सुशासन: ढाई दशक में भी सरकारें नहीं कर सकीं एक इंजीनियर की नई पदस्थापना

पदस्थापना

– सागर सेतु संभाग में पदस्थ इंजीनियर पड़ रहा  सभी पर भारी…

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी नियमों के अनुसार कोई भी सरकारी अफसर एक ही जगह पर एक साथ तीन साल से अधिक समय तक पदस्थ नहीं रह सकता है, लेकिन कई विभागों में अनेकों अफसर ऐसे हैं, जो एक ही जगह पर दो चार – पांच साल नहीं बल्कि दो -दो दशक से अधिक समय से पदस्थ बने हुए हैं। इस दौरान पदोन्नत भी हो गए और ऊंचे ओहदे पर भी पहुंच चुके हैं। इसके बाद भी सरकार व प्रशासन पीएस पंत की दूसरी जगह पदस्थापना नहीं कर सकी।  वे ऐसे अफसर हैं, जो इस जिले में पदस्थ तो हुए थे बतौर उपयंत्री, लेकिन इसके बाद वे पदोन्नत होकर सहायक यंत्री, एसडीओ और फिर प्रभारी ईई तक बन गए, लेकिन मजाल है कि कोई उनका तबादला किसी दूसरे जिले में कर सका हो।  खास बात यह है कि पंत की यहां जारी पदस्थापना के बीच तीन बार सरकारें बदली, लेकिन उनका रसूख हर बदली हुई सरकार में भी कायम रहा। फिलहाल पंत विभागीय मंत्री के इलाके में पदस्थ हैं और यह इलाका विभाग में सबसे फिसड्डी साबित हो रहा है।
सागर सेतु संभाग के तहत होने वाले अधिकांश काम तय समय से बेहद अधिक पीछे चल रहे हैं, यही नहीं ज्यादातर पुल-पुलियाओं के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर भी लगातार शिकायतें बनी हुई हैं। इसके बाद भी कार्रवाई तो दूर उनका तबादला तक नहीं होना उनके रसूख को बताता है। हालात यह हैं कि विभागीय मंत्री के गृह जिले के बीना कस्बे में दो रेलवे ओवर ब्रिज बीते छह साल में भी नहीं बन सके हैं। इसके उलट एनएचएआई ने अपना पुल ढाई साल में ही बना दिया। हालात यह हैं कि सेतु संभाग के एक पुल का काम तो निर्माण एजेंसी अधूरा छोड़कर ही भाग चुकी है।  इसके लिए लोगों द्वारा प्रभारी कार्यपालन यंत्री पीएस पंत को जवाबदेह बताया जा रहा है। गुणवत्ता की बदहाली का हाल इससे ही समझा जा सकता है कि कि नौगांव सब डिवीजन में एक निमार्णाधीन पुल के 3 गर्डर लांच होने के कुछ कुछ घंटे बाद ही पुल धराशायी हो गया। इसके बाद भी उनकी पदस्थापना पर कोई असर नही पड़ा है।
अब तो ठेकेदार तक करने लगे हैं तौबा
एक ही जगह लगातार कई पदों पर पदस्थ रहने और बीते करीब डेढ़ दशक से प्रभारी कार्यपालन यंत्री का प्रभार होने की वजह से उनकी कार्यशैली ऐसी हो चुकी है कि विभागीय ठेकेदार भी अब उनसे दूरी बनाने लगे हैं। इसकी वजह से ही एक ठेकेदार तो अपना आधा अधूरा काम छोड़कर भाग गया है। उनके लगातार एक ही संभाग में लंबी पदस्थापना को लेकर तो विभाग के आला अफसर तक चुप्पी साध लेते हैं। उधर, विभागीय सूत्रों का कहना है कि सागर का सेतु संभाग का काम अन्य संभागों में शामिल भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और रीवा के मुकाबले खराब पाया गया है , लेकिन फिर भी विभाग उन पर मेहरबान बना हुआ है।
विधायक भी नहीं हैं खुश  
बीना विधानसभा क्षेत्र के विधायक महेश राय का कहना है कि बीना ओवर ब्रिज का काम बीते छह सालों में पूरा नहीं हो पाया है। उनके इलाके के एक ब्रिज का काम 30 प्रतिशत तो दूसरे का काम 65 प्रतिशत बचा हुआ है। हर दिन हजारों लोग इनके आधे -अधूरे पड़े होने से परेशान हो रहे हैं।  एक ठेकेदार का काम कैंसिल कर, अधूरे काम का दोबारा टेंडर किया गया है, लेकिन इसके बाद भी यह काम कब पूरे होंगे कोई नहीं जानता। उनका कहना है कि वे विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव से भी प्रभारी ईई पंत की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

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