शिव-वीडी ने नेतृत्व में ही होगा विधानसभा चुनाव

विधानसभा चुनाव

-तमाम अटकलों के बीच मुगालते में नहीं रहें भाजपा कार्यकर्ता

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भाजपा संसदीय बोर्ड तथा केंद्रीय चुनाव समिति से बाहर होने, कैलाश विजयवर्गीय और  सिंधिया के बीच हुई मुलाकात के बाद प्रदेश में कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं। भाजपा में सत्ता और संगठन में नेतृत्व परिवर्तन तक की बात होने लगी थी। लेकिन इन तमाम कयासों के बीच आलाकमान ने संकेत दे दिया है कि अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। खुद कैलाश विजयवर्गीय इस पर मुहर लगा चुके हैं। दरअसल, मप्र में शिवराज जनप्रिय और भाजपा के सर्वमान्य नेता हैं। पार्टी आलाकमान से लेकर कार्यकर्ता तक जानता है कि प्रदेश में शिवराज के मुकाबले विपक्ष में कोई नेता नहीं हैं। इसलिए पार्टी फिलहाल कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। वहीं शिवराज-वीडी की जोड़ी के नेतृत्व में सत्ता और संगठन के बीच अद्भूत समन्वय बना हुआ है। पार्टी सूत्रों का का कहना है कि आलाकमान स्थिति और परिस्थिति को देखते हुए शिव-वीडी के नेतृत्व में ही मप्र में विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता है।
शिवराज को डिगाना आसान नहीं!
 पिछले 17 सालों में शिवराज मप्र की जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच इस कदर रच बस गए हैं कि उन्हें डिगाना आसान नहीं हंै। यही कारण है कि तमाम कयासों के बाद भी शिवराज का आत्मविश्वास बरकरार है। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में शिवराज को चकमा देना इतना आसान नहीं है, भले ही केंद्रीय राजनीति को लेकर कोई फैसला दिल्ली के नंबर एक और नंबर दो के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के जरिए ही लिया जाए। प्रदेश में आज भाजपा स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंट गई है। एक हैं भाजपा, दूसरी हैं सिंधिया की भाजपा। लेकिन शिवराज और वीडी की जोडी के आगे सब एक हैं।
सीएम शिवराज सिंह को बतौर मुख्यमंत्री 17 साल हो गए। हाल ही में इसका उत्सव भी मनाया गया। खास बात यह है इन 17 सालों में मध्य प्रदेश में उनके कद का कोई दूसरा नेता नहीं उभर सका। पांव-पांव वाले भैया से प्रदेश के बच्चे बच्चियों की मामाजी बनने और अब बुलडोजर मामा कहे जा रहे शिवराज की समन्वकारी राजनीति के सभी कायल हैं। कैलाश विजयवर्गीय हो या फिर नरोत्तम मिश्रा सभी खुली जुबान से यह स्वीकार कर रहे हैं कि 2023 में पार्टी का चेहरा शिवराज ही होंगे।
संघ और भाजपा का बड़ा धड़ा शिवराज के समर्थन में
 माना जाता है कि 2018 में अमित शाह के साथ शिवराज का एक विरोधी धड़ा नहीं चाहता था कि शिवराज फिर से सीएम बनें। इसके पीछे तर्क था कि प्रदेश में भाजपा  के चुनाव हारने की वजह शिवराज का पार्टी के नेताओं की राय लिए बगैर एकतरफा टिकिट बांटना है।  विरोधियों ने हार का ठीकरा शिवराज पर फोड़ने  की कोशिश की, लेकिन इन सबके बावजूद पीएम मोदी ने शिवराज पर भरोसा जताया और कहा गया कि शिवराज को अनुभव है और वे योग्य व्यक्ति हैं। दूसरी तरफ शिवराज संघ के भी दुलारे हैं । यही वजह है कि शिवराज के खिलाफ जब भी कोई आवाज उठी संघ शिवराज के समर्थन में रहा है। शिवराज सिंह  एक जननेता हैं, यही वजह है कि वे खुद को सामान्य आदमी की तरह रिप्रजेंंट करते हैं और सीधे जनता से जुड़ते हैं। लोगों के बीच जाकर उनके बीच मिलना, उनकी परेशानी सुनना और उस पर कार्रवाई का भरोसा देना यही सब चीजें उन्हें कॉमन मैन का नेता बनाती हैं।
शिव-वीडी की जोड़ी दमदार
प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की जोड़ी काफी दमदार मानी जा रही है। इसलिए भाजपा इसी जोड़ी के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इसके लिए पार्टी नवंबर में वीडी शर्मा की भी दोबारा ताजपोशी करने के मूड में हैं।
विरोधी माने जाने वाले नेता भी शिवराज के मुरीद
मध्य प्रदेश का आगामी 2023 में होने वाला विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। यह लगभग तय भी माना जा रहा है। इस बात की पुष्टि हाल ही में आए उन नेताओं के बयानों से भी होती है जो कभी खुद ही सीएम की रेस में शामिल माने जाते रहे हैं। ये लोग अब खुद ही कहने लगे हैं कि प्रदेश में भाजपा की नैया शिवराज ही पार लगा सकते हैं। खास बात ये है कि बीते कुछ सालों में शिवराज सिंह ने जिस तरह से लॉबिंग को खत्म की है, उसे देखते हुए अब उनके प्रतिद्वंदी समझ गए है कि जब तक मप्र में शिवराज रहेगें शायद तब तक उनका नंबर नहीं आएगा। भाजपा  के राष्ट्रीय महासचिव और शिवराज के कद के नेता माने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय भी इस बात को कह चुके हैं कि 2023 में होने वाला विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। मौजूदा गृहमंत्री और सीएम के खिलाफ लॉबिंग के आरोपों में लगातार वहीं बात नरोत्तम मिश्रा ने दोहराई कि 2023 का विधानसभा चुनाव शिवराज के नेतृत्व में ही लड़ेगे।

Related Articles