प्रदेश में लंपी की दहशत, सरकार ने जारी किया कई जिलों में अलर्ट

लंपी

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। पाक के जरिए देश में आयी लंपी बीमारी अब मध्यप्रदेश के पशुओं के लिए भी महामारी बनती जा रही है। प्रदेश में इस बीमारी के आने की वजह पड़ोसी राज्य राजस्थान और गुजरात को माना जा रहा है। प्रदेश में अब तक यह महामारी नौ जिलों में दस्तक दे चुकी है। इसकी वजह से प्रदेश में चिंता बढ़ गई है। हालात कितने गंभीर होते जा रहे हैं , इससे ही समझा जा सकता है कि प्रदेश सरकार को इसको लेकर अलर्ट तक जारी करना पड़ गया है।
दरअसल यह तेजी से फैलने वाली बीमारी है। विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात राज्यों से जुड़े हुए सीमावर्ती जिलों में विशेष निगरानी की जरूरत तक महसूस होने लगी है। संचालक पशुपालन एवं डेयरी डॉ. आरके मेहिया ने राजस्थान एवं गुजरात के सीमावर्ती जिलों अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़ और बुरहानपुर के उप संचालकों को गौ-भैंस वंशीय पशुओं में लंपी स्किन डिसीज से निपटने के लिए विशेष रूप से सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र की पशु चिकित्सा संस्थाओं, मुख्य ग्राम इकाई, पशु माता महामारी पशुओं की वायरल आदि में पदस्थ पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ और सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों द्वारा प्रति दिन अपने क्षेत्र का दौरा कर सतत निगरानी रखकर निरंतर उपचार एवं टीकाकरण भी किया जा रहा है। प्रदेश के रतलाम, उज्जैन, मंदसौर और खंडवा जिले के पशुओं में लंपी रोग की पुष्टि होने के साथ इंदौर, धार, बुरहानपुर, नीमच और बैतूल जिले में भी लक्षण पाये गये हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गत माह राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल में कंट्रोल रूप  की स्थापना की गई है।
 वायरल बीमारी है लंपी
लंपी स्किन डिसीज, पशुओं की एक वायरल बीमारी है, जो कि पॉक्स वायरस द्वारा पशुओं में फैलती है। किया। उन्होंने कहा कि गौशालाओं में निदान और यह रोग मच्छर, मक्खी और टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलता है। जूनोटिक नहीं हो मनुष्यों में इस संक्रमण का खतरा नहीं है। अधिकतर संक्रमित पशु 2 से 3 सप्ताह में स्वस्थ हो जाते हैं लेकिन दुग्ध, उत्पादकता में कमी कई सप्ताह तक बनी रहती है। मृत्यु दर एक प्रतिशत और संक्रामकता 10 से 20 प्रतिशत है।
सभी गौ शालाओं को जारी किया अलर्ट
गौ पालन एवं पशुधन संवर्द्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने लंपी स्किन डिसीज के विरुद्ध औषधियों की पर्याप्त व्यवस्था के साथ सतत निगरानी में रखें। ध्यान दें कि कोई नया पशु गौ शाला में स्वत: तो नहीं आया है, नए पशु को क्वारंटाइन में रखें। प्रदेश की शासकीय गौ शालाओं में लगभग दो लाख गौ-वंश है और 627 स्वयंसेवी संगठन गौ-सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। जिनमें एक लाख 87 हजार गौ वंश है।
लंपी बीमारी के लक्षण और प्रभाव
लंपी की चपेट में आने वाले मवेशियों को बुखार आता ह। मवेशी के पूरे शरीर में गांठ, नरम छाले पड़ जाते हैं। मुंह से लार निकलता है और आंख-नाक से भी स्राव होता है।  पशु चिकित्सकों के मुताबिक दुग्ध उत्पादन में कमी आना, मवेशी का ठीक से भोजन नहीं कर पाना भी इस बीमारी के लक्षण हैं लंपी वायरस एक गाय से दूसरी गाय के सिर्फ संपर्क में आने पर ही फैल रहा है। लंपी त्वचा रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि के काटने या सीधा संपर्क में आने अथवा दूषित खाने या पानी से फैलती है। इससे पशुओं में तमाम लक्षणों के साथ उनकी मौत भी हो सकती है।

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