कोरोना काल में संगठन की ओर से किए गए कार्यों की जानकारी देने के लिए संघ ने वयम् राष्ट्रांग भूता नाम से काफी टेबल बुक छपवाई है। इसे सभी प्रांतों में अब तक 4,179 लोगों तक पहुंचाया जा चुका है। उल्लेख किया गया है कि सेवा कार्यों के लिए गठित कोविड रिस्पांस टीम में 71 पूर्व राजदूत सहित कई गणमान्य लोग जुड़े हैं। इस संख्या को भी निरंतर बढ़ाते रहने का प्रयास किया जाएगा।
गो उत्पादों के प्रयोग पर जोर
आरएसएस का आग्रह है कि आम जनमानस गो सेवा से स्वयं को जोड़ें। गो उत्पादों का भी प्रयोग बढ़ाया जाए। इससे गोवंश की रक्षा में मदद मिलेगी। जिन जगहों पर सरकार की ओर से गोशालाएं संचालित हैं। उनमें भी स्वयंसेवक स्थानीय लोगों को साथ लेकर सहयोगी बनेंगे। गाय के गोबर और मूत्र को खाद के रूप में बढ़ावा देने का भी लक्ष्य है जिससे रासायनिक खादों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जा जाए। इसके अलावा संघ कई अन्य मामलों में भी समाज का प्रबोधन करेगा । इनमें भूमि सुपोषण, पशुपालन, कुटुम्ब प्रबोधन, घरेलू चिकित्सा और धर्मजागरण शामिल है।
सरकारी योजनाओं के संवाहक बनेंगे स्वयंसेवक
केंद्र व प्रदेश सरकारों की ओर से चलने वाली कल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी स्वयंसेवक आम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। विशेष रूप से बच्चों की शिक्षा, बालिकाओं के विवाह, वृद्धों के उपचार, आजीविका संबंधी योजनाओं पर गौर किया जाएगा। आवश्यकता के अनुसार सरकारी कार्यालयों में भी संगठन के सदस्य मदद पहुंचवाएंगे।
कॉमन सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रयागराज मंथन में इस बार कॉमन सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून जैसे संवेदनशील मुद्दों पर ही केंद्रित रखी गई है। धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन और महिलाओं को बराबरी के अधिकार सहित कतिपय अन्य मुद्दों पर विचार विमर्श के बाद संघ के विभिन्न आनुषांगिक और गैर सरकारी संगठन जनांदोलन के जरिए सरकार को सुझाव भी सौंपेंगे। इसके बाद इन मुद्दों को कानून की शक्ल देने की राह निकलेगी। उत्तर प्रदेश सहित कतिपय अन्य राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण नीति को लेकर शुरूआती तौर पर ड्राफ्ट की तैयारी भी हो चुकी है इस बात की संभावना है कि निकट भविष्य में गैर सामाजिक संगठन और स्वदेशी संघ की आनुषांगिक संस्थाएं जनांदोलनों के माध्यम से कॉमन सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून पर सरकार के समक्ष अपनी मांग जोर- शोर से उठाएंगे। इसके लिए व्यापक स्तर पर कार्ययोजना भी बन रही है। संघ का मानना है कि देश में एक व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति की जरूरत है जो सभी पर बराबरी से लागू होती हो। जब सभी पर बराबरी से एक नीति लागू होगी तो किसी को भी रियायतें नहीं मिलेंगी। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि जनसंख्या में असमानता भौगोलिक सीमाओं में बदलाव लाती है।