
- बिजली चोरों की जगह ईमानदार उपभोक्ताओं के घरों पर लगाने की कवायद
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ बिजली कंपनियों का बिजली चोरी रोने में नकाम रहने से घाटा बढ़ता ही जा रहा है, तो वहीं ईमानदार उपभोक्ता भी इसकी वजह से बढ़ती दर से परेशान बने हुए हैं, लेकिन विभाग के अफसर इससे शायद कोई इत्तेफाक नहीं रखते हैं तभी तो वे, बिजली चोरी वाले इलाकों की जगह ईमानदार उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी कर चुके हैं। इसकी शुरूआत अगले माह से की जा रही है। यह स्मार्ट मीटर घरों, दफ्तरों से लेकर दुकानों में तक लगाए जाने हैं। इन मीटरों की खासियत यह है कि इन्हें उपभोक्ता अपनी जरूरत के अनुसार मोबाइल की तरह रिचार्ज कर सकेंगे। इसके लिए भुगतान भी आॅनलाइन मोड में भी कर सकेंगे। इस पर करीब ढाई सौ करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है। यह राशि केन्द्र सरकार द्वारा दी जाएगी। नए मीटर लगने के बाद पुराने डिजिटल मीटरों का उपयोग ग्रामीण इलाकों में किया जाएगा। इन नए मीटरों के लगने के साथ ही बिजली कंपनी की तकनीकी टीम द्वारा इसके लिए एक मोबाइल एप भी बनाया जा रहा है। इसी तरह से पेमेंट के इंटीग्रेशन को लेकर भी तैयारी लगभग अंतिम चरण में है। दरअसल केन्द्र सरकार द्वारा देशभर में 2025 तक प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना बनाई गई है। प्रदेश में प्रीपेड स्मार्ट मीटर दो चरणों में लगाए जाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत केन्द्र सरकार ने सरकारी ऑफिस और घरों में इस स्कीम को तुरंत लागू करने के निर्देष दिए हैं। बताया जा रहा है कि यह पूरी कवायद बिजली सप्लाई में ट्रांसपेरेंसी लाने के लिए की जा रही है। इसकी खास बात यह है कि इन नए मीटर पर आने वाले खर्च की राशि की वसूली उपभोक्ताओं से नहीं की जाएगी। यह पूरा सिस्टम जीरो एरर मोड पर काम करेगा। इसमें खास बात यह है कि आॅन डिमांड कभी भी रीडिंग की जा सकती है।
यह है विशेषता
इस स्मार्ट मीटर की खासियत यह है कि जिस तरह मोबाइल को रिचार्ज करने के बाद कॉल और डाटा प्लान मिलता है। उसी प्रकार उपभोक्ता को यह विकल्प दिया जाएगा वे कि वह बिजली के इस्तेमाल के लिए स्मार्ट मीटर्स को पहले से रिचार्ज करा लें। इनमें रियल टाइम यूनिट और लोड की जानकारी मिल सकेगी। इस डिजिटल मीटर्स से बिजली कंपनियों के वित्तीय नुकसान में राहत मिल सकेगी। यही नहीं स्मार्ट मीटर्स में उपभोक्ता को डिस्ट्रीब्यूटर बदलने की भी सुविधा मिल जाएगी। इस मीटर से सोलर एनर्जी से मिली एक्स्ट्रा बिजली को लोगों द्वारा बिजली कंपनी को बेचा जा सकेगा। यही नहीं इसकी वजह से बिलिंग व रीडिंग से जुड़ी शिकायतों पर भी रोक लग जाएगी।
प्रदेश में यह हैं बिजली चोरी के हाल
मध्य प्रदेश में बिजली चोरी रोकने और अवैध बिजली कनेक्शन पर अब तक लगाम नहीं लग सकी है। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में धड़ल्ले से बिजली चोरी हो रही है। अप्रैल-मई-जून के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में भिंड जिला बिजली चोरी के मामले में अव्वल है। यहां सबसे ज्यादा 65.23 प्रतिशत बिजली चोरी हुई है। यह हाल तब है जबकि बिजली थाने और इनाम देने का प्रयोग भी किया गया है। भोपाल शहरी के उत्तर शहर में 46.79 प्रतिशत बिजली की चोरी हुई है। इसी तरह से भोपाल सिटी (साउथ) में 35.39 प्रतिशत भोपाल सिटी पूर्व में 49.47 प्रतिशत , भोपाल सिटी पश्चिम में 27.57 प्रतिशत और भोपाल के कोलार क्षेत्र में 38.74 प्रतिशत बिजली की चोरी की गई है। इसी तरह से अगर अन्य जगहों की ताक की जाए तो हरदा में 53.50 प्रतिशत, रायसेन में 54 प्रतिशत, ग्वालियर शहर में 50.43 प्रतिशत, मुरैना सर्किल में 58.68प्रतिशत, भिंड में 65.23 प्रतिशत बिजली की चोरी हुई है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एक अधिकारी का कहना है कि कंपनी के तहत आने वाले कई जिले ऐसे हैं, जहां लगातार बिजली चोरी के मामले बढ़ रहे हैं। उनमें भिंड और मुरैना जिला सबसे आगे हैं। विभाग को चाहिए था कि स्मार्ट मीटर लगाने की शुरुआत इन इलाकों से करना चाहिए था।